
Haryana Roadways: कैथल, सच कहूं/ कुलदीप नैन। रोडवेज बेड़े में नई बसें आने से संख्या में बढौतरी तो कहाँ होनीं थी बल्कि पुरानी बसों के कंडम होने से डिपो में बसों की संख्या घटती जा रही है | बसों की घट रही संख्या का खामियाजा यात्रियों को भुगतना पड़ रहा है। दैनिक यात्रियों और स्कूल व कॉलेज आने वाले लड़के-लड़कियों की दिक्कत बढ़ गई है। मार्च महीने में कैथल डिपो में 14 बसों के कंडम होने के कारण बसों की संख्या 169 से घटकर 155 रह गई है। इनके अलावा जिले में 23 बसे किलोमीटर स्कीम के तहत चल रही है | लीज व रोडवेज की मिलाकर 192 बसें रूटों पर चल रही थीं। अब इनकी संख्या 178 रह गई है। लेकिन इससे बड़ी चिंता की बात ये है कि अप्रैल महीने के अंत तक 10 और बसे कंडम घोषित होने जा रही है | इसके बाद रोडवेज बसों की संख्या 145 रह जाएगी | ऐसे में लंबे व अन्य ग्रामीण रूट भी प्रभावित हो सकते हैं।
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गौरतलब है कि रोडवेज निगम में बसों की कमी से यात्रियों से लेकर कर्मचारियों को भी खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कैथल डिपो में 225-250 रोडवेज बसों की आवश्यकता है लेकिन इस समय डिपो में 155 बसें व 23 बसे (किलोमीटर स्कीम) यानी लीज की रह गई है। बता दें कि नवम्बर माह में डिपो से 48 के बसों को पानीपत, झज्जर, भिवानी भेज दिया था। नई बसों के बदले पुरानी खटारा बसें डिपो में आई थीं। जो कभी यात्रियों को बीच रास्ते में अटकाकर खड़ी हो जाती है। फिर भी यात्रियों की जान जोखिम में डाल इन्हे मार्ग पर चलाया गया | कुल मिलाकर बसों की कमी से रोडवेज को घाटा भी झेलना पड़ रहा है। और यात्रियों को भी परेशानी उठानी पड़ रही है।
15 साल तक वैध | Haryana Roadways
बता दें कि सरकार द्वारा एन.सी. आर. क्षेत्र से बाहर 15 साल तक सड़कों पर बस चलना वैध माना जा रहा है। ये बसें अपने रोड पर चलने के 15 साल पूरे कर चुकी थीं। इसके बाद विभाग द्वारा इन्हें कंडम घोषित किया गया है। बस संचालन से दुर्घटना का अंदेशा रहता है। लंबी दूरी की ज्यादातर बसों में बैटरी, वायरिंग, गियर की समस्या आती है। ये समस्या गर्मी में और बढ़ जाती है। ऐसे में अक्सर चालक एवं परिचालकों को बीच रास्ते वर्कशॅाप में बसों को जांच करानी पड़ती है।
कई रूट हो सकते है प्रभावित
कैथल डिपो से चलने वाली रोडवेज की बसों में 18 से 20 हजार यात्री सफर तय करते हैं। बसों से करीब 15 लाख रुपए प्रतिदिन आमदनी होती है। इस समय डिपो में परिचालक 295 व ड्राइवर 248 हैं, जोकि विभिन्न रूटों पर चल रहे हैं। बसों की संख्या कम हो जाने के बाद जींद, राजौंद, कुरुक्षेत्र, गुहला, असंध, करनाल सहित अन्य सैंकड़ों रूटों पर चलने वाले यात्रियों के लिए बसों की दिक्कत हो सकती है।
कंडम होने से पहले नई बसें डिपो में पहुंचनी चाहिए
यात्री संदीप, अक्षय, गुरजीत ने कहा कि रोडवेज का बेड़ा बढ़ना चाहिए। सरकार बसें कंडम होने का इंतजार क्यों करती रहती है | जब पता है कि इस समय अवधि में इतनी बसे कंडम हो जाएगी तो क्यों नहीं पहले ही बसों को डिपो में भेजा जाता | यात्रियों ने कहा कि कैथल को नई बसे तो कहां मिलनी थी जो यहाँ थी उनको भी दूसरे जिलों में भेज दिया गया है। जल्द से जल्द बसें सरकार को खरीदनी चाहिएं।
नई बसों की है जरूरत | Haryana Roadways
रोडवेज विभाग को नई बसों की जरूरत है। जितनी बसें कंडम हुई है। उनकी जगह सरकार को नई बसें खरीदनी चाहिए। पुरानी बसें बीच रास्ते में खराब हो जाती है। इससे चालक व परिचालक को भी दिक्कत आती है। रूट भी प्रभावित हो जाता है।
-बलवान सिंह कुंडू, रोडवेज कर्मचारी नेता।
50 बसों की डिमांड भेजी
रोडवेज डिपो कैथल से 14 बसें कंडम हो गई है। 10 बसे अप्रैल के अंत तक कंडम हो जाएगी | निदेशालय को 50 बसों की मांग भेजी हुई है। इनमें कुछ बसें एसी तो कुछ नार्मल बसें है। यात्रियों को किसी प्रकार की परेशानी नहीं आने दी जाएगी। उम्मीद है कि मांग को जल्द पूरा किया जाएगा और बसें जल्द दी जाएंगी।
अनिल, कार्यशाला प्रबंधक, कैथल डिपो।