सच कहूँ से रूबरू : नुहियांवाली में एक किसान के बेटे ने शिक्षा के दम पर लिखी इबारत

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इंटरनेशनल कंपनी ने दिया 70 लाख का पैकेज

  • चयन होने पर परिजनों में हर्ष की लहर, लोग दे रहे परिजनों को बधाई

सच कहूँ/राजू  ओढां। गांव नुहियांवाली में एक किसान के बेटे ने छोटी उम्र में ही एक अच्छी सफलता हासिल कर
ये साबित कर कड़ी मेहनत के आगे कुछ भी नामुमकिन नहीं है। जिसके बाद एक्सेंचर नामक एक इन्टरनेशनल कंपनी में उसे जापान में 70 लाख के वार्षिक पैकेज का आॅफर दिया है। जिसके बाद परिजनों में खुशी का माहौल है और लोग उन्हें बधाईयां दे रहे हैं। इस युवक ने महज 22 वर्ष की उम्र में कैसे लिखी सफलता की इबारत और कितना समय लगा। इसके लिए जब सच-कहूँ संवाददाता राजू ओढां ने युवक से बातचीत की तो उसने शुरू से लेकर सफल होने तक की पूरी कहानी कुछ इस तरह से बताई:-

सवाल: सबसे पहले आपके नाम व परिवार के बारे में बताएं?
जवाब: मेरा नाम मनोज नेहरा है और मेरी उम्र 22 वर्ष है। मेरे परिवार में मेरे मम्मी-पापा, एक छोटा भाई व मेरे दादा जी हैं। मैं एक किसान परिवार से हूं।

सवाल: आपकी प्राथमिक से लेकर अब तक की शिक्षा के बारे में बताएं ?
जवाब: मेरी प्राथमिक शिक्षा गांव के ही सरकारी स्कूल में हुई। जिसके बाद मैंने ओढां के एक निजी स्कूल में दाखिला लिया। फिर 11 व 12वीं की पढ़ाई राजस्थान के सीकर में ग्रहण की है। 12वीं तक की शिक्षा के बाद मैंने बंगाल के खड़गपुर स्थित आईआईटी में दाखिला लिया। जहां मैंने बी.टेक की पढ़ाई की। मौजूदा समय में मैं बंगाल में ही एम.टेक की शिक्षा ग्रहण कर रहा हूं।

सवाल: आपकी पढ़ाई पूरी करने के बाद क्या जॉब करने की इच्छा थी?
जवाब: पढ़ाई में मैं शुरू से ही कुछ अलग था। मेरी शुरू से ही ये इच्छा थी कि मैं खूब पढ़कर परिवार का नाम रोशन करूं । वैसे मेरी इच्छा थी कि मैं या तो इंजिनियर बनूं या फिर सार्इंटिस्ट। मेरी इस इच्छा पर मेरे परिजनों की भी स्वीकृति की मुहर थी।

सवाल: आपका शिक्षा काल कैसा रहा और क्या परेशानियां रहीं ?
जवाब: मेरा शिक्षा काल अच्छा रहा, लेकिन चुनौतियां पूर्ण रहा। क्योंकि जब मैं सीकर में पढ़ाई कर रहा था तो वहां का मुझे खानपान रास नहीं आया। जिसके बाद मेरे दादा सोहन लाल नेहरा मेरी देखरेख के लिए 2 वर्ष तक मेरे साथ रहे। इसके अलावा मैंने जब स्पेन में 2 माह रहकर एक यूनिवर्सिटी से बी.टेक के लिए प्रशिक्षण लिया तो मेरे पिता राजेन्द्र कुमार ने भी वहां रहकर मेरी काफी हेल्प की। चुनौतियां तो रहीं लेकिन पापा व दादा के सहयोग से हल भी हो गर्इं।

सवाल: जापान की कंपनी से कैसे संपर्क हुआ?
जवाब: सीकर में मेरा करीब 12 लाख विद्यार्थियों में से 2119वां रैंक था। सीकर में परीक्षा परिणाम के बाद मैंने अपनी च्वायस के हिसाब से मुंबई, दिल्ली, कानपुर व खड़गपुर में आईआईटी में दाखिला लेने के लिए आवेदन किया था। जिसके बाद मेरा बंगाल के खड़गपुर स्थित एक आईआईटी में दाखिला हुआ। मुझे रैंक में मैकेनिकल लाईन मिली। मैंने वहां 17 जुलाई 2017 को दाखिला लिया था। मैं अभी तक वहीं शिक्षा ग्रहण कर रहा हूं। इसी दौरान मैंने जापान में एक्सेंचर कंपनी में जॉब के लिए आवेदन किया था। जिसके बाद कंपनी ने मेरे 2 आॅनलाईन इंटरव्यू किए जो सफल रहे।

सवाल: किस चीज की कंपनी है जिसमें आपका सिलेक्शन हुआ है?
जवाब: ये कंपनी वैसे जापान की नहीं है बल्कि एक इंटरनेशनल कंपनी है। जो पूरे विश्व में फैली हुई है। लेकिन मेरी नियुक्ति इसी कंपनी में जापान में हुई है। ये कंपनी दूसरी कंपनियों को टैकनिक्ल कं सल्टिंग एडवाईज देती है। इस कंपनी में जॉब करने वाले व्यक्ति के पास मैनेजमेंट व टैकनिक्ल स्कि ल दोनों का होना अनिवार्य है। ये कंपनी अपने एम्पलोई को विश्व की विभिन्न कंपनियों को टैक्निकल सलाहकार के तौर पर नियुक्त करती है।

सवाल: कितनी सैलरी मिलेगी और कब जाएंगे आप जॉब पर ?
जवाब: अभी मेरी एम-टेक की पढ़ाई चल रही है। अभी इसमें मुझे करीब 7 माह का समय और लग जाएगा। कंपनी ने मुझे 70 लाख रूपये का सालाना पैकेज आॅफर किया है।

सवाल: इस सफलता का श्रेय आप किसको देना चाहेंगे ?
जवाब: सफलता का श्रेय वैसे तो मेरे पूरे परिवार को जाता है। लेकिन मेरे दादा जी ने मेरे लिए काफी कुछ किया है। वे बूजुर्ग होते हुए भी मेरे साथ 3 वर्ष तक सीकर में रहे। मेरे माता-पिता एक किसान हैं। उन्होंने मेरी शिक्षा को देखते हुए फसल के दाम भी नहीं देखे और फसल बेचकर मेरा खर्च वहन किया।

सवाल: अन्य युवाओं के लिए आपका कोई संदेश?
जवाब: मेरा संदेश यही है कि निराशा से घबराकर आशा न खोएं। ये जिन्दगी है इसमें आशाएं-निराशाएं आती-जाती रहेंगी। लेकिन हमें हार न मानकर जीत की बार-बार कोशिश करनी चाहिए। एक दिन सफलता कदम चूमेगी। दूसरा मैं युवाओं से एक अपील करता हूं कि नशे व अन्य सामाजिक बुराईयों से दूर रहकर अपने अंदर संस्कारों का समावेश अवश्य करें।

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