विडंबना। बसई में सुबह से ही बर्तन लेकर सड़क किनारे बैठ जाते हैं प्रवासी लोग (In Basai)
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घंटों इंतजार के बाद मिलता है भूख शांत करने को खाना
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काम-धंधे बंद होने से घर का राशन, पैसे सब हो चुका खत्म
गुरुग्राम (सच कहूँ ब्यूरो)। पुष्पा देवी, सुशीला देवी, सुषमा, पूजा, शर्मिला और जिला सिंह, अशोक, रामनरेश साथ में और भी अनेक लोग यहां नगर निगम के अधीन गांव बसई में रहते हैं। मजदूरी करके अपने परिवार का पेट पालते थे। लॉकडाउन के बाद मजदूरी खत्म। घर में जो जोड़कर रखा था, वह राशन और पैसा सब खत्म हो गया है। अब हर रोज वे अपने किराए के घरों या फिर झोपड़ियों से निकलकर पहुंच जाते हैं बसई के कम्युनिटी सेंटर के बाहर। यहां पर खाना मिलने का कोई समय नहीं है। जब मिला, तब खा लेते हैं।
कोरोना महामारी ने इन सबको भिखारी बना दिया है
अपने-अपने घरों से ये बर्तन लेकर सुबह ही कम्युनिटी सेंटर के बाहर बैठकर नगर निगम द्वारा भिजवाए जाने वाले खाने का इंतजार करते हैं। चाहे कितनी भी धूप पड़ती हो, लेकिन ये कम्युनिटी सेंटर के अंदर छाया में जाकर नहीं बैठ सकते। अगर वे अंदर बैठ जाते हैं तो बाहर से कोई खाना या अन्य सामान बांटने वाला आए तो उन्हें नहीं मिल पाएगा। समाजसेवियों की फौज, प्रशासनिक अधिकारियों, कर्मचारियों की फौज सुबह से शाम तक लोगों का पेट भरने में लगी है। लाखों लोगों को खाना खिलाने के प्रशासन व संस्थाओं की ओर से रोज दावे किए जाते हैं।
- ऐसे में सवाल यह भी उठता है कि उन लाखों लोगों में इनकी गिनती क्यों नहीं होती।
- गांव बसई के ही रहने वाले राजेश शर्मा लॉकडाउन शुरू होने के साथ ही लोगों को खाना आवंटित कर रहे हैं।
- लेकिन उनकी क्षमता 150-200 को रोज खाना खिलाने की है।
- इतनी अधिक संख्या में लोगों को खाना खिलाने में वे भी असमर्थ हैं।
उपेक्षा के डर से पलायन को मजबूर हुए प्रवासी
गुरुग्राम में आकर मजदूरी करके पेट पालने वाले प्रवासी लोगों का पूर्व में किया गया पलायन ऐसी स्थिति को देखते हुए जायज ही कहा जा सकता है। शायद उन्हें इस बात का अंदाजा था कि आगे चलकर स्थिति और खराब होगी। खाने के लाले पड़ जाएंगे। इसलिए वे दिन-रात यहां से अपने बच्चों, बेटे-बेटियों, महिलाओं, बुजुर्गों को साथ लेकर रवाना हो गए। घर के जिम्मेदार लोगों ने आज होने वाली स्थिति का आभास कर लिया था।बीते दिनों घर का खर्च चलाने में असमर्थ एक व्यक्ति द्वारा फांसी लगाकर आत्महत्या कर लेने के मामले से सरकार, प्रशासन को सबक लेना चाहिए।
- यह जरूरी नहीं कि सब आत्महत्या ही कर लें।
- खाना ना मिलने की सूरत में कमजोर होते शरीर भी किसी की मौत का कारण बन सकते हैं।
- इसलिए इस ओर ध्यान दिया जाए, ताकि किसी की भूख से जान ना जाए।
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