पावन भंडारे पर उमड़ी साध-संगत ने साझा किए जीवन के अनुभव
- बोले-पूज्य गुरु जी की रहमत से आज नहीं है कोई कमी | Sirsa News
सरसा (सच कहूँ/सुनील खारियां)। Sirsa News: पूजनीय बेपरवाह सार्इं शाह मस्ताना जी महाराज ने 29 अप्रैल 1948 को सरसा में सर्वधर्म संगम डेरा सच्चा सौदा की स्थापना करके मानवता पर बहुत बड़ा उपकार किया। आज रूहानियत के इस सच्चे दर से जुड़कर पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां (एमएसजी)की दया मेहर से करोड़ों लोग नशे और बुराइयों से मुक्त खुशहाल जीवन जी रहे हैं। पूज्य गुरु जी की पावन शिक्षाओं पर चलते हुए ये लोग रक्तदान, जरूरतमंदों की मदद करना, निराश्रयों के मकान बनाकर देना, बच्चों की शिक्षा का प्रबंध करना, बीमारों का उपचार करवाना, बेटियों की शादियों में आर्थिक सहयोग देना, मरणोपरांत नेत्रदान और शरीरदान जैसे मानवता भलाई के 163 कार्य निरंतर कर रहे हैं। आइए जानते हैं डेरा सच्चा सौदा से जुड़कर खुशहाल हुए परिवारों की कहानी उन्ही की जुबानी:- Sirsa News
रूहानियत के उच्चे सुच्चे दर डेरा सच्चा सौदा से जुड़कर मुझमें और परिवार में बहुत बड़ा परिवर्तन आया। आज पूरा परिवार बुराईयों से दूर है। जहां भी किसी जरूरतमंद की मदद की बात आती है तो ब्लॉक के जिम्मेवारों के साथ मिलकर उसकी पूरी मदद करते हैं। मैं अपनी तीसरी पीढ़ी यानी पौत्र-पौत्रियों को लेकर डेरा सच्चा सौदा के हर पावन भंडारे और सत्संग में पहुँचता हूँ ताकि ये समाज में व्याप्त बुराईयों से बच सकें और नेकी की राह पर चलते अच्छे इन्सान बनें।
– हाकिम सिंह इन्सां, ब्लॉक सिंहसर, नरवाना।
जब से मैंने पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के वचनानुसार जीवन जीना शुरू किया है तब से जिंदगी में वारे न्यारे हो गए हैं। आज मेरा पूरा परिवार व रिश्तेदारी सब डेरा सच्चा सौदा से जुड़े हैं और हर भंडारे पर सेवा करने आते हैं। आज मैं अपने 4 वर्षीय साले विहान सोनी इन्सां को डेरा सच्चा सौदा दरबार लेकर आया हूँ ताकि उनके साथ आने वाली पीढ़ी भी बुराइयों का त्याग कर नेकी के रास्ते पर चले और अपना जीवन संवारे।
-अर्शदीप इन्सां, ब्लॉक आगरा, उत्तर प्रदेश
हम अपने दादा जगदीश इन्सां के साथ पिछले 4 वर्षों से डेरा सच्चा सौदा दरबार में आ रहे हैं। यहां आने पर पूज्य गुरु जी हर भंडारे में कुछ नया सिखाते हैं और बुरी आदतों से दूर रहकर दूसरों की सहायता करने की शिक्षा देते हैं। जितने अच्छे संस्कार यहां मिलते हैं, वो कहीं ओर शायद ही मिलते हों। जब भी हम किसी प्रेमी के घर जाते हैं तो हमें वहां पर इन्सानियत से जुड़ी बातें और प्रेरणा जरूर मिलती है। ये सब पूज्य गुरु जी की बदौलत ही संभव हुआ है।
-सुहानी इन्सां, पाली इन्सां व दीपांशु इन्सां ब्लॉक भट्टू, फतेहाबाद।
मैं डेरा सच्चा सौदा से करीब 25 साल से जुड़ा हूँ और मेरा पूरा कुणबा भी इसे राह पर चाल रया सै। अर बात करी जा इस दर की तो दुनियां में दूसरा इसा दरबार नी पावेगा, जित्त सारे धर्मां न एक सा मान्या जावै सै अर सारयां का दिल तै सम्मान कर्या जा सै। आज मैं चाहूं सूं अक मेरे पौत्र नीत अर् मीत गेल्या नाती भी इस रूहानियत के दर तै जुड़कर आपणे जीवन मैं खूब तरक्की करैं। Sirsa News
-राजेन्द्र इन्सां, ब्लॉक गंगवा हिसार।
मैं अज तों 3 महीने पहल्यां ए गुरूमंत्र लीत्ता है और अज मैं और मेरी बेटी समरवीर कौर ऐथे डेरा सच्चा सौदा दरबार आए हां। ऐथे आके मैंनू बहुत ही चंगा लगेया। मन नू बड़ा सुकुन ते शान्ति महसूस होई। अज मैं आपणे आप नूं बड़ी ही खुशनशीब समझदी हां कि मेरा ससुराल अते मायका दोवें रूहानियत दे इस सच्चे दर दे नाल जुड़े नें। मैं चाहंदी हाँ कि मेरा पूरा जीवन सच्चे सतगुरु के चरणां गुजरे।
– जसपाल कौर इन्सां, ब्लॉक समाना पटियाला।
मैं ऐसी दुनिया में मशगूल था जहां स्वार्थ व पैसा सब कुछ है। लेकिन जब से गुरूमंत्र की अनमोल दात प्राप्त की है तब से मुझे मानव जीवन के असल महत्व का पता चला है। आज मैं अपनी दोहती आयरा के साथ यहां आया हूँ ताकि वो इस इन्सानियत व नेकी की राह पर अग्रसर हो सके।
-वेद प्रकाश इन्सां, ब्लॉक नांगलोई दिल्ली।
कोये वक्त इसा था म्हारे परिवार न कोई एक कप दूध के पिसे उधार देण न तैयार ना था। बुरै हाल मैं जीवां थे। पूज्य गुरु जी की रहमत तै एक दिन प्रेमी भैण म्हारै परिवार नै डेरा सच्चा सौदा सरसा लेकै नै आई अर गुरु जी पै गुरूमंत्र दिवाया। जिकै पाच्छै परिवार मैं पिताजी की ऐसी रहमत बरसी, जिनैं शब्दां मैं ब्यान नी कर सकदे। आज म्हारै धोरै चंगा कामकाज, बढ़िया मकान अर गाड़ी सै। नाम लेया पाच्छे पूरा परिवार अर कुणंबा सेवा-सुमिरण में जुट ग्या और इब तै नई पीढ़ी नै भी इसे रास्ते पै चलावांगे ताकि वैं हमेशा खुशहाल रहवैं।
-रामकुमार इन्सां व सिवा इन्सां ब्लॉक हांसी, हिसार।
जब तक मैंने गुरूमंत्र नहीं लिया था तब तक मुझे इन्सानियत की परिभाषा का कुछ भी पता नहीं था। फिर जब पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने गुरूमंत्र की अनमोल दात बख्शी और पावन वचनों से निहाल किया तो आज जीवन पूरी तरह से बदल गया है। पूज्य गुरु जी की दया मेहर से आज 30वीं बार रक्तदान किया है। मेरा ब्लड ग्रुप ‘ए नेगेटिव’ है। जब भी किसी जरूरतमंद को रक्त की जरूरत पड़ती है तो कोशिश रहती है उसकी मदद की जाए। ये सब पूज्य गुरु जी की पावन शिक्षाओं की बदौलत ही संभव हुआ है।
– सरदारा सिंह इन्सां, ब्लॉक गुहला, कैथल।
पूजनीय परमपिता शाह सतनाम जी महाराज तै मनैं गुरुमंत्र लिया था। फेर मैं दरबार में आण लाग ग्या। जब इंटरनेशनल स्कूल बणण लाग रया था तो मैं सेवा में आया होया था अर् मेरी तबियत खराब रहण लाग गी। एक भाई ने बताया कि अस्पताल में चाल कै नै रिपोर्ट करवा ले। डॉक्टरां ने मेरै कैंसर बता दी। बीमारी का इलाज बहोत महंगा अर् लाम्बा था। थके हारे मनै वा रिपोर्ट पिता जी के सामणे रखकै नारा लगाया और अरदास करी। इब मेरी ज़िंदगी की डोर तेरे हाथ मैं सै, अर सेवा में जुट ग्या। कुछ दिनां पाच्छै रिपोर्ट नोर्मल आई और ईबे सब ठीक ठाक है। ईब 81 साल का हो ग्या। दरबार मैं सेवा करां सां अर मौज मारां सां।
-भागू राम इन्सां, ब्लॉक कलायत।
मैंने अपने 68 वर्ष के जीवन में डेरा सच्चा सौदा से बहुत कुछ पाया है। आज जो कुछ मेरे पास है वो सब पूज्य गुरु जी की देन है। नामदान से पूर्व मैं दर-दर की ठोकरें खाता फिर रहा था। जब से मैंने पूज्य गुरु जी से नाम की अनमोल दात प्राप्त की। उसी समय से थर्मल पावर पानीपत में नौकरी लग गई। उसके बाद से आज तक मैं अपने पूरे परिवार के साथ डेरा सच्चा सौदा में सेवा में आता हूँ। अब अपने पोते असमीत को भी यहां लेकर आता हूँ, ताकि समय रहते ये इन्सानियत की सेवा में लग जाए। Sirsa News
-महेन्द्र पाल इन्सां, ब्लॉक यमुनानगर।
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