खरखौदा (सच कहूँ/हेमंत कुमार)। क्षेत्रीय मशरूम अनुसंधान केंद्र मुरथल सोनीपत (एमएचयू) में आयोजित मशरूम उत्पादन (Mushroom Production) प्रसंस्करण व विपणन विषय पर पांच दिवसीय कार्यशाला का शुक्रवार को समापन किया गया। कार्यशाला में सोनीपत के अलावा प्रदेशभर के 62 प्रतिभागियों ने भाग लिया। प्रशिक्षण कार्यशाला में मुख्य अतिथि के तौर पर मशरूम अनुसंधान निदेशालय सोलन के पूर्व निदेशक डॉ मंजीत सिंह ने शिरकत की। केंद्र निदेशक डॉ अजय सिंह ने मुख्य अतिथि का स्वागत किया। कार्यक्रम के संयोजक डॉ. मुनीष रहे। Kharkhoda News
मशरूम अनुसंधान निदेशालय सोलन के पूर्व निदेशक डॉ. मंजीत सिंह ने कहा कि भारत में मशरूम उत्पादन की अपार संभावनाएं है, किसान इसे एग्री इंटरप्राइजेज के तौर पर शुरू कर सकता है, व्यवसाय के तौर पर काम आगे बढ़ा सकता है। जिससे न केवल किसान तेजी से आर्थिक उन्नति कर पाएगा, साथ ही दूसरों के लिए रोजगार के नए अवसर सृजित कर पाएगा। उन्होंने कहा कि किसान, युवा कम जगह में मशरूम उगाकर भारी मुनाफा कमा सकता है, लेकिन मशरूम की खेती करने से पहले प्रशिक्षण हासिल करना चाहिए ताकि खेती के दौरान आने वाली दिक्कतों को आसानी से दूर किया जा सकें। Kharkhoda News
उन्होंने कहा कि इन सब चीजों को ध्यान में रखते हुए मशरूम अनुसंधान केंद्र मुरथल के वैज्ञानिक संस्थान निदेशक डॉ. अजय सिंह के नेतृत्व में लगातार ट्रेनिंग करवाते हैं। उन्होंने कहा कि जो प्रतिभागी सेंटर से ट्रेनिंग लेकर जा रहे हैं, वे मशरूम को उगाएं, अगर नहीं उगा सकते तो इसे भोजन में अनिवार्य रूप से शामिल करें। क्योंकि मशरूम में विटामिन डी3 ओर प्रोटीन की काफी मात्रा होती हैं, जो स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक हैं। Kharkhoda News
प्रशिक्षण कार्यशाला का उद्घाटन क्षेत्रीय मशरूम अनुसंधान केंद्र निदेशक डॉ. अजय सिंह द्वारा किया गया था। केंद्र निदेशक डॉ. अजय सिंह ने प्रतिभागियों को मशरूम की विभिन्न प्रकार के मशरूमों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। प्रतिभागी एसी संरचना में मशरूम की खेती कैसे करें, किस मौसम में कौन से मशरूम की खेती करें, इन सब बातों के बारे में प्रतिभागियों को जानकारी दी। उन्होंने मशरूम के औषधीय गुणों के बारे में विस्तार से बताया। निदेशक ने बताया कि मशरूम विभिन्न किस्मों की होती हैं, लेकिन हमारे क्षेत्र में ज्यादातर बटन मशरूम उगाई जा रही हैं। उम्मीद है कि जो किसान, युवा, उद्यमी सेंटर से ट्रेनिंग लेकर जा रहे हैं, वे अपने-अपने क्षेत्रों में अन्य मशरूमों को उगाने के लिए जागरूक करेंगे और मशरूम का उत्पादन बढ़ाने में मदद करेंगे।
उन्होंने कहा कि सेंटर से बहुत से किसान ट्रेनिंग लेकर गए हैं, जो अब सफल उद्यमी बन चुके हैं। उम्मीद है कि ट्रेनिंग लेकर जाने वाले किसान भी सफल किसानों, उद्यमी की श्रेणी में खड़े होंगे। उन्होंने कहा कि एमएचयू के संस्थान द्वारा मशरूम सहित विभिन्न विषयों पर ट्रेनिंग कार्यक्रम लगातार चलते रहते हैं। सेंटर से हजारों युवा, किसान, उद्यमी प्रशिक्षण प्राप्त कर चूके है, इनमें से काफी युवा, किसान सफल उद्यमी बन चुके है, जो दूसरों के लिए रोजगार के नए अवसर सृजित करने में योगदान दे रहे है। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान प्रतिभागियों को प्रोग्रेसिव किसानों द्वारा बनाए गए मशरूम फार्म का भ्रमण करवाया गया ताकि प्रतिभागी धरातल पर जाकर अपनी जिज्ञासाओं को शांत कर सकें। मौके पर संस्थान के वैज्ञानिक व स्टाफ मौजूद रहा। Kharkhoda News
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