प्राथमिक स्कूल में छात्र 90 व शिक्षक एक
-
सीएसआर के तहत भी स्कूल की हो सकती है कायापलट
सच कहूँ/संजय मेहरा, गुरुग्राम। शिक्षा नीति में बदलाव, शिक्षा का अधिकार जैसे कानून तो हमारे देश में लागू हो चुके हैं, लेकिन जब धरातल पर सुविधाएं, जरूरतें ही पूरी न हो तो फिर ये कानून बौने हो जाते हैं। अक्सर स्कूलों में बिल्डिंग खराब व अन्य कमियां तो खूब सुनने में आती हैं, लेकिन यहां एक स्कूल ऐसा है, जहां पर शिक्षकों का ही टोटा है। जिले में 44 साल पुराने इस स्कूल में 90 विद्यार्थियों पर मात्र एक शिक्षक है। ऐसे में हम समझ सकते हैं कि कैसे बच्चों की शिक्षा की नींव मजबूत होगी।
गुरुग्राम जिला के उत्तर-पूर्व दिशा में खंड सोहना में जिला का अंतिम गांव है चमनपुरा। चमनपुरा पूरी तरह से अनुसूचित जाति का गांव है। यहां वर्ष 1976 में राजकीय प्राथमिक विद्यालय (कोड-12433) शुरू किया गया था। पिछले 44 साल से यह स्कूल संचालित किया जा रहा है। गांव के इस सरकारी स्कूल में अनुसूचित जाति के बहुत ही गरीब परिवारों के लगभग 90 विद्यार्थी पढ़ाई कर रहे हैं। बेहद ही चिंताजनक पहलू यह है कि इन 90 विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए यहां मात्र एक ही शिक्षक है। नियम तो छात्र अनुपात संख्या 25:1 का है। यानी 25 छात्रों को पढ़ाने के लिए एक शिक्षक हो। इस हिसाब से इस स्कूल में 90 छात्रों पर 4 शिक्षक होने चाहिए। यहां तो स्कूल के एक ही शिक्षक पर पहली से पांचवीं कक्षा तक पढ़ाई का भी जिम्मा है। साथ ही स्कूल की बाकी कागजी कार्यवाही भी करनी पड़ती है।
ड्रॉप आउट को ला रहे, पहले वालों की चिंता नहीं
ड्रॉप आउट यानी स्कूल छोड़कर गए बच्चों को वापस सरकारी स्कूलों में लाने के लिए सरकार ने खूब जोर लगाया है, लेकिन स्कूलों में शिक्षकों की संख्या बढ़ाने पर अभी तक कुछ नहीं किया गया है। चमनपुरा जैसे और भी अनेक स्कूल हैं, जिनमें शिक्षकों का टोटा है। आखिर गांव के बच्चे क्या तो शिक्षा ग्रहण करेंगे और क्या उनका भविष्य होगा, यह तस्वीर साफ है। स्कूल की इस स्थिति पर बच्चों के अभिभावक भी चिंतित हैं। कोरोना महामारी में गरीब परिवार के विद्यार्थियों के अभिभावकों द्वारा ऑनलाइन शिक्षा के लिए संसाधन जुटाना भी असंभव ही था। इसलिए वे शिक्षा से वंचित ही रहे।
आज तक सीएसआर फंड भी नहीं पहुंच पाया
सीएसआर (कारपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी) फंड से शहर के अनेक स्कूलों की कायापलट की गई है, लेकिन जिन स्कूलों को हकीकत में मदद चाहिए, वे चमनपुरा गांव जैसे स्कूल हैं। सरकार कुछ करे या ना करे, कम से कम सीएसआर फंड से इस स्कूल में कुछ सुविधाएं दी जा सकती हैं। चमनपुरा गांव के स्कूल में अन्य कमियों के साथ शुद्ध पानी पीने की भी कमी है। अन्य स्कूलों में तो बच्चों के लिए शुद्ध पानी के लिए वाटर कूलर और आरओ तक लगाए गए हैं, लेकिन चमनपुरा के बच्चों से यह एक सपने जैसा ही है। गुरुग्राम जिला प्रशासन का भी इस ओर कोई ध्यान नहीं है।
अब चंडीगढ़ जाएंगे ग्रामीण
इसी गांव के निवासी पेशे शिक्षक व समाजसेवी कल्याण सिंह भारत बताते हैं कि अनुसूचित जाति के बच्चों को शिक्षा से वंचित किया जा रहा है। वे खुद जिला उपायुक्त और जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी को लिखित में मांग पत्र दे चुके हैं। इस व्यवस्था में सुधार के लिए गुहार लगा चुके हैं। कल्याण सिंह भारत ने बताया कि जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी गुरुग्राम ने इस मामले में निदेशालय मौलिक शिक्षा विभाग पंचकूला को पत्र जरूर लिखा है, लेकिन अभी तक इस पर कुछ काम नहीं हो पाया है। इस समस्या को लेकर जल्दी ही वे ग्रामीणों को साथ लेकर चंडीगढ़ में मुख्यमंत्री, उप-मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री तथा स्कूल शिक्षा विभाग के अतिरिक्त प्रधान सचिव व निदेशक से मिलकर समस्या का समाधान करने की मांग करेंगे।
कई बार अधिकारियों से की है मांग : सरपंच अजय
गांव के सरपंच अजय का कहना है कि स्कूल में शिक्षकों के लिए कई बार अधिकारियों से मांग की जा चुकी है। अधिकारियों ने उन्हें ही अपने स्तर पर इंतजाम करने को कहा। पंचायत के पास ऐसा फंड नहीं है कि वह स्कूल में शिक्षक रखे।
अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter, Instagram, LinkedIn , YouTube पर फॉलो करें।