Happy Diwali 2023 Wishes: त्योहार हमारे लिए सुख, समृद्धि और हर्षोल्लास का प्रतीक होता हैं। हर त्योहार मनाने के तरीके अलग अलग हो सकते है मगर इनका मूल अभिप्राय अंतस की शुद्धता, ऊर्जा का संचार और सुख की अनुभूती ही होता है। प्रत्येक त्योहार मनाने के पीछे भी आध्यात्मिक, दार्शनिक, वैज्ञानिक और मनोवैज्ञानिक कारण छुपे होते है। इनको पहचाने बिना उत्सव मनाना भी एक अज्ञानता ही होगी। अब अगर बात दीपोत्सव की है तो इसका भी मूल आध्यात्मिक और दार्शनिक भाव है-‘असतों मा सदगमय, तमसो मा ज्योतिर्गमय’। यानि अज्ञानता के अन्धकार से मुक्त करके ज्ञानरुपी प्रकाश की ओर ले जाने का पर्व।यह पर्व संकल्प का पर्व भी है और सबसे बड़ा संकल्प है मनुष्य को अपने आप को भीतर से बदलने का संकल्प करना।हालांकि नैतिक मूल्यों को ग्रहण करना कठिन होता हैं मगर हर साल का पर्व आगमन हमें नैतिकता को धारण करने का सतत अवसर उपलब्ध करवाता है। Diwali 2023
वहीं आध्यात्मिक रूप से यह पर्व बन्धन से मुक्ति का पर्व माना जाता है। दीपक प्रतीक है आत्मा के उज्ज्वल रूप का और आपके द्वारा प्रज्वलित ज्योति सद्गुण का भाव है। दीपावली तो हर साल मनाते आ रहे है मगर इस बार इस उत्सव के पीछे छिपे असली संदेश को अपने जीवन में उतारकर कुछ नई सी दीवाली मनाएं। एक ऐसी दीपावली जो क्षणिक खुशी का कारण ही नहीं बने बल्कि जीवनभर की खुशहाली लेकर आए। आज हमारा समाज जिस मोड़ पर खड़ा है उस लिहाज से दीपावली के मूल संदेशों को जीवन में उतारना बेहद प्रासंगिक हैं। यह बात ध्यान रखे कि दीवाली का मकसद कभी भी सिर्फ लक्ष्मी के आगे दीपक जलाकर धन मांगना, पटाखे फोड़ना प्रदूषण फैलाना और मिठाई खाना नहीं रहा है। Diwali 2023
यह पर्व तो है अपने भीतर के अज्ञान रूपी अन्धकार के साम्राज्य को मिटाकर ज्ञान को बसाने का। दीपक आत्म ज्योति का प्रतीक है जो हमें भीतर के बुरे विचारों, बुरे आचरण और बुरे कर्मों को मिटाकर पवित्र बनने का संकेत देता है। इसे समझना है हमें। यदि आपके जीवन का एक भी पहलू अंधकारमय होगा तो आपका जीवन कभी भी पूर्णता अभिव्यक्त नहीं कर सकेगा। दियों की श्रृंखला का भाव है कि यदि आपके अंदर सेवा का भाव है तो उससे संतुष्ट न रहो बल्कि अपने सेवा भाव को ओर अधिक विस्तार दो।अपने अस्तित्व के सभी पहलुओं को प्रकाशित करने का प्रयास करें।इस त्योहार का एक और गुण रहस्य पटाखों के फूटने के भाव में दबा है।जीवन में हम कई बार पटाखों के समान होते है, अपने भीतर हताशा, अवसाद, क्रोध, ईर्ष्या आदि के साथ फूट पड़ने की सीमा तक पहुंचे हुए।पटाखों को फोड़ने की क्रिया लोगों की भावनाओं को अभिव्यक्ति देने का एक मनोवैज्ञानिक अभ्यास का रूप है। Diwali 2023
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विस्फोट का मतलब हुआ अपनी दबी हुई भावनाओं से मुक्त होना। हृदय से खाली हो जाना।अब यदि आपके परिवार का एक भी सदस्य अन्धकार में है तो आप खुश नहीं रह सकते।सोना चांदी की पूजा तो करते है मगर ये केवल बाहरी प्रयोग मात्र है। बुद्धिमत्ता और उच्च नैतिक आचरण ही वास्तविक धन है। हमारा चरित्र, शांत स्वभाव और आत्म विश्वाश असली पूंजी है। यह त्योहार सदियों से प्रत्येक व्यक्ति को शांति और सौहार्द सिखाता आ रहा है। यह भी ज्ञात है कि इस शुभ अवसर पर बुराई का त्याग और अच्छाई का सत्कार करना होता है मगर ऐसा अपने जीवन में कर पाना असली चुनौती है। दीप जलाने का मतलब केवल प्रकाश करना तो है नहीं।
इसका मतलब तो हुआ अपने हृदय को ज्ञान के प्रकाश से भर देना। आत्मा के अंदर सदवृत्ति और सदाचार को बसा लेना। इस तरह यह जागरूकता और भीतर के जश्न का उत्सव है।अच्छे स्वास्थ्य, सम्पत्ति और समृद्धि की साझा मनोकामना को फलीभूत करने का दिवस है यह प्रकाश का पर्व। मनुष्य के साथ समाज और अपने राष्ट्र के अन्धकार को समाप्त करके भ्रातृत्व, प्रेम और आनंद का संदेश देता है यह पर्व। अपने घर और आसपास की स्वच्छता के साथ अपने मन की सफाई भी करनी है यह भी इसका मूल है।मन से आशीर्वाद, बुद्धि और धन धान्य प्राप्त करने की अभिलाषा के साथ ही उसका जनकल्याण में उपयोग करना ही सच्ची पूजा है। घर की सजावट और रंगोली यह प्रेरणा देती है कि हम अपने आचरण से इसी तरह आनंदमय बने।अपने आप को लोक कल्याण की भावना से सजाएं।दरअसल पाप अज्ञान के पर्दे के भीतर ही होते है। केवल ज्ञान ही हमें सन्मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है।
अत: आलोकित होने वाली दीपकों की कतारें हमें निरंतर ज्ञान के प्रकाश का संदेश देती है उसे हमें ग्रहण करना है। हम दीपोत्सव पर धन प्राप्ति की याचना की बजाय ईश्वर से यह प्रार्थना करें है कि है भगवन! हमें ऐसी शक्ति दो कि हम अपने अंतरतम की कालिमा का परित्याग करके अपने आप को निर्मल बनाएं तथा ज्ञान का संबल प्राप्त करें। कतारबद्घ दीपकों से यह प्रेरणा लें कि हम उससे सहयोग का सबक सीखकर उसकी पृष्ठभूमि में छिपे हुए दर्शन को व्यावहारिक रूप में ढालेंगे और संसार को उससे आलोकित करेंगे। हमें लौ के उजाले को अपने आत्मा के उजाले से इस तरह से जोड़कर रखना होगा ताकि प्रकाश का पुंज ओर तीव्र होकर भ्रम के कोहरे को पार कर हमारे भीतर को प्रदीप्त कर सकें। जब तक आपके अंदर की भावना संकुचित है, तब तक आपका त्योहार मनाना व्यर्थ है।
यही हमें अपनी जीवन धारा को सही दिशा में ले जाएगा। तो इस दीवाली अपने हृदय में द्वेष, ईर्ष्या, अहंकार और मोह को त्यागकर बेसहारों का सहारा बनें। अनाथों के घर को रोशन करें। उनके साथ खुशियां मनाएं। किसी जरूरतमंद की सेवा ही असली पूजा है। हमारे शास्त्रों में भी कहा गया है कि -‘ नर सेवा ही नारायण सेवा है।’आपके भीतर ऐसा प्रकाश छुपा है जिसे बाहर लाकर आप गुमनाम जीवन जी रहे लोगों के जीवन को रोशन कर सकते है।बस इस बात का मान रखें और दीपावली दीपक वाली के साथ ही दिलवाली मनाएं, जिसकी यादें हमारे जीवन को हमेशा महकाएं।त्योहार मनाना चाहीए जीवन जीने को लिए। कल्याण के लिए। खुशियां बांटने के लिए।मानवीयता को कायम करने के लिए।