अगर कोरोना एक युद्ध की शुरुआत है, तो भारत कितना तैयार है?

If Corona is the beginning of a war, how ready is India
दृश्य 1: चीन बीमार हो जाता है, एक ‘संकट’ में प्रवेश करता है और अपने व्यापार को पंगु बना देता है। पर्दा बंद हो जाता है।
 2: चीनी मुद्रा का अवमूल्यन होता है। वे कुछ नहीं करते। पर्दा बंद हो जाता है।
 3: यूरोप और अमेरिका की कंपनियों के व्यापार में कमी के कारण इन कंपनियों के शेयरों के भाव गिर जाते है, उनके मूल्य के 40% तक जो चीन में स्थित हैं चीन कुछ नहीं करता है।
 4: दुनिया बीमार है, चीन-यूरोप और अमेरिका की कंपनियों के शेयर 30% से भी कम कीमत पर खरीद लेता है। जब दुनिया में इस बीमारी के कारण सारे व्यापार धंधे बंद पड़ जाते है, पर्दा बंद हो जाता है।
 5: चीन ने इस बीमारी को नियंत्रित कर लिया है और अब वह यूरोप और अमेरिका में कंपनियों का मालिक है। क्योंकि यहां व्यापार धंधे ध्वस्त हो चुके हैं और वह यह तय करता है कि ये कंपनियां चीन में रहें और 20,000 बिलियन डालर कमाएं। पर्दा बंद हो जाता है। नाटक इसे कहा जाता है?
स्कैन: शह और मात!
फिर से देखना लेकिन सच है। कल और आज के बीच दो वीडियो जारी हुए हैं, जिनसे मुझे कुछ संदेह हुआ। कोई जरूरी नहीं हो सकता हो यह सिर्फ मेरी अटकल हो। पर मुझे विश्वास है कि कोरोनोवायरस का जानबूझकर स्वयं चीन द्वारा फैलाया गया था। वो पहले से ही तैयार थे इस नाटक के शुरू होने के तीन हफ्ते में ही उन्होंने 12,000 बिस्तर वाले अस्पताल पहले से ही बनवा लिए कैसे? क्या वास्तव में उन्होंने इनका निर्माण दो सप्ताह में किया हो, यह हो नहीं सकता वो उनका निर्माण पहले से ही कर चुके थे क्योंकि ये सब एक योजना का हिस्सा था। कल उन्होंने घोषणा की कि उन्होंने महामारी को रोक दिया है। वे जश्न मनाते हुए वीडियो में दिखाई देते हैं, वे घोषणा करते हैं कि उनके पास एक टीका भी है। सभी आनुवंशिक जानकारी के बिना वे इसे इतनी जल्दी कैसे बना सकते हैं? पर यदि आप खुद ही इस नाटक के निर्माता हो तो यह बिल्कुल मुश्किल भी नहीं है।
आज मैंने सिर्फ एक वीडियो देखा जो बताता है कि कैसे जिनपिंग जोकि दुनिया के शक्तिशाली देश का राष्ट्रपति है, उसने पूरी दुनिया को बगैर किसी युद्ध के घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया। कोरोना वायरस के कारण, चीन में पश्चिमी देशों कंपनियों का कारोबार नाटकीय रूप से गिर गया जब दुनिया भर के स्टॉक एक्सचेंजों में इन कंपनियों के शेयर के भाव गिर गए तो उन्हें चीनियों द्वारा खरीद लिया गया। अब चीन, अमेरिका और यूरोप में इन्हीं एक्सचेंजों और अपनी पूंजी द्वारा यह तय करेगा कि बाजार का रुख केसा होगा और कीमतों को निर्धारित करने में सक्षम होगा पश्चिम को अपनी जरूरत की हर चीज बेचने के लिए। क्या गजब की योजना?
हां, इसमें संयोग से कुछ बूढ़े मर गए? कम उम्र के लोग भी मारे गए पर ना तो चीन को इसकी परवाह है और ना ही कोई बड़ी समस्या, वो इनके परिजनों को थोड़े समय मुआवजे के रूप में पेंशन दे देगा, पर इसके एवज उसने कितनी बड़ी लूट की है। और अभी पश्चिम आर्थिक रूप से पराजित है, संकट में और बीमारी से स्तब्ध। और बिना कुछ जाने की यह सब एक योजना का हिस्सा है और बहुत ही सोच समझ कर बनाई गई परफेक्ट योजना। अब चीन 1.18 ट्रिलियन होल्डिंग वाले जापान के बाद अमेरिकी खजाने के सबसे बड़े मालिक है।
अब देखिए इस नाटक के दूसरे किरदारों का रोल कैसे रूस और उत्तर कोरिया में करोना नामक घातक बीमारी के केस इतने कम है या नहीं है जबकि बे तो चीन के सहयोगी है उनके आपस में आवाजाही भी ज्यादा है फिर भी क्युकर उनके यहां करोना ने वैसा विकराल रूप दिखाया जैसा की अन्य अमेरिकी और यूरोपीय देशों में देखने को मिला। क्या इसलिए कि वे चीन के कट्टर सहयोगी हैं। दूसरी ओर संयुक्त राज्य अमेरिका/ दक्षिण कोरिया/ यूनाइटेड किंगडम/ फ्रांस/ इटली/ स्पेन और एशिया गंभीर रूप से प्रभावित हैं।
कैसे वुहान अचानक घातक वायरस से मुक्त हुआ? चीन का कहना है कि उसके द्वारा उठाए गए कठोर उपाय के कारण वुहान कोरोना से मुक्त हो गया कैसे व कौन से उपाय थे, चीन ने अब तक इसका खुलासा नहीं किया। चलिए, हम इसको इस तरह से देखते है कि वुहान ही क्यों जो वायरस पूरी दुनिया में फैल गया वो वायरस चीन के दूसरे हिस्सों में क्यों नहीं फैला, बीजिंग जोकि चीन की राजधानी थी वह इसका कोई भी असर देखने को क्यों नहीं मिला। क्या एक संक्रमित बीजिंग तक नहीं पहुंचा जबकि पूरी दुनिया में संक्रमण फैल चुका है या फिर इस नाटक को सिर्फ वुहान के लिए रचा गया था। क्या एक भी संक्रमित व्यक्ति ने नवम्बर से लेकर जनवरी तक वुहान से चीन के अन्य हिस्सों में यात्रा नहीं की, जबकि इसके उलट ये संक्रमित दुनिया लगभग हर कोने में पहुंच गए वो भी अच्छी खासी तादाद कैसे और क्यों? बीजिंग में कोरोना से एक व्यक्ति नहीं मरा? और सिर्फ वुहान में हजारों लोग मर गए। यह विचार करना और दिलचस्प है कि अब कैसे चीन ने इस पर काबू पा लिया। उन्होंने इसका क्या इलाज किया और फिर अब उसे व्यापार के लिए खोल भी दिया। आखिर कैसे जबकि दुनिया भर के डाक्टर इसका इलाज ढूंढ रहे हैं तो चीनी लोगों ने कैसे ये चमत्कार कर लिया।
खैर…करोना को हमें व्यापार युद्ध में यूएसए द्वारा चीन की बांह मोड़ने की पृष्ठभूमि में देखा जाना चाहिए। अमेरिका और उपर्युक्त सभी देश आर्थिक रूप से तबाह हैं। जल्द ही अमेरिकी अर्थव्यवस्था चीन की योजना के अनुसार ढह जाएगी। चीन जानता है कि वह अमेरिका को सैन्य रूप से नहीं हरा सकता क्योंकि अमरीका वर्तमान में दुनिया में सबसे शक्तिशाली देश है। तो उसने यहां वायरस का उपयोग किया… जोकि अमेरिकी अर्थव्यवस्था और रक्षा क्षमताओं को पंगु बना दे। मुझे यकीन है कि नैन्सी पेलोसी (जोकि अमेरिकी विपक्षी दल की नेता है) को भी इसमें एक हिस्सा मिला होगा…. ट्रम्प को पछाड़ने के लिए। राष्ट्रपति ट्रम्प हमेशा से यह बताते रहे हैं कि कैसे अमेरिकी अर्थव्यवस्था सभी मोर्चों पर सुधार कर रही थी और नौकरियां संयुक्त राज्य अमेरिका में वापस आ रही थी। नैन्सी पेलोसी महाभियोग के माध्यम से ट्रम्प को नीचे लाने में असमर्थ थी… इसलिए क्यों ना चीन के साथ मिलकर एक वायरस जारी करके ट्रम्प को नष्ट कर दिया जाए। वुहान की महामारी एक सोची समझी साजिश थी।
आप ही सोचिए महामारी के चरम पर… चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग… उन प्रभावी क्षेत्रों का दौरा करने के लिए जाते वक्त बस एक साधारण आरएम-1 फेश मास्क पहने हुए थे जबकि इटली में इस महामारी का इलाज कर रहे डाक्टर पूरी तरह कवर होने और सावधानी बरतने के बाद भी संक्रमित हो रहे है। राष्ट्रपति के रूप में उन्हें सिर से पैर तक ढंका जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं था क्यों? क्या इसीलिए की इस महामारी से होने से किसी भी प्रकार नुकसान से बचने के लिए उन्होंने पहले से ही कोई टीका लगा रखा था। इसका मतलब है कि इस महामारी का इलाज पहले ही ढूंढ लिया गया था। बाद में इस वायरस को फैलाया गया है।
शायद यह सब चीन की योजना थी अब चीन अधिकतर शेयर स्टॉक खरीदने के बाद विश्व अर्थव्यवस्था को नियंत्रित करने के बाद में चीन यह घोषणा करेगा कि उनके मेडिकल शोधकतार्ओं ने वायरस को नष्ट करने का इलाज ढूंढ लिया है और इस तरह इस नाटक की समाप्ति की घोषणा हो जाएगी और बिना किसी युद्ध के चीन ने अपना साम्राज्य पूरी दुनिया में फैला दिया। अब वह अपने देश में बैठे-बैठे ही किसी भी देश की अर्थवयवस्था को हिला सकता है जैसा कि अभी भारत ने मलेशिया के साथ किया था। जब मलेशिया के राष्ट्रपति ने धारा 370 के खिलाफ बयान दिए थे, उसके बाद भारत ने वहां के बाजार को हिलाकर रख दिया। ऐसा ही अब चीन भी अपने सभी पश्चिमी गठबंधनों के साथ मिलकर विश्व की अलग देशों की अर्थव्यवस्था के साथ करेगा और ये देश बहुत जल्द ही अपने नए मास्टर… चीन के गुलाम हो जाएंगे। भविष्य का युद्ध हथियारों से नहीं व्यापार से शेयर स्टॉक से लड़ा जाएगा और चीन ने इस विश्व युद्ध की शुरूआत कर दी है। आपको हमें और देश को समझना होगा कि इस तरह के युद्ध में हमारी रणनीति क्या हो?
साभार: सोशल मीडिया

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