राष्ट्रीय हरित प्राधिकरणनेगंगा के पानी की स्थिति पर को लेकर जताई चिंता
नई दिल्ली (एजेंसी)। राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) ने गंगा की हालत पर बेहद चिंता जताई है। साथ ही कहा है कि जब सिगरेट के पैकेट पर यह लिखकर चेतावनी दी जा सकती है कि यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है तो फिर गंगा नदी के ऊपर क्यों नहीं? इसके साथ ही, एनजीटी ने हरिद्वार से उन्नाव के बीच गंगा के पानी की स्थिति पर को लेकर भी अपनी नाराजगी जाहिर की है, जो नहाने और पीने के लायक नहीं है।इसके साथ ही, एनजीटी ने नेशनल मिशन फॉर गंगा क्लीन को यह आदेश दिया है कि वह हर 100 किलोमीटर की दूरी पर पर्याप्त सूचना के साथ एक बोर्ड लगाएं। उसमें गंगा नदी के पानी की क्वालिटी के बारे में पूरी सूचना हो ताकि यह पता चल सके कि वो पीने और नहाने के लायक है या नहीं।
स्वास्थ्य के लिए खतरनाक
एनजीटी ने कहा कि मासूम लोग श्रद्धापूर्वक नदी का जल पीते हैं और इसमें नहाते हैं लेकिन उन्हें नहीं पता कि इसका उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर हो सकता है। एनजीटी ने कहा, मासूम लोग श्रद्धा और सम्मान से गंगा का जल पीते हैं और इसमें नहाते हैं। उन्हें नहीं पता कि यह उनके स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है। अगर सिगरेट के पैकेटों पर यह चेतावनी लिखी हो सकती है कि यह ‘ स्वास्थ्य के लिए घातक है , तो लोगों को (नदी के जल के) प्रतिकूल प्रभावों के बारे में जानकारी क्यों नहीं दी जाए ?
राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन को सौ किलोमीटर के अंतराल पर डिस्प्ले बोर्ड लगाने का निर्देश
एनजीटी प्रमुख ए के गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा , ” हमारा नजरिया है कि महान गंगा के प्रति अपार श्रद्धा को देखते हुए , मासूस लोग यह जाने बिना इसका जल पीते हैं और इसमें नहाते हैं कि जल इस्तेमाल के योग्य नहीं है। गंगाजल का इस्तेमाल करने वाले लोगों के जीवन जीने के अधिकार को स्वीकार करना बहुत जरूरी है और उन्हें जल के बारे में जानकारी दी जानी चाहिए। एनजीटी ने राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन को सौ किलोमीटर के अंतराल पर डिस्प्ले बोर्ड लगाने का निर्देश दिया ताकि यह जानकारी दी जाए कि जल पीने या नहाने लायक है या नहीं।
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