युवाओं के समक्ष आदर्श व्यक्तित्व का अभाव
किसी भी राष्ट्र की उन्नति एवं प्रगति का दारोमदार वहां के युवाओं पर ही निर्भर करता है क्योंकि युवाओं के अन्दर (Lack Of Ideal Personality In Front Of Youth) ही वह कूव्वत होती है जिसके दम पर वे नामुमकिन को भी मुमकिन कर सकते हैं। इतिहास गवाह है कि न सिर्...
इस बार की तैयारियां कागजी न हों
आशंका के अनुरूप कोरोना महामारी का प्रकोप फिर तेज हो गया है, लेकिन लापरवाही के जो नमूने पेश हो रहे हैं, उनकी कड़े शब्दों में निंदा होनी चाहिए। ताजा लापरवाही तो निंदनीय ही नहीं, अक्षम्य भी है। इटली से अमृतसर पहुंची एक फ्लाइट में कोरोना का विस्फोट सामने ...
जान बचाकर भागना कोई हल नहीं
कश्मीर में फिर से 1990 का दौर लौटता दिखाई पड़ रहा है, जब रातोंरात हजारों हिन्दू पंड़ितों को घाटी से पलायन करना पड़ा था। चूंकि तब अलगाववादियों ने कश्मीर में अल्पसंख्यक हिन्दुओं को निशाना बनाते हुए यहां घाटी को मुस्लिम बहुल बनाने का प्रयास किया वहीं भारत ...
प्रधानमंत्री की सुरक्षा दांव पर तब आम आदमी का कौन
फिरोजपुर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सुरक्षा में चूक और काफिले का विरोध होने के कारण प्रधानमंत्री को अपना पूरा दौरा रद्द कर वापिस लौटना पड़ा, जो बेहद निंदनीय घटना है। उक्त घटना के बाद सुरक्षा में लापरवाही को लेकर पंजाब की कांग्रेस सरकार पर सवाल ...
बैंकों को डूबने से रोकिये
केंद्रीय कैबिनेट ने डीआईसीजीसी एक्ट में संशोधन को मंजूरी दे दी है। इससे किसी भी बैंक के डूबने पर खाताधारक को उसके जमा पांच लाख रुपए 90 दिनों के भीतर मिल जाएंगे। विगत वर्षों में पीएमसी बैंक, यश बैंक और लक्ष्मी विलास बैंक भी संकट में आ गए थे। भले ही यह...
कर्जमुक्त कंपनियों का बढ़ता मुनाफा
हाल ही में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के निफ्टी सूचकांक में शामिल कंपनियों के प्रतिफल का विश्लेषण किया गया, जिससे पता चला कि वैसी कंपनियां जो आंतरिक स्रोत से पूंजी जुटा कर कारोबार कर रही हैं, के प्रदर्शन में निरंतर सुधार आ रहा है। यह निष्कर्ष 911 क...
प्रेरणास्त्रोत : कर्मयोगी किसान
किसान हल जोतने के लिए खेतों में गए। आकाश में चारों ओर घटाएँ छा गई। किसानों ने जमीन साफ कर बैलों को तैयार किया और हल जोतने लग गए। बादल ने किसानों को संबोधित कर तेज आवाज में कहा, ‘‘ऐ किसानो! ये हल चलाना बंद करो और घर जाओ, अब मैं नहीं बरसूँगा।’’ किसानों...
प्रेरणास्त्रोत : दो चीटियों की बात
गुरु ने कहा- ऐसे व्यक्ति की अपनी सोच के अनुसार होता है। जो व्यक्ति जिस तरह का होता है, उसे सभी वैसे ही दिखाई देते है। फिर उन्होंने शिष्य को एक कहानी सुनाई। एक पर्वत पर दो चीटियाँ रहती थी। एक चींटी के पास शक्कर की खान थी और दुसरी चींटी के पास नमक की खान थी।
Political Party: क्या यही राजनीति है? ओछी मानसिकता का पर्याय बनी राजनीति
Political party: एक समय था जब राजनीति में आना समाजसेवा समझा जाता था। राजनीति में आकर लोग स्थानीय व राष्ट्रीय स्तर के मुद्दे उठाते थे। इन मुद्दों पर विपक्ष में सरकार चर्चा करती थी, लेकिन एक समय आज भी है जब राजनीति समाज में एक दूसरे को नीचा दिखाने के ल...
दर्शकों के टेस्ट के हिसाब से ही बदला है सिनेमा
पूरे देश में आगजनी, बसे-कारें जलाई जा रही हैं। पुलिसकर्मियों और राहगीरों पर पत्थरबाजी हो रही है।
अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को लगता है कि एक्ट उनके खिलाफ है।