पर्यावरण मुद्दों पर अमेरिका का दोहरा आचरण
पेरिस समझौते से बाहर आकर अमेरिका ने अपनी पारंपरिक आार्थिक पूंजीवादी सम्राज्यवाद की नीतियों का ही प्रमाण है। सन 2015 में हुए पैरिस समझौते पर 72 देशों ने हस्ताक्षर किए थे।
अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा ने इस समझौते से खुशी जताई थी। विकासशी...
निकाय चुनावों में मिली सफलता से बढ़ा टीएमसी का हौसला
पश्चिम बंगाल में हाल ही में हुए निकाय चुनावों में तृणमूल कांग्रेस को अच्छी खासी कामयाबी मिली जिससे पार्टी सुप्रीमो ममता बनर्जी सहित कार्यकर्ताओं को भी राहत मिली। साथ ही उनकी हौसला अफजाई भी हुई है। चुनाव से पहले टीएमसी में उहापोह की स्थिति थी। प्रदेश ...
पाकिस्तान परस्त मानसिकता और कश्मीर का दर्द
वर्तमान में भारतीय सेना के शौर्य और पराक्रम के चलते निश्चित ही पाकिस्तान के मंसूबे ध्वस्त हो रहे होंगे। इसमें सबसे बड़ी बात यह है भारत की जनता भी यह समझने लगी है कि धीरे धीरे यह अब राष्ट्रद्रोही भाषा बोलने वालों के दिन लद चुके हैं। सोशल मीडिया पर ऐसे ...
प्राकृति पशु एवं मनुष्यता
प्राकृति मनुष्य व हर जीव प्राणी को जीवन जीने की परिस्थितियां उपलब्ध करवाती है। किसी जीव से उसका जीवन छीन लेने का मनुष्य को कोई अधिकार नहीं है। पशु एवं पंक्षी भी इस प्रकृति की सुंदरता हैं। फिर जो पशु पक्षी मनुष्य के लिए वरदान जैसे हों, उनकी हत्या करना...
अर्थव्यवस्था में जमीनी समस्याओं का हो समाधान
अर्थव्यवस्था के तीन अंग हैं- प्राथमिक, औद्योगिक एवं सर्विस या सेवा क्षेत्र। ये तीनों अंग आपस में इंटरएक्ट करते हैं। प्राथमिक क्षेत्र औद्योगिक क्षेत्र को औद्योगिक क्षेत्र सर्विस क्षेत्र को। इसी भांति सर्विस सेक्टर भी औद्योगिक क्षेत्र एवं प्राथमिक क्षे...
कल्याणकारी योजनाओं में आधार का पेंच
2007 में शुरू की गई मिड डे मील भारत की सबसे सफल सामाजिक नीतियों में से एक है, जिससे होने वाले लाभों को हम स्कूलों में बच्चों कि उपस्थिति, बाल पोषण के रूप में देख सकते हैं। आज मिड डे मील स्कीम के तहत देश में 12 लाख स्कूलों के 12 करोड़ बच्चों को दोपहर क...
जाट आरक्षण पर सियासत
जाट आरक्षण पर अजीबो-गरीब तरीके से राजनीति हो रही है। राजनीतिज्ञ चालाकी से ब्यानबाजी कर रहे हैं। उनके ब्यानों में स्पष्टता की कमी झलक रही है। पार्टियों की विचारधारा स्पष्ट नहीं हो रही कि वह आरक्षण के हक में है, या नहीं। हरियाणा में गत वर्ष की तरह विपक...
अपनी तुलना करें गरीबों और जरूरतमन्दों से
बहुत से लोग हैं, जो अपने-आपमें नहीं हैं। एक बार किसी बाड़े में क्या घुस गए, अपने आपको जमींदार, ठेकेदार और मालिक समझ बैठे हैं, जैसे कि इनके बाप-दादा इन्हीं के लिए ये सल्तनत छोड़ गए हों। आदमी का अपना खुद का वजूद ज्यों-ज्यों खत्म होता जा रहा है, त्यों-त्य...
कोचिंग संस्थानों का फैलता जाल
व्यवसायिक हो चली शिक्षा पद्धति का एक अर्थजाल में फंसा रूप स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय की दुनियां से बहार निकल कर दिखाई पड़ता है। औपचारिक शिक्षा पूरी करने के बाद यदि छात्र इंजीनियर, डॉक्टर, प्रशासनिक अधिकारी या किसी सरकारी विभाग में बाबू तक बनने का ...
विवादों में घिरा खेल ढांचा
ओलंपिक के क्षेत्र में देश पहले ही पस्त हालत में है, जिसे सुधारने के लिए भारत के खेल संघों का सुधार किया जाना आवश्यक है। लेकिन खेल संघों में अभी भी व्यवस्था भ्रष्टाचार की चक्की में पिस रही है। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड का अभी विवाद थमा नहीं है कि भ...