फिर बचपन सुरक्षित है कहां?
देश की लोकतांत्रिक राजनीति गाहे-बगाहे किसानों, और अन्य लोगों की चर्चा कर लेती है। भले आखिरी में परिणाम वही हो, वहीं ढाक के तीन पात। ऐसे में पहला ज्वलंत सवाल यही है कि क्या राजनीति ने कभी देश के भावी भविष्य को याद करने की भूल की? उत्तर नहीं है किसी के...
तीन दशकों में ही दम तोड़ने लगी हैं एटीएम मशीनें
किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि बैंकिंग क्षेत्र में इस तेजी से बदलाव आएगा कि प्रतिष्ठा सूचक एटीएम कार्ड की जितनी सहज पहुंच आम आदमी तक हो जाएगी, उतनी ही जल्दी उसके अस्तित्व पर प्रश्न चिन्ह उभरने लगेगा। हमारे देश में लगभग ऐसा होने लगा है। यह प्रतिष्ठा सूच...
समानता के साथ विकास: भारत में यह आदर्श कठिन
फ्रांस के अर्थशास्त्री द्वारा हाल ही में समाचार पत्रों में प्रकाशित यह तथ्य ‘‘भारत में व्यापक विषमताएं हैं, यह ऐसा देश है जहां पर शीर्ष के एक प्रतिशत लोगों तथा कुल जनसंख्या के विकास के बीच अंतर बहुत अधिक है’’। यह तथ्य बताता है कि देश में आय में असमान...
संतुलित विकास ही मुश्किलों का समाधान
मुंबई में एक रेलवे स्टेशन के पुल पर भगदड़ से 27 मौतें होना दु:खद हादसा है। भले ही रेलवे व राज्य सरकार ने मृतकों के परिवारों के लिए आर्थिक सहायता की घोषणा कर दी है लेकिन हादसे ने जो गहरे घाव दिए हैं उसे अब समय ही भर सकता है। दरअसल हादसे का कारण संतुलित...
शर्मा जी, फेसबुक और ‘लाइक’ का चक्कर
आमेरे परम मित्र शर्मा जी इन दिनों बेहद खफा हैं। दरअसल, वे खफा आॅफलाइन मित्रों से नहीं, बल्कि आॅनलाइन मित्रों से हैं। भड़ककर कहते हैं-'भला! यह भी कोई बात हुई। चार हजार फेसबुक फ्रेंड और लाइक मात्र सात सौ। भई, बहुत हो गई, अब निष्क्रिय दोस्तों को बाहर का ...
आतंकवाद मिटाने को ‘राम’ बनायें
विजय दशमी (दशहरा) विशेष
भारत भूमि को आतंक की पीड़ा सदैव ही सहनी पड़ी है। चाहे वह सतयुग हो, त्रेता युग हो या द्वापर युग हो। इन आतंकियों को तब असुर, राक्षस, दानव, दैत्य, निशाचर जैसे नामों से पहचाना गया था। हिरण्यकश्यप, रावण, कंस ये सभी व ऐसे ही राक्षसवृ...
आतंकियों की निराशा और कायरता भरे हमले
इसे आतंकवादियों की निराशा व कायरता ही कहा जा सकता है कि अब छुट्टी पर घर आए सुरक्षा कर्मियों को उनके घरों में ही निशाना बनाया जा रहा है। जम्मू-कश्मीर में छुट्टी पर आए बीएसएफ के एक जवान की उसके घर में ही हत्या कर दी गई। इससे पूर्व लैफ्टिनैंट उमर फ्याज ...
कैसे बचेंगे सिकुड़ते ग्लेशियर
आप्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय जर्नल नेचर का यह खुलासा चिंतित करने वाला है कि ग्लोबल वार्मिंग के चलते एशियाई ग्लेशियरों के सिकुड़ने का खतरा बढ़ गया है और अगर इसे बचाने की कोशिश नहीं हुई, तो सदी के अंत तक एशियाई ग्लेशियर अपने कुल भाग का एक तिहाई खत्म हो जाए...
म्यांमार आॅप्रेशन के दूरगामी परिणाम
भारतीय सेना ने एक बार फिर प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन एनएससीएन खापलांग गुट पर अचानक हमला करके भारी क्षति पहुंचाई है। म्यांमार सीमा के निकट हुई इस मुठभेड़ में कई आतंकवादी मारे गए हैं। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में भी पिछले साल 28-29 सितंबर की रात सर...
कर्ज माफी की डींगें व कृषि की हकीकत
देश की आधा दर्जन सरकारों द्वारा किसानों के कर्ज माफी के दावे व अपनी-अपनी पीठ थपथपाने का रूझान हैरानी भरा है। दरअसल यह बात सरकारों की न तो कोई उपलब्धि है और न ही किसी मामले के हल की समझ है। मामला सुलझाना तो दूर की बात है। दरअसल कर्ज माफी के ऐलान वोटों...