भारत को भूख मुक्त करने की चुनौती
विश्व खाद्य असुरक्षा रिपोर्ट 2015 के अनुसार भारत में कुपोषण की समस्या अभी भी गंभीर बनी हुई है। यहां पर लगभग 19.46 करोड़ लोग कुपोषण के शिकार हैं और यह संख्या चीन की तुलना में 5.58 करोड़ अधिक है। संयुक्त राष्टÑ संघ की यह वार्षिक भूख रिपोर्ट खाद्य और कृषि...
गुजरात, महाराष्ट्र के बाद दूसरे राज्य भी घटाएं पैट्रोल-डीजल के दाम
कू्रड आॅयल के दाम कम होने के बावजूद देश में पैट्रोल-डीजल की बढ़ी कीमतें आमजन की कमर तोड़ रही हैं। महंगाई की बढ़ती मार का सबसे बड़ा कारण पैट्रोल-डीजल की बढ़ीं कीमतें ही हैं। सरकार जनता के मन में पनपते रोष से वाकिफ है और इस ओर कदम उठाने के ब्यान भी जारी हो ...
परिवार में बढ़ती दूरियां
सामाजिक सौहार्द का जितना हृास विगत 50 वर्षों में हुआ है, उतना तो उससे पूर्व के पांच सौ वर्षों में भी नहीं हुआ था, जबकि उस समय न हमारी पहचान थी और न देश की। देश एक उपनिवेश मात्र था। जैसे-तैसे सैकड़ों नाम तथा अनाम सेनानियों की वजह से हमने स्वतंत्रता तो ...
अब एक नयी सम्पूर्ण क्रांति हो
आजादी के आंदोलन से हमें ऐसे बहुत से नेता मिले जिनके प्रयासों के कारण ही यह देश आज तक टिका हुआ है और उसकी समस्त उपलब्धियां उन्हीं नेताओं की दूरदृष्टि और त्याग का नतीजा है। ऐसे ही नेताओं में जीवनभर संघर्ष करने वाले और इसी संघर्ष की आग में तपकर कुंदन की...
देश में बढ़ता नैतिक पतन
आज हमारा समाज जिस दौर से गुजर रहा है उसका चित्रण प्रत्येक दिन अखबारों एवं टीवी के समाचारों द्वारा दिखाया जा रहा है। लोग ईमानदारी और सदाचार का मार्ग छोड़कर छोटे-छोटे लालचों में फंसे दिखते हैं। लालच प्रमुखत: धन प्राप्ति का है परंतु साथ ही कामचोरी का भी ...
पुस्तकें : बदलावों के प्रामाणिक दस्तावेज
संसार का स्वरूप भले ही जनमानस की आंखों से उतरकर उसके अन्त:करण तक अपनी उपस्थिति का भान कराने में समर्थ हो, मगर इस स्वरूप का विश्लेषणात्मक एवं व्यापक विवेचन विचारों के माध्यम से ही संभव है। विचार सदैव स्मरण के आधार पर स्थायी बने रहे, ऐसा कदाचित संभव नह...
अब एक भारत, एक चुनाव की आवश्यकता
भारत में बदलाव की हवा बह रही है। क्या हमारा देश चुनावों में सुधार के लिए तैयार हो रहा है? क्या हमारा देश निरंतर चुनावों पर रोक लगाने की दिशा में बढ़ रहा है, जिसके चलते हमारी राजनीति और शासन व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है? क्या हमारा देश लोकसभा ...
मानवीय संबंधों की मिठास का अहसास कराती चिट्ठियां
चिट्ठी आई है वतन से चिट्ठी आई है.....और लिखे जो खत तुझे, वो तेरी याद में हजारों रंग के नाारे बन गए...... जैसे गीत हमें कागा पर लिखी उन चिट्ठियों की याद दिलाते हैं, जिनमें सूचनाएँ ही नहीं भावनाओं का इजहार है और गहरी मानवीय संवेदनाएँ हैं। खाकी वर्दी पह...
प्लास्टिक कचरे से मुक्ति कब तक
वर्तमान में प्लास्टिक कचरा बढ़ने से जिस प्रकार से प्राकृतिक हवाओं में प्रदूषण बढ़ रहा है, वह मानव जीवन के लिए तो अहितकर है ही, साथ ही हमारे स्वच्छ पर्यावरण के लिए भी विपरीत स्थितियां पैदा कर रहा है। हालांकि इसके लिए समय-समय पर सरकारी सहयोग लेकर गैर सरक...
गरीबों को ऋण नहीं बचत चाहिए
विकास विशेषज्ञ रॉबर्ट वोगल ने एक बार कहा था ‘‘ग्रामीण वित्त के आधे भूले भुलाए लोग।’’ और अब संपूर्ण विश्व में इस बात को स्वीकार किया जा रहा है कि व्यक्तिगत वित्त के सबसे बुनियादी साधन छोटे बैंक हैं। नाजुक समय पर सही वित्तीय साधनों का उपलब्ध होना इस बा...