हकीम का फर्ज
वह दूसरे राज्यों में भी रोगियों को देखने जाया करते थे। पैसे, मान-सम्मान की भूख उनको बिलकुल नहीं थी। सेवा ही उनके जीवन का लक्ष्य थी।
धर्म की भूमिका
सेवकों को प्रणाम करते समय हम उनके प्रति स्नेहभाव व्यक्त कर रहे होते हैं। उन्हें तुच्छ भाव से नहीं देखना चाहिए। हरेक मनुष्य एक-दूसरे के समान है चाहे वह किसी भी तरह का कार्य करता हो। धर्म हमें यही तो सिखाता है।
आईए जानते है अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरने वाली वो दुनिया की पहली महिला कौन थीं ?।
16 जून के दिन सुनीता विल...