रूहानी करिश्मा : जब सच्चे सतगुरू जी मुरीद को स्वयं लेने आए
भक्त जोगिन्द्र सिंह पुत्र स. वीर सिंह निवासी गांव गंधेली ने बताया कि सन् 1958 की बात है। हमारे भाईचारे के बहुत से व्यक्तियों ने पूजनीय बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज से नाम-शब्द ले रखा था। पूजनीय शाह मस्ताना जी महाराज ने हमारे भाईचारे के भक्तों को वचन...
संतोषी सदा सुखी
एक महात्मा भिक्षा के लिए एक किसान के द्वार पर पहुँचे, तो उन्होंने खिड़की से देखा कि पूरा परिवार चिंताग्रस्त मुद्रा में बैठा है। महात्मा ने उनकी चिंता का कारण पूछा। किसान ने बताया, ‘हमारे यहाँ इस बार फसल थोड़ी कम हुई है, अन्न इतना भर है कि आठ माह के लिए...
अगस्त प्रस्ताव के खिलाफ गांधी जी का निजी सत्याग्रह
व्यक्तिगत सत्याग्रह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी द्वारा सन 1940 में प्रारम्भ किया गया था। लिनलिथगो प्रस्ताव/अगस्त प्रस्ताव से गांधीजी संतुष्ट नहीं होने के कारण कांग्रेस ने अगस्त प्रस्ताव को पूर्णत: अस्वीकार कर दिया तथा गांधी जी के नेतृत्व में व्यक्तिगत ...
परम पिता जी ने डेरा श्रद्धालु की दिली इच्छा की पूरी
एक बार राजस्थान में सत्संग था। पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज आराम करने वाले घर में पधारे हुए थे। बाहर बैठे सेवादारों के पास करीब 80 वर्षीय बुजुर्ग अपनी 14-15 साल की पोती के साथ दूध लेकर आ गया। पूछने पर पता चला कि उस बुजुर्ग ने पूज्य हजूर बाबा स...
सतगुरू के प्रेम में गांव-गांव नाचता रहा असली रांझा
प्रेमी रांझा राम लिखते हैं कि उसकी पत्नि ने बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज से नाम शब्द प्राप्त किया हुआ था। शुरू-शुरू में वह उसे सत्संग में जाने नहीं देता था। वह छिप-छिप कर सत्संग में जाती थी।एक दिन उसने बेपरवाह जी के सामने उसकी शिकायत करते हुए उपरोक्...
हनीप्रीत इन्सां का ये वीडियो कर देगा आपको भावुक, एक वीडियो, करोड़ों की कहानी
सरसा। बेशक इस जहान में मां अपने बच्चे को नौ महीने गर्भ में रखकर उसे पालती है। उसका दर्जा सर्वोत्तम हैं, लेकिर एक गुरु, पीर, फकीर, पैग्बर, संत अपने अनुयायियों के लिए मां और बाप दोनों का फर्ज अदा करता है। एक संत ही है तो अपनी औलाद को इंसानियत के मार्ग ...
आयरन लेडी मुनिबा मजारी
समस्याएँ बड़ी नहीं होती इन्सान खुद को छोटा समझने लगते हैं। यह कहना है मुनिबा मजारी का। जन्मस्थान पाकिस्तान। ये पाकिस्तान की आयरन लेडी के नाम से जाने जाती हैं। हमारी जिन्दगी में कई घटनायें होती हैं जिसमें से कोई एक बड़ी घटना हमारी जिन्दगी बदल कर रख देती...
जब भूखे का सहारा बने ईश्वर चंद विद्यासागर
स्वतंत्रता सेनानी ईश्वरचंद्र विद्यासागर का जन्म आज ही के दिन 26 सितंबर, 1820 को मेदिनीपुर में ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम ठाकुरदास बंद्योपाध्याय एवं माता का नाम भगवती देवी था। वे एक दार्शनिक, अकादमिक शिक्षक, लेखक, अनुवादक, समाज सुधार...
दुनिया का सबसे बड़ा ठग था नटवर लाल
नटवर लाल एक ऐसा मुहावरा बन गया कि अगर कोई ठगी की कोशिश या मजाक करे तो उसे लोग उसकी तुलना नटवर लाल से करने लगते हैं। नटवर लाल ने वकालत पढ़ रखी थी। लेकिन उसका वकालत में मन नहीं लगा। वो तो कुछ और ही करना चाहता था तो उसने ठगी व चोरी का रास्ता चुन लिया। उस...
पावन 32वें गुरगद्दी दिवस पर विशेष : पावन वचन सच हुए, हम थे, हम हैं, हम ही रहेंगे
तीसरी बॉडी में ऐसा बब्बर शेर आएगा कि उसकी ओर कोई अंगुली नहीं उठा सकेगा। उस बॉडी के रूप में स्वयं प्रभु आकर सभी धर्म व जातियों के लोगों को भरपूर प्रेम प्रदान करते हुए अंदर वाले जिन्दाराम का खूब यश करेगा। जो लोग आश्रम के बारे में निंदा-चुगली करते हैं, ...