संत शेख फरीद
महापुरुष सूखे नारियल की तरह होते हैं और आम आदमी गीले नारियल जैसा। जब तक वह भौतिक वस्तुओं के आकर्षण और रिश्ते-नातों के मोह में बँधा है, कष्ट की नौबत आने पर दुखी होता है, जबकि संत-महात्मा सूखे नारियल की भाँति मोह से परे होते हैं, जैसे खोल से सूखा नारियल।
प्रेरणास्त्रोत : मृत्यु से साक्षात्कार
तीन मित्रों ने मृत्यु का साक्षात्कार करने की इच्छा एक महात्मा के समक्ष रखी महात्मा ने सामने एक गुफा की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘तुम लोग उस गुफा में जाओ। वहाँ मृत्यु से तुम्हारा साक्षात्कार हो जाएगा।’ तीनों तेजी से चलकर गुफा तक पहुँचे। गुफा में झांका त...
प्रेरणास्त्रोत :उपदेश का समय
स्वामी विवेकानंद से मिलने दूर दूर से लोग आया करते थे। एक बार अपने समय के मशहूर लेखक और पत्रकार सखाराम गदेड़स्कर अपने दो मित्रों के साथ स्वामी जी से मिलने गए। उन दिनों पंजाब में जबर्दस्त अकाल पड़ा हुआ था। बातचीत के दौरान जैसे ही स्वामी जी को पता चला कि उनमें से एक पंजाब के निवासी हैं, उन्होंने बातचीत की दिशा ही बदल दी।