भक्त के रुप में ठग
जो मनुष्य भगवान का भय मानता है उसे वे निर्भय कर देते हैं। वास्तव में वह व्यक्ति बुद्धिमान है, जो भगवान के भय के कारण विषय-विकारों से और अशुभ-वासनाओं से दूर रहता है।
बादशाह की करूणा
एक आशावादी व्यक्ति प्रत्येक स्थान पर हरी बत्ती देखता है, जबकि निराशावादी व्यक्ति स्टॉप वाली लालबत्ती देखता है, परन्तु बुद्धिमान व्यक्ति किसी रंग कि बत्ती नहीं देखता।
अभ्यास का बल
संसार में जितने भी सफल व्यक्ति या महापुरूष हुए हैं, इसलिए नहीं कि वे अलौकिक प्रतिभा के धनी थे अथवा साधन-संपन्न थे, बल्कि इसलिए कि वे महान् व्यक्तित्व के स्वामी थे। विश्व में महापुरूषों और सफल व्यक्तियों की जीवनियाँ हमें बताती है कि सभी ने अपने व्यक्त...
ईसा की महानता
एक बार महात्मा ईसा को किसी दुराचारी व्यक्ति ने उनकी मंडली सहित भोजन का निमंत्रण दिया। महात्मा ईसा ने प्रेमपूर्वक वह निमंत्रण स्वीकार कर लिया। दुराचारी जिस गाँव में रहता था, वहाँ के सारे लोग उससे घृणा करते थे। उससे दूर रहने में अपनी भलाई समझते थे। ईसा...
कृष्ण की मित्रता
कृष्ण और सुदामा की मित्रता नि:स्वार्थ प्रेम का प्रतीक है। सच्ची मित्रता (Friendship ) में गरीबी और अमीरी बाधक नहीं होनी चाहिए। जो अपने मित्र से कपट करता हैं वह दरिद्र हो जाता है। कृष्ण और सुदामा बचपन के मित्र (Friendship ) थे लेकिन युवावस्था में कृष्...
आत्मा उन्नति
ब्रहमादेश के राजा थिबा महान् ज्ञानयोगी थे। एक बार एक भिक्षु उनके पास पहुंचा और उसने उनसे कहा-हे राजा, मैं वर्षों से अखंड जप और ध्यान कर रहा हूँ। लेकिन ज्ञान प्रप्ति नहीं हुई। एक आप है जो राजसी वैभव के बीच रहते है फिर भी ज्ञानयोगी कहे जाते हैं। इसका र...
कर्म और भक्ति
एक जिज्ञासु संत तुकाराम की खोज में निकल पड़ा। पूछते-पूछते वह संत तुकाराम के पास पहुँचा। उसने देखा तुकाराम एक दुकान में बैठे कारोबार में व्यस्त हैं। वह दिन भर उससे बात करने की प्रतीक्षा करता रहा और तुकाराम सामान तोल-तोल कर बेचता रहे। दिन ढला तो वह बोला...
लाल बहादुर शास्त्री की सादगी
राष्ट्रमंडलीय प्रधानमंत्रियों के सम्मेलन में भाग लेने के लिए प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को लंदन जाना था। उनके पास कोट दो ही थे। उनमें से एक में काफी बड़ा छेद हो गया था। शस्त्री जी के निजी सचिव वेंकटरमण ने उनसे नया कोट सिला लेने का आग्रह किया, पर...
चमेली का फूल
एक बार गुरू नानक देव जी मुल्तान पहुँचे। वहाँ पहले ही अनेक संत धर्म प्रचार में लगे हुए थे। एक संत ने अपने शिष्य के हाथ दूध से लबालब भरा एक कटोरा गुरू नानक देव जी को भेजा। गुरू नानक देव जी उठे, बाग से चमेली का एक फूल तोड़ा और दूध पर धीरे से टिका दिया। फ...
महात्मा गाँधी की दिशा
महात्मा गाँधी एक दिन कुछ लेखन कार्य कर रहे थे। तभी एक सहायक आकर बोला- ‘‘बापू, भोजन का समय हो गया है। आपक ी थाली लग गई है। चलकर भोजन ग्रहण कीजिए।’’ गांधी जी लेखन बंद कर भोजनकक्ष में आ गए। वे भोजन आरंभ करने ही वाले थे कि द्वार पर खड़े एक भिक्षुक पर उनकी...