जीवन में खुशी
मनुष्य का जीवन भी एक प्रतिध्वनि की तरह है। आप चाहते हैं कि लोग आपसे प्रेम करें तो आप भी दूसरों से प्रेम करें। जिससे भी मिलें, मुस्कुराकर प्रेम से मिलें।
उपदेश का समय
स्वामी विवेकानंद जी क्षण-भर तो चुप रहे, फिर बड़े गंभीर स्वर में बोले-'देखो भाई, जब तक मेरे देश में एक भी छोटा बच्चा कहीं भूखा है, तब तक उसे खिलाना ही हमारा सच्चा धर्म है। इसके अलावा जो कुछ भी है, वह झूठा धर्म और ज्ञान है।
प्रेरणास्त्रोत: गुस्से का वक्त
गुस्से की हालत में अगर फौरन जवाब दिया जाए तो आदमी बेकाबू हो जाता है। वह दोस्ती, रिश्ते-नाते भी भुला देता है।
सत्संग से लाभ
एक दिन संत ने कहा- राजन्, अब आप स्वर्ण रसायन का तरीका जान लीजिए। इस पर राजा बोले, गुरुवर, अब मुझे स्वर्ण रसायन की जरूरत नहीं है। आपने मेरे ह्रदय को ही अमृत रसायन बना डाला है।
आचार्य चाणक्य ने कहा
मनुष्य से अधिक कठोर कोई नहीं है, परिस्थितियाँ मनुष्य को अपने अनुकूल बना लिया करती हैं।
गुरु और शिष्य
ब्राउनिंग ने कहा, ‘विचार कर्म की आत्मा है।’ विचार की पवित्रता से ही विश्व का निर्माण हुआ है, जैसा कि सृष्टि से पूर्व ईश्वर ने सोचा था कि ‘मैं एक से अनेक हो जाऊँ और फिर उसने प्रकृति की रचना की
कवि की महिमा
बुरे-से-बुरे समय में भी अपना धैर्य बनाए रखने वाले व्यक्ति ही परिस्थितियों को अपने वश में करते हैं तथा अपने ध्येय को प्राप्त करते हैं।
जीवन क्या है?
वह हाथी काल था, मगरमच्छ मृत्यु था, मधु जीवनरस था और काला तथा सफेद चूहा रात-दिन। इन सबका सम्मिलित नाम ही जीवन है।’
ज्योतिष एक विज्ञान
हर व्यक्ति को यह जान लेना चाहिए कि वह जिस व्यक्ति को ज्ञानी समझ रहा है, वह वास्तव में ज्ञानी है भी या नहीं। कहीं हम ऐसे व्यक्ति को तो मान नहीं दे रहे जो उसका वास्तविक हकदार है ही नहीं।