जब सावण शाह जी महाराज ने बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज को अपनी रूहानी ताकत से नवाजकर सरसा भेजा!
यह डेरा सरसा से करीब 45 क...
दोस्ती का अंदाज
कोई भी अनजान व्यक्ति दूसरे अनजान को देखकर अपना नाम बताते हुए हाथ आगे बढ़ा देता था। इस प्रकार अपरिचित लोग भी एक दूसरे के दोस्त बन जाते थे। दोस्ती करने का यह रिवाज वहां काफी लोकप्रिय था।
बेकार की लड़ाई
युद्ध से शांतिप्रियता अधिक अच्छी है। इस लिए व्यक्ति को शांति और सुखपूर्वक जीवन जीने में विश्वास करना चाहिए।'
वेल्स के दो शहरों को जोड़ती है ये ऐतिहासिक सुरंग
वेल्स की ‘गुप्त’ रेलवे सुरंग ‘एबरनेंट’। आपने शायद इसका नाम भी नहीं सुना होगा, लेकिन एक समय था जब इस सुरंग से होकर ट्रेनें गुजरती थीं। आखिरी बार यहां से ट्रेन करीब 58 साल पहले यानी साल 1962 में गुजरी थी।