अध्यापक का आदर्श
प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी सूर्यसेन की नियुक्ति बंगाल के एक विद्यालय में हुई थी। वह बेहद स्वाभिमानी और आदशर्वादी थे। शिक्षक के रूप में उन्होंने छात्रों के दिल में एक जगह बना ली थी।
गुरु और शिष्य
ब्राउनिंग ने कहा, ‘विचार कर्म की आत्मा है।’ विचार की पवित्रता से ही विश्व का निर्माण हुआ है, जैसा कि सृष्टि से पूर्व ईश्वर ने सोचा था कि ‘मैं एक से अनेक हो जाऊँ और फिर उसने प्रकृति की रचना की
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वीणा का सम्मान
श्री शेषण्णा बोले, 'महाराज, आपने मुझे जो सम्मान दिया वह इस वीणा के कारण दिया। इसी के कारण लोग भी मुझे सम्मान देते हैं। वीणा मुझसे श्रेष्ठ है, क्योंकि आज मैं जो भी हूं इसी के कारण हूं।