परेशान हो उठे थे सुभाष
सुभाष बाबू बोले- यह देश हमारा है और हम आदेश विदेशियों का मानते हैं? क्या हम अपने घरों में उन लोगों के चित्र भी नहीं लगा सकते जिन्होंने हमारे लिए अपने प्राणों की आहुति दी है। यह तो जुल्म है। आज मुझे आजादी का महत्व समझ में आ गया है। इस घटना के बाद सुभाष बाबू पर देशभक्ति का रंग और गहरा हो गया।
शहनशाही रहमत : ‘‘नहीं, तू सीधा उनके घर जाना। तू डर मत, हम तेरे साथ हैं। ऐसा कुछ नहीं होगा।’’
गांव लालेआणा(भटिंडा) में ...
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उपदेश का समय
स्वामी विवेकानंद जी क्षण-भर तो चुप रहे, फिर बड़े गंभीर स्वर में बोले-'देखो भाई, जब तक मेरे देश में एक भी छोटा बच्चा कहीं भूखा है, तब तक उसे खिलाना ही हमारा सच्चा धर्म है। इसके अलावा जो कुछ भी है, वह झूठा धर्म और ज्ञान है।
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परमात्मा की मर्जी
परमात्मा ने शरीर दिया है, बुद्धि दी है जिससे कि नेक कार्य कर दूसरों का हित किराया जाए।