कड़वा बोलने वाले अफसर हो हुआ अपनी गलती का अहसास
डेरा सच्चा सौदा, सरसा में भवन निर्माण का कार्य तेजी से चल रहा था। सेवादार भाई पूजनीय शाह मस्ताना जी महाराज के हुक्मानुसार तन्मयता से सेवा में जुटे हुए थे। नई दीवारों पर टीप करने के लिए 50 बोरी सीमेंट की आवश्यकता थी। उन दिनों सीमेंट बाजार में बहुत ही ...
प्यारे सतगुरू जी के महान परोपकार
सेवा का फल
प्रेमी जंगीर सिंह निवासी लोहाखेड़ा, फतेहाबाद सतगुरु की साक्षात रहमत को इस प्रकार बयां करते हैं। ये बात 10 अक्तूबर, 1988 की है। मैं बिजली बोर्ड में लाइनमैन के पद पर नियुक्त था। मुझे मासिक सत्संग पर आश्रम में जाना था, परंतु छुट्टी न मिलने के...
रामनाम का बजाया डंका, छुड़ाई बुराइयां
पूजनीय परम पिता जी ने डेरा सच्चा सौदा की दूसरी पातशाही के रूप में गद्दीनशीन होकर लगभग 30 वर्षों तक साध-संगत की सेवा संभाल की। आप जी ने साध-संगत को हक-हलाल की करके खाना, किसी का दिल न दुखाना व बुराइयों से दूर रहकर मालिक-प्रभु की सच्ची भक्ति करने, मालि...
बच्चे को बोरी में बांध रहा था बदमाश, परम पिता जी ने खुद प्रकट होकर छुड़ाया
सरसा। मकान नं. 926 मोहल्ला धोबियों वाला बंद गेट सरसा शहर से बीबी ईश्वर देवी परम पूजनीय सतगुरु जी की अपार बख्शिश का एक अद्भुत करिश्मा (Ruhani Karishma) इस प्रकार वर्णन करती है : सन् 1975 की बात है। उस दिन भी दरबार में प्रतिदिन की तरह सुबह की मजलिस लगी...
परम पिता जी की साक्षात रहमत-प्रेमी का गुम हुआ लड़का खुद घर वापिस लौटा
प्रेमी प्रीतम दास बस्ती अलीपुर, अमृतसर रोड, मोगा से वाली दो जहान पूजनीय परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज की अपार दया-मेहर के बारे में इस प्रकार लिखता है:-
सन् 1977 की बात है। एक दिन मेरा दस वर्षीय लड़का अशोक कुमार घर से नाराज होकर कहीं चला गया। मैंन...
दिली इच्छा पूरी की सतगुरू ने
प्रेम हरी राम सरसा से लिखते हैं कि सन् 1987 में एक दिन उसकी पत्नी ने सुबह-सुबह घर में चाय बनाई तो बच्चों ने चाय मांगी। अचानक वह कहने लगी, ‘‘यह चाय तो मैंने पूजनीय परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज के लिए बनाई है, आपको और बनाकर देती हूं।’’ बच्चों ने ह...
सतगुरू जी ने जीव को सिखाया ईमानदारी पर चलना
शाह मस्ताना जी धाम सरसा में मासिक सत्संग पर भारी संख्या में साध-संगत पहुंची हुई थी। पूर्व की तरफ कच्चे रास्ते पर पुराना मुख्य द्वार था। सरसा के भक्त माना राम छाबड़ा व कुछ अन्य फल बेचने वाले भी डेरे के बाहर अपनी अस्थाई दुकानें लगाकर अपना सामान बेचने आए...
सांई जी ने अलौकिक खेल से बदली निंदक की जिंदगी
निंदक को भेजा मिठाई का डिब्बा
एक बार एक आदमी जो तावीज आदि बनाकर बेचता था। उस व्यक्ति ने सरसा शहर में जगह-जगह मुनादी करके बताया कि आज रात को सरसा के एक चौक में जलसा होगा। इस जलसे में डेरा सच्चा सौदा के बारे में बताया जाएगा कि कैसे ये लोगों को गुमराह ...
‘‘पूर्ण सतगुरू अपने मुरीदों का साथ कभी नहीं छोड़ता’’
यह बात 18 जुलाई 1970 की है। उस समय मेरा परिवार गांव किला निहाल सिंह वाली(बठिंडा) में रहता था। पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज वहां सत्संग फरमाने आए हुए थे। सत्संग का कार्यक्रम हमारे घर में ही था। कविराज भाई भजन बोल रहे थे। अचानक मेरे घर से रोने-च...
सच्चे सतगुरु जी ने शिष्य को बख्शी नई जिदंगी
सन् 1988 की बात है। मेरी शादी के चार वर्ष उपरांत मेरे परिवार ने मुझे अलग कर दिया। मेरे सिर पर इतना कर्ज हो गया कि मैं अपनी सारी जायदाद बेचकर भी उसे उतार नहीं सकता था। एक दिन मैंने सोचा कि ऐसी जिंदगी से मरना ही बेहतर है। मैं अपने कमरे में जाकर आत्महत्...