कड़वा बोलने वाले अफसर हो हुआ अपनी गलती का अहसास
डेरा सच्चा सौदा, सरसा में भवन निर्माण का कार्य तेजी से चल रहा था। सेवादार भाई पूजनीय शाह मस्ताना जी महाराज के हुक्मानुसार तन्मयता से सेवा में जुटे हुए थे। नई दीवारों पर टीप करने के लिए 50 बोरी सीमेंट की आवश्यकता थी। उन दिनों सीमेंट बाजार में बहुत ही ...
गांधी के डॉक्टर थे गुजरात के सबसे पहले मुख्यमंत्री
गुजरात गांधीजी का घर। प्रधानमंत्री मोदी का घर। 12 साल तक मोदी जी यहां के मुख्यमंत्री रहे। 1 मई 1960 को बाम्बे से काटकर बनाया गया था गुजरात को। बाद में देश के सबसे विकसित राज्यों में से एक बना। जब पहला आम चुनाव हुआ तो हर जगह के तरह काँग्रेस यहाँ भी जी...
प्रजनन के बाद अपने पंख गिरा देता है मोर
जंगलों में मौजूद मोर विभिन्न शिकारियों और कठोर मौसम से लगातार जोखिम में हैं, जो उनके समग्र जीवनकाल को लगभग 20 साल या अधिक तक सीमित करता है। हालांकि, मोर जो चिड़ियाघर या अन्य नियंत्रित वातावरण में हैं, वे 40 साल तक जीवित रहते हैं। मोर पानी में प्रवेश न...
संत शेख फरीद
महापुरुष सूखे नारियल की तरह होते हैं और आम आदमी गीले नारियल जैसा। जब तक वह भौतिक वस्तुओं के आकर्षण और रिश्ते-नातों के मोह में बँधा है, कष्ट की नौबत आने पर दुखी होता है, जबकि संत-महात्मा सूखे नारियल की भाँति मोह से परे होते हैं, जैसे खोल से सूखा नारियल।
शतरंज में ग्रैंडमास्टर बनने वाली पहली भारतीय महिला
जब भी शतरंज की चर्चा होती है तो सबके दिमाग में कुछ चुनिन्दा पुरुषों के नाम आते हैं। भारत की महिलाओं में शतरंज का हुनर पुरुषों के अपेक्षाकृत बहुत कम आंका जाता है लेकिन इस प्रवृत्ति को पीछे छोड़ते हुए भाग्यश्री साठे शतरंज में ग्रैंडमास्टर बनने वाली पहली...
…जब सोमनाथ को मौत के मुंह से निकाल लाए सतगुरू
अक्सर हम छोटी-मोटी परेशानियों में घिर कर हिम्मत हार बैठते हैं। कई लोग तो बुरे वक्त के ख्याल भर से काँप उठते हैं। लेकिन अगर मुश्किलों का डटकर सामना किया जाए तो उन्हें भी खुद पीछे हटना पड़ता है। आज की साखी एक ऐसे ही शख़्स के जीवन से जुड़ी सच्ची घटना पर आध...
सादगी की मिसाल थे ‘फोर्ड’ के संस्थापक
कुछ साल पहले फोर्ड ने निश्चय किया कि वह अपनी मशहूर वी-8 मोटर बनाएंगे। वह कार के लिए वी-8 इंजिन बनाना चाहते थे एक ऐसी कार जिसका खर्च आम लोग भी उठा सकें। इसके लिए उन्होने एक ऐसा र्इंजन बनाने का निश्चय किया जिसमे आठ सिलिंडरो को एक ही जगह डालने का निश्चय...
ब्रिटेन की संसद में गूंजने वाले दादाभाई नौरोजी
1892 में ब्रिटेन के संसद में एक भारतीय चुनकर पहुंचा। ये कैसे हुआ? इस ऐतिहासिक घटना का आज के दौर में क्या महत्व है? दादाभाई नौरोजी (1825-1917) की पहचान सिर्फ इतनी ही नहीं है कि वह ब्रिटेन के हाउस आॅफ कॉमन्स में पहुंचने वाले एशिया के पहले शख्स थे। महात...
आज ही के दिन डॉ. राधाकृष्णन बने थे भारत के दूसरे राष्ट्रपति
जब राधाकृष्णन मॉस्को में भारत के राजदूत थे, बहुत दिनों तक स्टालिन उनसे मुलाकात के लिए राजी नहीं हुए। अंत में जब दोनों की मुलाकात हुई तो डॉ. राधाकृष्णन ने स्टालिन से कहा, हमारे देश में एक राजा था जो बड़ा अत्याचारी और क्रूर था। उसने रक्त भरी राह से प्रग...
विज्ञान और आविष्कार की ताकत थे नरसिम्हा
20 जुलाई, 1933 को जन्मे, प्रो नरसिम्हा (Prof. Roddam Narasimha) ने एयरोस्पेस के क्षेत्र में द्रव डायनामिस्ट के रूप में एक पहचान बनाई। वे पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के वैज्ञानिकी सलाहकार भी रहे थे। प्रो. नरसिम्हा का लड़ाकू विमान लाइट कॉम्बैट एयरक्र...