राजनीति में पिस रही गरीब जनता
गरीबी एक प्रमुख वैश्विक समस्या है जिससे अधिकतम देश जूझ रहे हैं। साधारण शब्दों में अगर कहें तो गरीबी का मतलब है गरीबी रेखा से नीचे जीवन जीना । किसी भी स्वतंत्र देश के लिए गरीबी एक बहुत ही शर्मनाक स्तिथि है। संयुक्त राष्ट्र संघ के मानव विकास सूचकांक 20...
2019 चुनाव: मतदाता को मुखर होना होगा
भारतीय लोकतंत्र राजनीति की अनेक विसंगतियों एवं विषमता में एक बड़ी विसंगति यह है कि राजनेताओं की सुविधानुसार अपनी ही परिभाषा गढ़ता रहा है। अपने स्वार्थ हेतु, प्रतिष्ठा हेतु, आंकड़ों की ओट में नेतृत्व झूठा श्रेय लेता रहा और भीड़ आरती उतारती रही। भारतीय लोक...
आधुनिक जीवन शैली का स्याह पहलू !
स्वस्थ जीवनशैली को अच्छी सेहत का राज माना जाता है। मगर आधुनिकीकरण ने दिन और रात के भेद को खत्म कर दिया है। कार्यशैली में बदलाव की वजह से भागदौड बढ़ी है,जिसमें स्वास्थ्य पीछे छूट गया है। फास्ट फूड का अधिक सेवन, अनियंत्रित खान-पान,व्यायाम से दूरी, शराब ...
नेता और उद्योगपति मायने क्रोनी भाईचारा
पिछले सप्ताह भारत के राजनीतिक मंच पर क्रोनी पूंजीवाद और भ्रष्ट नेताओं का एक और किस्सा देखने सुनने को मिला। किंगफिशर एयरलाइंस के किंग आफ गुड टाइम्स भगोडेÞ विजय माल्या के दावे की 2 मार्च 2016 को भारत छोड़ने से पहले वह अपने 2000 करोड रूपए के बैंक ऋणों को...
अतीत के आईने में भारत और अमेरिका
इतिहास में जाएं तो भारत और अमेरिका कभी भी एकदूसरे के इतने निकट नहीं रहे जितना कि अब हैं। उसका प्रमुख कारण दोनों देशों के बीच लाखों मील की दूरी और ब्रिटिश शासकों की कुटिल कुटनीति थी जो भारत को अन्य देशों के सम्पर्क में आने देना नहीं चाहते थे। द्वितीय ...
महंगी पड़ेगी मोदी सरकार को सवर्णों की नाराजगी
2019 में लोकसभा चुनाव के मद्देनजर केन्द्र सरकार द्वारा पिछले दिनों मानसून सत्र के दौरान दलित एक्ट को लेकर मार्च माह के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने का चुनावी दांव खेला गया और आनन-फानन में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार रोकथाम) संशोधन ...
पेट्रोल-डीजल की कीमत पर हो राष्ट्रीय बहस
पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों ने आम आदमी की परेशानी बढ़ा दी है। आने वाले दिनों में आम आदमी पर मंहगाई का बोझ बढ़ेगा ये तय है। लेकिन पेट्रोल डीजल की कीमतों को लेकर जिस तरह की सियासत हो रही है, उससे न तो कीमतें कम होंगी और न ही आम आदमी को कोई राहत पहुंचेगी।...
अन्नदाता की आय सुरक्षित करने की सार्थक पहल
समय पर किसान द्वारा उपजाई फसलों का उचित मूल्य नहीं मिल पाने के कारण अन्नदाता के सामने कई तरह के संकट मुंहबाए खड़े हो जाते हैं। ऐसे में वह न तो बैंकों से लिया कर्ज समय पर चुका पाते हैं और न ही अगली फसल के लिए वाजिब तैयारी कर पाते हैं। बच्चों की पढ़ाई और...
मध्यप्रदेश की राजनीति में आदिवासी चेतना का उभार
मध्यप्रदेश में जयस यानी जय आदिवासी युवा शक्ति जैसे संगठन की सक्रियता दोनों पार्टियों को बैचैन कर रही है। डेढ़ साल पहले आदिवासियों के अधिकारों की मांग के साथ शुरू हुआ यह संगठन आज अबकी बार आदिवासी सरकार के नारे के साथ 80 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर...
तटबंधों को तोड़ती हिंदी भाषा
कभी गोविंदवल्लभ पंत ने कहा था कि हिंदी और नागरी का प्रचार तथा विकास कोई रोक नहीं सकता। उनकी कही बातें आज अक्षरश: सच साबित हो रही है। भाषा के तौर पर हिंदी अपने सभी प्रतिद्वंदियों को पीछे छोड़ लोकप्रियता का आसमान छू रही है और उसकी वैश्विक स्वीकार्यता लग...