आज भी प्रासंगिक हैं गांधी के विचार
गांधी के आदर्श विचार उनके निजी जीवन तक ही सीमित नहीं रहे। उन्होंने अपने आदर्श विचारों को आजादी की लड़ाई से लेकर समाज निर्माण जैसे जीवन के विविध पक्षों में भी आजमाया। उस समय लोग कहा करते थे कि आजादी के लक्ष्य में सत्य और अहिंसा नहीं चलेगी और न ही इससे ...
सोशल मीडिया पर सुप्रीम कोर्ट की वाजिब चिन्ता
सूचना - क्रांति के क्षेत्र में कंप्यूटर, मोबाइल एवं इंटरनेट की खोज को मानव जीवन के लिए अभूतपूर्व क्रांति कहा जा सकता है। इसके माध्यम से आज पूरी दुनिया के बीच की भौगोलिक दूरी मिट चुकी है और वह मुट्ठी में समा गयी है। सोशल मीडिया का भी इसमें बहुत बड़ा यो...
प्यार और सम्मान के हकदार हैं बुजुर्ग
बुजुर्गों के प्रति बढ़ते दुर्व्यवहार व अन्याय के प्रति लोगों को जागरुक करने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 1 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय वृद्ध दिवस का आयोजन किया जाता है। 14 दिसंबर 1990 को संयुक्त राष्ट्र संघ ने यह निर्णय लिया था कि प्रतिवर्ष 1 अक्टूबर को बुज...
कानून का मखौल उड़ाती पंचायतें
आजादी के बाद आशा बंधी थी कि वैधानिक प्रयासों से विवाह और जाति के कठोर बंधन में लचीलापन आएगा। पर राजनीतिक दलों ने जिस तरह जाति को सत्ता का साधन बना कर प्रयोग किया, उससे सरकारों की दशा और दिशा का निर्धारण होना शुरू हो गया। सत्ता में चाहे जो रहे, पर आज ...
सरबजीत जैसा हश्र जाधव के साथ न हो
आपको ऐसा क्यों लगता है, कैदियों के मसले पर दोनों मुल्क राजनीति करते हैं?
सरबजीत सिंह के मसले पर राजनीति ही आड़े आई थी, नहीं तो मेरा भाई आजाद होता। देखिए, जो हुआ सो हुआ? मैं उसपर नहीं जाना चाहती। लेकिन अब पाकिस्तानी जेलों में बंद हमारे कैदि...
पराली मामला: किसानों को बदलना होगा तरीका
पराली से निकलने वाला धुआं स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है
भारत की शक्ति को देखकर दुनिया दंग
अमेरिका के टेक्सस राज्य ह्यूस्टन शहर में हाउडी मोदी कार्यक्रम की शक्ति ने जहां दुनिया को चकित किया, दुनिया को भारत की शक्ति को प्रणाम करने, स्वीकार करने के लिए प्रेरित किया, मजबूर किया वहीं हमारे दुश्मन देशों और हमारे आंतरिक द्रोहियों की नींद हराम हु...
जलवायु परिवर्तन से पीड़ित नई पीढ़ी
जलवायु परिवर्तन के परिप्रेक्ष्य में सोलह वर्षीय पर्यावरण कार्यकर्ता स्वीडिश किशोरी ग्रेटा थुनबर्ग ने सवाल उठाने के साथ गुस्सा भी जताया है। संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन को संबोधित करते हुए ग्रेटा ने अपने 15 युवा साथियों के साथ विश्वभर के नेताओं के स...
निर्भीक पत्रकारिता का सर्वोच्च स्वर: बीबीसी
इस समय विश्व का अधिकांश भाग हिंसा, संकट, सत्ता संघर्ष, साम्प्रदायिक व जातीय हिंसा तथा तानाशाही आदि के जाल में बुरी तरह उलझा हुआ है। परिणाम स्वरूप अनेक देशों में आम लोगों के जान माल पर घोर संकट आया हुआ है। मानवाधिकारों का घोर हनन हो रहा है। लाखों लोग ...