भारत की शक्ति को देखकर दुनिया दंग
अमेरिका के टेक्सस राज्य ह्यूस्टन शहर में हाउडी मोदी कार्यक्रम की शक्ति ने जहां दुनिया को चकित किया, दुनिया को भारत की शक्ति को प्रणाम करने, स्वीकार करने के लिए प्रेरित किया, मजबूर किया वहीं हमारे दुश्मन देशों और हमारे आंतरिक द्रोहियों की नींद हराम हु...
खादी केवल वस्त्र नहीं अपितु विचार, स्वाभिमान और रोेजगार का माध्यम
एसीएस उद्योग डॉ. सुबोध अग्रवाल का मानना है कि ऐसे में खादी को अंतरराष्ट्रीय पटल पर बाजार दिलाने के लिए जयपुर में आयोजित ग्लोबल कॉन्फ्रेंस अपना अलग मायना रखती है।
प्रेरणास्रोत : एक अंग्रेज ने कहा
एक दिन महात्मा बुद्ध घने जंगल में होकर कहीं जा रहे थे। दूर से अंगुलिमार ने उन्हें देख लिया। वह आनन-फानन में जा पहुँचा, उनके पास आकर बोला, ‘‘साधु, जो कुछ भी तुम्हारे पास हो, उसे निकाल दो अन्यथा तुम्हारी जान की खैर नहीं।’’
स्वतंत्रता बाद की उपलब्धियां और चुनौतियां
आजादी के सात दशक बाद भी यह सवाल जेरेबहस है कि आजादी की जंग के दौरान जो सपने बुने-गढ़े गए थे क्या वे पूरे हुए हैं? क्या समाज के अंतिम पांत का अंतिम व्यक्ति आजादी के लक्ष्य को हासिल कर लिया है? दो राय नहीं कि आजादी के बाद इन सात दशकों में देश ने उल्लेखन...
सत्ता प्राप्ति की आपाधापी से उपजी समस्याएं
ललित गर्ग
किसान आन्दोलन, शिलांग में हिंसा, रामजन्म भूमि विवाद, कावेरी जल, नक्सलवाद, कश्मीर मुद्दा आदि ऐसी समस्याएं हैं, जो चुनाव के निकट आते ही मुखर हो जाती है। ये मुद्दे एवं समस्याएं आम भारतीय नागरिक को भ्रम में डालने वाली है एवं इनको गर्माकर राजनी...
भिखारी मुक्त अभियान में अदालती रोड़ा
भिखारियों के पक्ष में कोर्ट ने फैसला सुनाकर उन्हें बड़ी राहत दी है। फैसले के बाद भिखारी मुक्त समाज के लिए की जा रही पहल को भी धक्का लगा है। दरअसल पूरे देश में भिखारियों को हटाने को लेकर हर स्तर पर एक बड़ी बहस छिड़ी हुई। सभी केंद्र शासित उपप्रदेशों के मु...
लद्दाख में टकराव, कौन विजयी होगा?
पड़ोसी या दुश्मन? दोनों। वास्तव में भारत और चीन के संबंध उतार-चढ़ाव पूर्ण हैं और यह इस बात पर निर्भर करता है कि राजनीतिक हवा किस दिशा में बह रही है। वर्तमान में दोनों देश एक दूसरे के सामने टकराव की मुद्रा में हैं। दोनों अपने-अपने रूख पर कायम हैं कि हमा...
सर्वोच्च निर्णय के बावजूद सियासत जारी
सूक्ष्म अध्ययन के बाद ही निर्णय को लिखा है।
निर्णय आने के बाद देशभर से इसकी सकारात्मक प्रतिक्रियाएं सुनने, देखने और पढ़ने को मिली।
अपने हित-अहित से किसान बेखबर व सरकार बाखबर ?
सत्ता द्वारा किसानों की नए कृषि अध्यादेशों को वापस लेने की दो टूक मांग से देश का ध्यान भटकाने के लिए अनेक हथकंडे प्रयोग में लाए जा रहे हैं। सत्ता+गोदी मीडिया+आईटी सेल का अदृश्य संयुक्त नेटवर्क कभी इस आंदोलन को खालिस्तान से जोड़ने की कोशिश करता है तो क...
भारत में आदिवासी उपेक्षित क्यों हैं
अंतरराष्ट्रीय आदिवासी दिवस सिर्फ उत्सव मनाने के लिए नहीं, बल्कि आदिवासी अस्तित्व, संघर्ष, हक-अधिकारों और इतिहास को याद करने के साथ-साथ जिम्मेदारियों और कत्र्तव्यों की समीक्षा करने का दिन भी है। आदिवासियों को उनके अधिकार दिलाने और उनकी समस्याओं का निर...