ध्वनि तरंगों से रोग-नियंत्रण के वैज्ञानिक उपाय
ब्रिटेन से प्रकाशित 2007 के ‘साइंस’ जनरल में एक लंबे शोध के बाद ऊं की महिमा स्वीकार की गई है। यह शोध रिचर्स एंड एक्पेरिमेंट इंस्टीट्यूट ऑफ़ न्यूरोसाइंस के प्रमुख जे मॉर्गन और सहयोगियों द्वारा 2500 पुरुषों व 2000 महिलाओं पर किया गया था।
लॉकडाउन की गम्भीरता को समझना होगा
प्रधानमंत्री मोदी ने भी चिंता और गुस्सा जताया है कि अब भी लोगों ने लॉकडाउन को गंभीरता से नहीं लिया है। कृपया करके वे खुद को बचाएं और परिवार को भी बचाएं। राज्य सरकारें सख्ती से इसका पालन कराएं।
कोरोना ने विज्ञान को कटघरे में खड़ा किया
हमें गम्भीरता से सोचना चाहिए की आखिर कोरोना का तोड़ क्यों नहीं मिल पा रहा है। यह सब तब हो रहा है जब विश्व में एक से बढ़कर एक नई आधुनिकता वाले उपकरण मौजूद है।
जीवन-संकटों के बीच उजालों की खोज
मनुष्य जीवन में गैर-जिम्मेदारी एवं लापरवाही की इतनी बड़ी-बड़ी चट्टानें पड़ी हुई हैं, जो मनुष्य-मनुष्य के बीच व्यवधान पैदा कर रही हैं। संकल्प, संयम एवं समर्पण के हाथ इतने मजबूत हैं कि उन चट्टानों को हटाकर आदमी को आदमी से मिला सकता है, जीवन की संभावनाओं को पंख लगा सकता है।
कोरोना को हराने के लिए लॉकडाउन का करो दिल से पालन
देश को कोरोना वायरस के संक्रमण से और खुद को व अन्य सभी लोगों को बचाने के लिए आराम से घर में रहकर भीड़-भाड़ से बचाव ही इसका एक मात्र सबसे कारगर उपचार है, इस समय सरकार के द्वारा जारी किसी भी एडवाईजरी की अनदेखी करना हम सभी देशवासियों को बहुत भारी पड़ सकता है।
मैनुअल स्कैवेंजिंग पर अब तो लगे रोक
वर्ष 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने 'सफाई कर्मचारी आंदोलन बनाम भारत सरकार' मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए सरकार को 1993 से लेकर अब तक सीवर में दम घुटने की वजह से मरे लोगों और उनके परिवारों की पहचान करके हरेक परिवार को 10 लाख रुपये का मुआवजा देने के लिए भी कहा था।
हवा में रहेगी मेरे ख्याल की बिजली…
23 मार्च, शहीद-ए-आजम भगत सिंह की 89वीं पुण्यतिथि पर विशेष
जेल जीवन के अपने दो वर्षों में भगत सिंह ने खूब अध्ययन, मनन, चिंतन व लेखन किया। जेल के अंदर से ही उन्होंने क्रांतिकारी आंदोलन को बचाए रखा और उसे विचारधारात्मक स्पष्टता प्रदान की। भगत सिंह सि...
जल की शुद्धता और उपलब्धता का संकट
आंकड़ों के मुताबिक 200 मीटर की गहराई पर मौजूद भूजल का बड़ा हिस्सा दूषित हो चुका है वहीं 23 प्रतिशत भूजल अत्यधिक खारा है। जिस तेज गति से भूजल दूषित हो रहा है उसी का नतीजा है कि डायरिया, उल्टी, खून वाली उल्टियां, पेशाब में खून आना, बाल गिरना, फेफड़े, त्वचा, किडनी और लिवर और पेट दर्द से जुड़़ी बीमारियां बढ़ रही है।
कैसा है देश का बुनियादी स्वास्थ्य ढ़ांचा
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी अपने संदेश में कह चुके हैं कि हमें कोरोना से घबराने की नहीं बल्कि साथ मिलकर काम करने और आत्मसुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए छोटे लेकिन महत्वपूर्ण उपाय करने की जरूरत है।
सरकार और पूर्व न्यायाधीश की मंशा पर सवाल ?
संविधान निमार्ताओं ने उच्च सदन में मनोनयन का प्रबंध इस पवित्र उद्देश्य से किया था कि ऐसे विषयों के विशेषज्ञों को राज्यसभा में भेजा जा सकता है, जो चुनाव प्रक्रिया के माध्यम से इस सदन में नहीं पहुंच पाते हैं।