गहरे सबक हैं चुनाव परिणाम
पांच राज्यों के विधानसभा परिणाम प्राप्त हो गए हैं। इन परिणामों ने भारतीय जनता पार्टी को नए सिरे से सोचने के लिए मजबूर किया है। भाजपा ने मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में अपनी सरकार के पतन को देखा। हालांकि मध्यप्रदेश में भाजपा अपनी करारी हार से बच ...
सरकार और पूर्व न्यायाधीश की मंशा पर सवाल ?
संविधान निमार्ताओं ने उच्च सदन में मनोनयन का प्रबंध इस पवित्र उद्देश्य से किया था कि ऐसे विषयों के विशेषज्ञों को राज्यसभा में भेजा जा सकता है, जो चुनाव प्रक्रिया के माध्यम से इस सदन में नहीं पहुंच पाते हैं।
कन्या भ्रूण हत्या-समाज का अभिशाप
मां के गर्भ में पल रही कन्या की जब हत्या की जाती है तब वह बचने के कितने जतन करती होगी, यह माँ से अच्छी तरह कोई नही जानता। नन्हा जीव जो माँ के गर्भ में पल रहा है, जिसकी हत्या की जा रही है, उनमें कोई कल्पना चावला, पी टी उषा, लता मंगेशकर तो कोई मदर टेरे...
किसानों के मन की बात भी सुनी जाए
नये कृषि कानूनों को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। पंजाब और हरियाणा के अलावा देश के कई हिस्सों में किसान आंदोलनरत हैं। सरकार कह रही है हमारा लक्ष्य किसानों की आय दोगुनी करना है। हम इसी लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं। ये वि...
एक भारत, एक संविधान और एक कानून की वीरता
जम्मू-कश्मीर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ऐतिहासिक वीरता पर दो महापुरुषों को याद किया जाना चाहिए, पूरे देश को इन दो महापुरूषों की याद भी आ रही है। ये दोनों महापुरूष हैं, सरदार पटेल और श्यामा प्रसाद मुखर्जी। सरदार पटेल ने विखंडित भारत के विरोधी थे...
आधुनिक भारत के लिए कालिख है छुआछूत की समस्या
भारतीय संविधान में आम नागरिकों को मौलिक अधिकार के रूप में अनुच्छेद 14 से लेकर 18 तक विभिन्न प्रकार की समता की बात की गई है। संविधान का अनुच्छेद 14 विधि के समक्ष समानता का अधिकार देता है, अनुच्छेद 15 धर्म, वंश, जाति, लिंग और जन्म स्थान आदि के आधार पर ...
धार्मिक आस्था पर प्रहार कब तक?
जम्मू-कश्मीर में आतंकियों ने पंद्रह साल बाद एक बार फिर कायराना हरकत की है। हिन्दू आस्था और सौहार्द पर आतंकवाद का कहर टूटा है। सावन के पहले सोमवार की रात लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों ने अमरनाथ यात्रियों को निशाना बनाया। हमले में सात श्रद्धालु यात्री मारे...
महाराष्ट्र में विचित्र सियासी गठबंधन
झूठ और धोखे के इस खेल में भाजपा, राकांपा, शिव सेना और कांग्रेस ने
आज के भारत के सच को उजागर किया है कि सत्ता ही सब कुछ है।
आप यह भी कह सकते हैं कि यही लोकतंत्र है
ठंड के सितम के आगे हौसलें हारते बेघर
दिसंबर का महीना आते ही देश में ठंड अपने तेवर दिखाने लग जाती है। तापमान की गिरावट के साथ ही धीरे-धीरे दिन छोटा व रातें बड़ी होने लगती हैं। कई शहरों में तापमान शून्य के नीचे चला जाता है, तो कई शहरों में पछुआ पवनें अपनी गति तेज कर कहर बरपाने लगती हैं। वह...
नेताओं के लिए शैक्षणिक योग्यता तय करने में हर्ज क्या?
चुनावी दौर में जन प्रतिनिधियों की डिग्री पर फिर सवाल उठाए जाने लगे है। अल्प शिक्षित उम्मीदवारों पर तंज कसे जा रहे है।हालांकि नेता बनने के लिए कोई डिग्री तय नहीं है लेकिन जब देश को आधुनिक और पूर्ण शिक्षित राष्ट्र बनाने की पहल हो रही है तो फिर राज नेता...