चीन में धार्मिक आजादी पर संकट
संयुक्त राष्ट्र की नस्ली भेदभाव उन्मूलन समिति का यह खुलासा चीन के दोहरे चरित्र को उजागर करने वाला है कि उसने 10 लाख से ज्यादा उइगर मुस्लिमों को कथित तौर पर कट्टरवाद विरोधी गुप्त शिविरों में कैद रखा है और 20 लाख अन्य को विचारधारा बदलने का दबाव बना रहा...
आॅनलाइन में बढ़ता नकली वस्तुओं का व्यापार
सामान खरीदना अधिक पसंद करेंगे, जहां से उनको सर्वाधिक लाभ मिलें | online business
इंटरनेट की मजबूत होती पकड़ के साथ आॅनलाइन बिक्री का असर भी लोगों के बीच बढ़ता जा रहा हैं। अब (online business) लोग बाजार से सामान खरीदने के बजाय वस्तुओं को अपने स्मार्ट फ...
समय की मांग है, एक साथ चुनाव
देश का लगभग 88 करोड़ मतदाता किसी न किसी चुनाव की चुनावी उलझन में जकड़ा रहता है। चूंकि संविधान में लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराने का उल्लेख तो है, लेकिन दोनों चुनाव एक साथ कराने का हवाला नहीं है। संविधान में इन चुनावों का निश्चित जीवनकाल भी नहीं है। वैस...
खफा-खफा से धरतीपुत्र
कृषि बिलों को लेकर आजकल देश के काश्तकारों का गुस्सा सातवें आसमान पर है। केंद्र की मंशा है, 2022 तक इनकी आमदनी को दोगुना किया जाए। धरती के लालों का मंडियों में शोषण समाप्त हो। फसलों की लागत कम हो। उत्पादन में आशातीत वृद्धि हो। अंतत: धरतीपुत्र खुशहाल ह...
ममता का अलोकतांत्रिक व्यवहार
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इन दिनों गुस्से में दिखाई देती है। चुनावी बेला में अपने मतदाताओं को पाले में रखने के लिये ममता दीदी जो मन में आ रहा है, वो बोले जा रही हैं। भाषा व पद की मर्यादा को वो कदम-कदम पर तार-तार कर रही हैं। चूंकि भाजपा ...
जजों की गुंडई-भ्रष्टाचार से बदनाम होती है न्यायपालिका
पंच को परमेश्वर कहा जाता है। पंच को परमेश्वर क्यों कहा जाता है? इसलिए पंच को परमेश्वर कहा जाता है कि उनमें निष्पक्षता होती है, उनमें ईमानदारी होती है, वे लाभ-हानि से ऊपर होते हैं, उनका आचरण भी सर्वश्रेष्ठ होता है, प्रेरक होता है, विश्वसनीयता भी होती ...
किसानों के प्रति महाराष्ट्र सरकार की उदारता
किसानों के प्रति महाराष्ट्र की देवेंद्र फडणवीस सरकार ने जो उदार संवेदनशीलता दिखाई हैं, वह अनुकरणीय है। हालांकि महाराष्ट्र सरकार कर्जमाफी की घोषणा तो पहले ही कर चुकी थी, लेकिन अब एक कदम और आगे बढ़ते हुए राज्य के 90 प्रतिशत किसानों के ऋण माफ करने के द्व...
मनभेद की राजनीति में वृद्धि
वर्तमान में सत्ता विरोधी राजनीतिक दलों के नेता जिस तरह से बयान दे रहे हैं, उसे राजनीतिक भ्रष्टाचार फैलाने वाला निरुपित किया जाए ज्यादा ठीक ही होगा। राजनीति में मतभेद होना कोई नहीं बात नहीं है, लोकतंत्र की स्वस्थ परंपराओं के अंतर्गत मतभेद हो सकते हैं।...
सांप्रदायिक भाषण: जहर घोलने का मौसम
लोकतंत्र हितों का टकराव है और इस पर तीखे, धुंआधार चुनावी मौसम में सिद्धान्तों की प्रतिस्पर्धा का आवरण चढ़ा दिया गया है। यह हमारे नेताओं के झूठ का पदार्फाश करता है। वे एक दूसरे के विरुद्ध आरोप-प्रत्यारोप, धमकी और विष वमन कर रहे हैं और चुनाव के लिए जरूर...
मीडिया की परीक्षा : विश्वसनीय सूचना महत्वपूर्ण
मीडिया के बारे में उच्चतम न्यायालय की हाल में की गयी टिप्पणी को पत्रकारों को सही परिप्रेक्ष्य में लेना चाहिए। मुख्य न्यायधीश मिश्रा की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने कहा हमें यह कहते हुए खेद है कि कुछ पत्रकार मानते हैं कि वे किसी मंच पर बैठे हुए हैं और कुछ...