कोरोना से बेहतर तरीके से निपट रहा भारत
भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने कोरोना वायरस को ‘राष्ट्रीय आपदा’ अधिसूचित कर दिया है। यह राज्य सरकारों पर भी लागू होगा।
लॉकडाउन के बंधन ढीले करने की मजबूरी
लॉकडाउन में दी गई छूट का गलत इस्तेमाल न करें क्योंकि आपकी एक गलती कई लोगों पर भारी पड़ सकती है। यह भी जान लेना चाहिए कि इस बीमारी की अभी कोई दवा नहीं है, ऐसे में केवल परहेज के जरिए ही इस बीमारी से बचा जा सकता है। थोड़ी सी लापरवाही भी कई जिंदगियों पर भारी पड़ सकती है।
समस्याओं के अंधेरों में आत्म-निर्भरता का उजाला
भारत इस समय न केवल कोरोना महासंकट से जूझ रहा है, बल्कि सीमाओं पर बढ़ रही युद्ध की आशंकाओं, बढ़ती बेरोजगारी, अस्त-व्यस्त व्यापार, आसमान छूती महंगाई आदि चैतरफा समस्याओं से संघर्षरत है। इन्हीं समस्याओं का पूवार्नुमान लगाते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी न...
कोरोना की मार से परेशान अन्नदाता को मदद चाहिए
कोरोना ने तो सबसे ज्यादा अन्नदाताओं की उम्मीदों और भविष्य पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया है। मजदूर कृषि क्षेत्र से गायब है। मजदूर पलायन कर गये हैं। प्रवासी मजदूर ही गेहूं की कटाई और गेहू बीज निकालने का कार्य्र करते हैं। कोरोना के कारण कृषि मजदूर अपने-अपने घरों में लौट गये।
हमें योग-आयुर्वेद की तरफ लौटना ही होगा
आयुष मंत्रालय ने छठे ‘विश्व योग दिवस’ पर आपको विशेष रूप से लोगों को वर्चुअल योग कराने का निमत्रंण दिया, कैसा रहा अनुभव?
जी हां, विश्व योग दिवस पर मैंने अपनी संस्था ‘योगाकरो’ के माध्यम से पूरे विश्व में 15 लाख से अधिक लोगों को वर्चुअल तरीके से जोड़कर ...
अव्यवस्था का शिकार कब तक होते रहेंगे नौनिहाल?
आए दिन व्यवस्था के साए तले नौनिहालों की मौत का सिलसिला लगातार जारी है, लेकिन न व्यवस्था अपनी चिरनिद्रा से जाग पा रही और न ही प्रशासन अपनी सजगता दिखा पा रहा।
भारत-अमेरिका रक्षा सौदे से पाकिस्तान क्यों बौखलाया
दरअसल रक्षा सौदे पर पाकिस्तान इसलिए परेशान हो रहा है चूंकि भारतीय प्रधानमंत्री और अमेरिकी राष्ट्रपति के बीच द्वीपक्षीय वार्ता के दौरान दोनों नेताओं ने एक स्वर व एक ही अंदाज में आतंकवाद पर पाकिस्तान को कड़े अंदाज में घेरते हुए हड़काया है। दोनों ने कहा थ...
आखिर मजदूर को मजबूर समझने की गलती क्यों!
एक-एक मजदूर की समस्या देश की समस्या है। सरकार को इस पर अपनी आंखें पूरी तरह खोलनी चाहिए। हो सकता है कि इस कठिन दौर में सरकार के सारे इंतजाम कम पड़ रहे हों बावजूद इसके जिम्मेदारी तो उन्हीं की है।
लॉकडाउन और भय की भावना
लॉकडाउन का उद्देश्य महामारी के प्रसार को रोकना है। इस महामारी पर नियंत्रण के लिए लक्षण दिखने वाले रोगियों, जिन रोगियों मे लक्षण न दिख रहें हों और लक्षण से पूर्व के रोगियों को शेष लोगों से अलग रखना है और इसीलिए लॉकडाउन किया गया किंतु आम आदमी इसके उद्देश्य को नहीं समझ पाया।
कोरोना संकट झेलते डॉक्टर एवं चिकित्साकर्मी
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार पंजीकृत ऐलोपैथी डॉक्टरों की संख्या 11.59 लाख है, किंतु इनमें से केवल 9.27 लाख डॉक्टर ही नियमित सेवा देते हैं। सरकारी अस्पताल व स्वास्थ्य केंद्रों की जो श्रृंखला गांव तक है, उसमें चिकित्सकों व स्वास्थ्यकर्मियों की उपस्थित की अनिवार्यता के साथ उपकरण व दवाओं की मात्रा भी सुनिश्चित हो।