श्रीराम नेपाल के सियासी संग्राम की वजह
ओली शुरू से ही इस बात के लिए प्रयासरत थे की देश के वास्तविक मुखिया होने के नाते वे सता के केन्द्र में रहें। जबकि पार्टी के वरिष्ठ नेता ओली की शक्तियों में वृद्धि के खिलाफ थे। वे एक व्यक्ति एक पद का हवाला देते हुए ओली को पीएम पद या पार्टी के अध्यक्ष प...
अब बेटियां बराबर की हकदार
सर्वोच्च न्ययालय ने महिलाओं के हक में बड़ा निर्णय दिया है। इस फैसले से चारों ओर खुशी की लहर है। न्यायालय ने कहा है कि पिता की पैतृक संपत्ति में बेटी का बेटे के बराबर का हक है, थोड़ा भी कम नहीं। कोर्ट ने कहा कि बेटी जन्म के साथ ही पिता की संपत्ति में बर...
राहुल की व्यथा और कांग्रेस की राजनीति
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस्तीफा दिया, लेकिन पार्टी के बार-बार आग्रहों के बावजूद उसे वापस नहीं लिया। अपने इरादे पर अडिग रहे, लिहाजा सतही तौर पर उसे नाटक करार नहीं दिया जा सकता। राहुल गांधी व्यथित हैं। उनकी पीड़ा बयां भी हुई है कि लोकसभा चुनाव...
21वीं दशक के भारत के पास सभी का जवाब है
भारत चीन को उसी तरह से जवाब दे रहा है जैसा जवाब हमने 2 वर्ष पहले चीन को डोकलाम में दिया था। चीन की हरकतों को भारत हल्के में नहीं ले रहा है, ना ही किसी के उकसावे में आकर काम कर रहा है जिस प्रकार पिछले दिनों नेपाल ने चीन के उकसावे में आकर बयानबाजी कर रहा था अब वह भी ठंडा पड़ गया।
बाधा मुक्त खेती के बड़े उपाय
भारत सरकार ने बाधा मुक्त खेती-किसानी के लिए दो अध्यादेश लागू कर किसानों को बड़ी राहत देने के उपाय किए हैं। अब देश के किसान अपनी फसल को देश की किसी भी कृषि उपज मंडी में बेचने के लिए स्वतंत्र हैं। अभी तक किसान राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित की गईं मंडियों ...
बुजुर्गों की ‘मनोदशा’ को न होंने दें ‘लॉक’
लॉकडाउन में बुजुर्गों को कभी अकेला न रहने दें। अकेलापन उनके भीतर निराशा और हताशा का भाव पैदा करता है। जिसकी वजह से जीवन में नैराश्यता का भाव पैदा होता है। उम्र दराज लोगों से हमेशा बातचीत करते रहिए। उनके भीतर संवाद शून्यता का भाव पैदा न होने पाए।
समय की मांग है, एक साथ चुनाव
देश का लगभग 88 करोड़ मतदाता किसी न किसी चुनाव की चुनावी उलझन में जकड़ा रहता है। चूंकि संविधान में लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराने का उल्लेख तो है, लेकिन दोनों चुनाव एक साथ कराने का हवाला नहीं है। संविधान में इन चुनावों का निश्चित जीवनकाल भी नहीं है। वैस...
संतुलित आर्थिक सोच पर मंथन जरूरी
कोरोना प्रकोप से जूझ रही दुनिया के लिए सबसे बड़ा खतरा यह महामारी नहीं होकर असंतुलित एवं भौतिकवादी आर्थिक मानसिकता है। हर एक के मन में उछाल मार रही अमीरी की ललक है, जिसमें हर कोई आर्थिक अपराध एवं पर्यावरण विनाश को नजरअंदाज कर रहा है। इसी से भ्रष्टाचार ...
प्रेरणास्त्रोत: स्वामी का उपदेश
मुक्ति का अर्थ है संपूर्ण स्वाधीनता शुभ और अशुभ दोनों प्रकार के बंधनों से छुटकारा पा जाना। इसे समझना जरा कठित है।
लोहे की जंजीर भी एक जंजीर है और सोने की जंजीर भी एक जंजीर ही है।
कांग्रेस की ‘खुदकुशी’ कौन रोकेगा?
जब अनुशासन की बागडोर कमजोर होती है, विचार धारा जब स्पष्ट नहीं होती हैं, सक्रियता के राजनीतिक मुददों पर लाभ-हानि का विचार नहीं होता है तब कोई राजनीतिक संगठन कमजोर ही होता है, लगातार पतन की ओर ही जाता है, चुनावों में हार को ही प्राप्त करता है।