कोरोना को लेकर दुविधा
32 देशों के 239 वैज्ञानिकों द्वारा कोरोना वायरस के हवा के माध्यम से फैलने को लेकर की गई रिसर्च विश्व भर के देशों की सरकारों व आम आदमी के लिए मुश्किल व दुविधा वाली स्थिति पैदा कर दी है। संयुक्त राष्ट्र ने इस रिसर्च की सूचना पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया न...
डिजीटल इंडिया में भूत-प्रेत कहकर मारे जा रहे निर्दोष
एक तरफ देश चंद्रमा पर जाने के लिए सैटेलाइट छोड़ने के लिए तैयार है, वहीं दूसरी तरफ देश अंधविश्वास में बुरी तरह से जकड़ा हुआ है। विशेष तौर पर गरीब व पिछड़े क्षेत्रों के अधिकतर लोग अंधविश्वास की चपेट में हैं। झारखंड में बुजुर्गों सहित चार लोगों को भूत-प्रे...
कृषि संबंधी नीतियों में समानता जरूरी
कृषि संकट को राजनीतिक पार्टियों ने चुनावों में भी मुद्दा बनाया है
और कई राज्यों की सरकारें इस मुद्दे से मुक्कर भी चुकी है।
कई राज्यों की सरकारों ने अपने घोषणा पत्र में किए वायदे के अनुसार किसानों का कर्ज भी माफ किया लेकिन, फिर भी कृषि संकट टल नहीं रहा।
क्या चुनावों तक वास्तव में अकेली पड़ जाएगी ममता
पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में तीन महीने से भी कम का समय बाकी है। भाजपा और टीएमसी में तकरार चरम पर है। तृणमूल कांग्रेस पर मंडराता संकट खत्म होने का नाम नहीं ले रहा। केंद्रीय स्तर पर तृणमूल का चेहरा माने जाने वाले दिनेश त्रिवेदी ने राज्यसभा में ही...
पराली न जलाने को जागरूक बनें किसान
धान की कटाई के बाद किसानों द्वारा पराली जलाने के कारण हवा में बेहद प्रदूषण फैल रहा है, जो चिंता का विषय बन चुका है। इसका सीधा असर लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ता है। इसका ज्यादा असर जहां पराली जलाई जाती है, वहां के गांवों और वहां के बच्चों तथा अन्य लोगों ...
ताजमहल की संभाल में लापरवाही
ताज महल की सार-संभाल ना करने पर सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार के खिलाफ जो सख्त शब्द प्रयोग किए हैं वो हमारे सरकारी सिस्टम की कमजोरी को उजागर करते हैं। माननीय न्यायधीशों ने सख्त लहजे में यहां तक कह दिया कि यदि ताज की संभाल नहीं कर सकते तब इसको गिरा द...
दवा को राजनीतिक रंग न दिया जाए
कोरोना में सरकार के प्रबंध इतने नाकारा साबित हुए कि करोड़ों मजदूरों को सड़कों पर भटकना पड़ा। अस्पतालों में कोरोना परीक्षण, पीपीई किट देने में सरकार से गलतियां हुई होंगी उन्हें भाजपा की कमियां कहा जाना चाहिए। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कोरोना वैक्सीन को ...
अब कौन लेगा किसानों की सुध
देश की अर्थव्यवस्था मजबूत आंकड़ों के साए में भी सहमी सी दिख रही है। निर्यात घटने और व्यापार घाटा बढ़ने की आशंकाएं सामने खड़ी मुंह चिढ़ा रही हैं। पांच साल पहले जो काम 60 महीने यानी 2018 तक किए जाने थे, अब वे 2022 तक किए जाएंगे। इतना ही नहीं, जो काम सबसे प...
भारी टैक्स, चन्दे, ब्याज व समाज कल्याण से न मारा जाए उद्योग जगत
एक अंतराष्टय रिपोर्ट ग्लोबल वेल्थ माइग्रेशन रिव्यू के अनुसार पिछले तीन साल से छह से सात हजार भारतीय करोड़पति देश छोड़ रहे हैं। ये धनवान लोग उन देशों का रूख कर रहे हैं, यहां टैक्स स्लैब कम है चूंकि भारत में आयकर 40 प्रतिशत तक व जीएसटी 28 प्रतिशत की ऊंची...
लॉकडाउन में ढील से बढ़ी आम नागरिकों की जिम्मेवारी
लोगों को अब लॉकडाउन से ज्यादा एहतियात रखनी होगी। बेमतलब भीड़ में ना जाएं। सोशल डिस्टेंसिंग रखें, मास्क पहनें, हाथ धोते रहें, चेहरा न छूएं कोरोना लक्ष्ण दिखें तो स्वयं व परिवार को क्वारंटाईन करें। खुद स्वस्थ रहें देश को स्वस्थ रखें।