स्वच्छता हमारी पहचान बने’
पर्यटन की दृष्टि से भारत विश्व भर के सैलानियों के लिए आकर्षण का केन्द्र है। अगर सफाई को गंभीरता से लिया जाए तो पर्यटन उद्योग को और फायदा मिल सकता है।
जिंदगी की जंग में आर्थिक कुर्बानी छोटी
नि:संदेह आर्थिकता किसी देश की रीढ़ होती है लेकिन आर्थिकता भी तो मानव समाज के लिए है। बिना मानव कारें, कोठियां व उच्च स्तरीय रहन-सहन किस काम का?
राजनीतिक कल्चर में सुधार जरूरी
अब चुनावों में जीत-हार की समीक्षा के समय अच्छे बुरे ब्यानों पर सवाल उठने लगे हैं तथा कईयों की क्लास भी लग चुकी है।
टकराव में बदलता विरोध
अब कानून के समर्थक व विरोधी ही आपस में टकरा रहे हैं। नि:संदेह ऐसे टकराव हमारे देश, संविधान व समाज के लिए खतरनाक परिस्थितियां पैदा कर रहे हैं।
लॉकडाउन में विस्तार जरूरी
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का यह तर्क भी जायज है कि लॉकडाउन के कारण ही मरीजों की गिनती अभी 7000 से नीचे है, अन्यथा अब तक मरीजों की गिनती 2 लाख को पार कर जानी थी। अब हालातों को देखकर उन लोगों को भी समझ जाना चाहिए जो मास्क नहीं पहनते और सावधानियों को नहीं मान रहे। अब लापरवाही का वक्त नहीं रहा।