बार्डर सील न करें मरीजों की मदद करें
दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने तो हद ही कर दी, उन्होंने कहा है कि दिल्ली के हिसाब से अस्पतालों में मरीज के लिए बेड की पर्याप्त व्यवस्था है लेकिन अगर दूसरे राज्यों के मरीज गए तो दिक्कत हो सकती है। ऐसे में उन्हें क्या करना चाहिए? क्या उन्हें अपनी सीमाएं सील कर देनी चाहिए या फिर सभी राज्यों के लिए खोल देना चाहिए? यह एक संवेदनहीनता व अमानवीय घटना है ।
लॉकडाउन की अहमीयत
देश भर में लॉकडाउन लागू करने की मजबूरी प्रधानमंत्री के सख्त शब्दों से समझी जा सकती है। प्रधानमंत्री ने कहा कि लॉकडाउन को कर्फ्यू ही समझा जाए। दरअसल प्रधानमंत्री विभिन्न राज्यों द्वारा पिछले दिनों अपने स्तर पर किए गए लॉकडाउन को लेकर व जनता द्वारा लॉकडाउन की पालना को लेकर चिंतित दिखे।
शराब जरूरी नहीं, स्वास्थ्य जरूरी
कोविड-19 में डब्ल्यूएचओ एवं स्वास्थ्य विशेषज्ञ साफ चेतावनी दे रहे हैं कि शराब का सेवन कोविड-19 के मरीज को ज्यादा मुश्किल में डालने वाला है, क्योंकि शराब से व्यक्ति की रोगों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता घटती है।
सर्तकता में ही बचाव
इस बुरे वक्त में सरकार, प्रशासन, निजी कंपनियों, आमजन सबको बहुत ही सर्तकता से अपना काम करना है। जरा सी भूल से जहां कोरोना की मार पड़ सकती है वहीं विसाखापत्तनम या ओरंगाबाद रेल हादसे जैसी कोई त्रासदी भी घटित हो सकती है।
तूफान पीड़ितों पर राजनीति न कर मदद की जाए
इस मामले में दोनों पक्षों को चुनावी फायदे को एक तरफ रखकर इंसानियत, नैतिक व कानूनी जिम्मेदारी के साथ पीड़ित लोगों की मदद करनी चाहिए।
बढ़ रहा महामारी प्रकोप सबके लिए हो स्वास्थ्य रणनीति
केंद्र सरकार का ध्यान अनलॉक करने पर केंद्रित है लेकिन महाराष्ट्र, तामिलनाडु, गुजरात व दिल्ली में बढ़ रहे कोरोना मरीजों को देखते हुए नई रणनीति बनानी होगी।
मासूमों पर जुल्म रोका जाए
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग की रिपोर्ट के अनुसार प्रत्येक वर्ष देश भर में 40000 के करीब बच्चे अगवा किये जाते हैं जिनमें से 12000 के करीब मामले अनसुलझे रह जाते हैं।