कोरोना के खिलाफ भारत एकजुट
देश में कोरोना के खिलाफ धार्मिक, सामाजिक और राजनैतिक तौर पर जनता की एकजुटता ने मिसाल कायम की है। आम लोगों ने जिम्मेदारी, जागरूकता व देश के प्रति समर्पण की भावना दिखाई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लॉकडाऊन बढ़ाने के बावजूद लोग देश के लिए एकजुट हैं।
महामारी के समय युद्ध अभ्यास क्यों
हैरानी इस बात की है कि पूरी दुनिया इस वक्त कोरोना वायरस से जूझ रही है, फिर भी चीन मिसाइलों का परीक्षण कर रहा है। प्रश्न यह उठ रहा है कि फिर चीन को इस वक्त किस देश से खतरा है? जबकि चीन द्वारा युद्ध की तैयारियां हो रही हैं। ऐसे में चीन की नीयत पर सवाल उठना जायज है।
जीवन पर खतरा, आर्थिक भविष्य की चिंता बेमतलब
आर्थिक तरक्की के चलते पूरी दुनिया ने अपना हवा, पानी, वन, मिट्टी, जीव जन्तु सब तहस-नहस कर लिए हैं। प्रकृति ने आर्थिक पहिये को जरा सा रोककर फिर से मनुष्य की हवा, पानी, मिट्टी, वनों की साफ-सफाई शुरू कर दी है वह भी बड़ी तेजी के साथ, जोकि मनुष्य अरबों रूपये के सफाई एवं पर्यावरण संरक्षण प्रोजेक्ट बनाकर भी नहीं कर पा रहा था।
लॉकडाउन में विस्तार जरूरी
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का यह तर्क भी जायज है कि लॉकडाउन के कारण ही मरीजों की गिनती अभी 7000 से नीचे है, अन्यथा अब तक मरीजों की गिनती 2 लाख को पार कर जानी थी। अब हालातों को देखकर उन लोगों को भी समझ जाना चाहिए जो मास्क नहीं पहनते और सावधानियों को नहीं मान रहे। अब लापरवाही का वक्त नहीं रहा।
वायु, थल, जल, सेना के साथ बनानी होगी आयुष सेना
यह उम्मीद की जानी चाहिए कि भारत व इसकी सुरक्षा एजेसियां इस बात से सक्रिय हो गई होंगी कि दुनिया अगर जैविक युद्ध के दौर में प्रवेश कर चुकी है तो वह पारंपरिक सेना, जल, थल, वायु के साथ ही अब आयूष सेना भी तैयार कर ले।
सहकारी समितियों के माध्यम से गांवों से ही हो फसल खरीद
फसलों की खरीद में सरकार इस बार अपनी रणनीति बदलकर यदि फसलों की खरीद सीधे गांवों व खेतों से कर ले तब बहुत सी मुश्किलें हल हो सकती हैं। इस मुश्किल वक्त में सरकार का साथ कोऑपरेटिव समितियां दे सकती हैं, किसान अपने गांव में ही सहकारी समितियों पर अपनी फसल बेचें।
हौसला व एकजुटता जरूरी
प्रधानमंत्री के संदेश का सवाल है जब करोड़ों लोग संकट में हों तब उन्हें हौसला देने के लिए प्रेरणादायक कार्य करना पड़ता है। जहां तक हो सके नेक कार्यों में सहयोग करना चाहिए। ताकत व एकता के बिना कोई भी लड़ाई नहीं लड़ी जा सकती। दरअसल एकता में ही ताकत होती है।
धर्मान्धता घातक
धर्म किसी के भी सताने या उत्पीड़ित करने की शिक्षा नहीं देता। बेहतर होगा धर्म के साथ-साथ अपने देश व विज्ञान की शिक्षा भी ली जाए जो सिखा सके कि आखिर धर्म कैसे समाज का सृजन चाहते हैं।
महामारी के विरुद्ध अपने नेताओं की सुनें देशवासी
संयुक्त राष्ट्र के जनरल सचिव एनटोनियो गुटेरेस का कहना है कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद मानवीय जाति के समक्ष कोरोना वायरस सबसे बड़ा संकट बना है।
लापरवाह लोगों को दंड मिले
सवाल यह है कि देश भर में लॉकडाउन व लॉकडाउन लागू होने से पहले इतने बड़ी संख्या में लोग निजामुद्दीन मरकज में कैसे इक्ट्ठे हो गए? इससे दिल्ली पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठना स्वाभाविक है।