शराब जरूरी नहीं, स्वास्थ्य जरूरी
कोविड-19 में डब्ल्यूएचओ एवं स्वास्थ्य विशेषज्ञ साफ चेतावनी दे रहे हैं कि शराब का सेवन कोविड-19 के मरीज को ज्यादा मुश्किल में डालने वाला है, क्योंकि शराब से व्यक्ति की रोगों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता घटती है।
चापलूस, बकवासी व झूठे मीडिया वर्ग को क्यों सुनना
राजनीतिक चम्मचागिरी के अलावा मीडिया का यही वर्ग व्यवसायिक जगत एवं अध्यात्मिक जगत के लोगों को भी बदनाम करने का निर्लज्ज प्रयास आए दिन करता रहता है। मीडिया का ये स्वार्थी वर्ग भले खुद अच्छी खासी काली कमाई कर रहा हो, लेकिन देश व समाज का ये बहुत घात कर रहा है।
प्रवास के लिए भारतीयों समक्ष खड़ा हो रहा संकट
इंडियन सेंटर फॉर माइग्रेशन को चाहिए कि वह भारतीयों के लिए नए देशों व क्षेत्रों की खोज में अपने प्रयास तेज करे।
मॉब लिचिंग पर राजनेताओं, मीडिया की क्या हो भूमिका
समस्या यह है कि मॉब लिंचिग कहीं बदलाखोरी का रूप न धारण कर जाए? यहां राजनीतिक पार्टियों को इस गंभीर मुद्दे पर संयम रखना होगा और भीड़ में हुई हत्याओं को सांप्रदायिक रंगत देने से बचा जाए। राजनीतिक लोगों से कहीं ज्यादा जिम्मेवारी मीडिया के लोगों पर भी है। मीडिया को अपनी कवरेज में साम्प्रदायिक पुट देने से बचना चाहिए।
दोहरे मापदंड न अपनाएं
बिहार में कोटा से विद्यार्थियों की वापिसी के लिए राजनीतिक जंग शुरू हो गई है। नि:संदेह यह प्रधानमंत्री के आदेशों, अपील और देश की आवश्यकताओं के विरुद्ध है। इस वक्त हजारों लोगों का इधर-उधर जाना खतरे से खाली नहीं। कोटा में रह रहे विद्यार्थियों और देश में कोरोना से मरने वाले लोगों को देखते हुए इस समय जगह न बदलने में ही भलाई है।
कोरोना योद्धाओं को सलाम
देश भर के डॉक्टर, पुलिस व सफाई कर्मचारी, इस वक्त कोरोना वायरस जैसी नामुराद बीमारी से लड़ रहे हैं। इन्हें कोरोना वॉरियर्स का नाम दिया गया है। सरकार को उन समाजसेवी लोगों के जज्बे की भी सराहना करने की आवश्यकता है जो बिना किसी वेतन, स्वार्थ के प्रशासन का सहयोग कर रहे हैं।
पब्जी का कहर और लापरवाह अभिभावक
पंजाब में एक सप्ताह में दो बच्चों की पब्जी गेम से मौत दर्दनाक व चिंतनीय विषय है। चिंता इस बात की है कि यह गेम धीमा जहर है, इस मामले में न तो समाज और न ही सरकारें कोई नोटिस ले रही हैं। कंपनियां और गेम्स खेलने वाले लोग पर्दे के पीछे रहकर अपने कारोबार के लिए बच्चों को खतरनाक मनोरंजन परोस रहे हैं।
चीन के प्रति बढ़ती अविश्वसनीयता
हाल ही में जारी रिपोर्ट से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का दावा भी सच साबित हुआ है, जिसमें उन्होंने कहा था कि चीन कोविड-19 की वास्तविक्ता को छुपा रहा है और इसकी जानकारी भी देरी से दी है। केवल अमरीका ही नहीं बल्कि अन्य देशों में भी यह धारणा बन रही थी कि चीन अपने मृतकों की गिनती सही नहीं बता रहा।
लॉकडाउन के बाद क्या होगा?
कभी किसी धार्मिक स्थान के लोग इसका कारण बनते हैं, कभी देश में ईधर से उधर हिल-जुलकर रहे प्रवासी मजदूर। अब तो अखबार बांटने वाले हॉकर एवं फूड सप्लाई ब्वॉय भी कोरोना को अंजाने में मदद कर रहे हैं। अत: कोरोना के विरुद्ध रैण्डम जांच व बड़े पैमाने पर जांच बेहद जरूरी हो गई है।
अस्थियों का प्रवाह रूका, परन्तु कल्याण के रास्ते अभी भी खुले
दुनिया भर में अनेकों रीतियां हैं जिनसे लोग अपने मृतक परिवारिक सदस्यों को अंतिम विदायगी देते हैं। जल की तरह भूमि भी पवित्र है। भूमि भी जीवन दायनी है। अगर मृत शरीर पुन: जीवन दायनी की गोद में चला जाता है तब बुरा ही क्या है?