मॉब लिचिंग पर राजनेताओं, मीडिया की क्या हो भूमिका
समस्या यह है कि मॉब लिंचिग कहीं बदलाखोरी का रूप न धारण कर जाए? यहां राजनीतिक पार्टियों को इस गंभीर मुद्दे पर संयम रखना होगा और भीड़ में हुई हत्याओं को सांप्रदायिक रंगत देने से बचा जाए। राजनीतिक लोगों से कहीं ज्यादा जिम्मेवारी मीडिया के लोगों पर भी है। मीडिया को अपनी कवरेज में साम्प्रदायिक पुट देने से बचना चाहिए।
दोहरे मापदंड न अपनाएं
बिहार में कोटा से विद्यार्थियों की वापिसी के लिए राजनीतिक जंग शुरू हो गई है। नि:संदेह यह प्रधानमंत्री के आदेशों, अपील और देश की आवश्यकताओं के विरुद्ध है। इस वक्त हजारों लोगों का इधर-उधर जाना खतरे से खाली नहीं। कोटा में रह रहे विद्यार्थियों और देश में कोरोना से मरने वाले लोगों को देखते हुए इस समय जगह न बदलने में ही भलाई है।
कोरोना योद्धाओं को सलाम
देश भर के डॉक्टर, पुलिस व सफाई कर्मचारी, इस वक्त कोरोना वायरस जैसी नामुराद बीमारी से लड़ रहे हैं। इन्हें कोरोना वॉरियर्स का नाम दिया गया है। सरकार को उन समाजसेवी लोगों के जज्बे की भी सराहना करने की आवश्यकता है जो बिना किसी वेतन, स्वार्थ के प्रशासन का सहयोग कर रहे हैं।
पब्जी का कहर और लापरवाह अभिभावक
पंजाब में एक सप्ताह में दो बच्चों की पब्जी गेम से मौत दर्दनाक व चिंतनीय विषय है। चिंता इस बात की है कि यह गेम धीमा जहर है, इस मामले में न तो समाज और न ही सरकारें कोई नोटिस ले रही हैं। कंपनियां और गेम्स खेलने वाले लोग पर्दे के पीछे रहकर अपने कारोबार के लिए बच्चों को खतरनाक मनोरंजन परोस रहे हैं।
चीन के प्रति बढ़ती अविश्वसनीयता
हाल ही में जारी रिपोर्ट से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का दावा भी सच साबित हुआ है, जिसमें उन्होंने कहा था कि चीन कोविड-19 की वास्तविक्ता को छुपा रहा है और इसकी जानकारी भी देरी से दी है। केवल अमरीका ही नहीं बल्कि अन्य देशों में भी यह धारणा बन रही थी कि चीन अपने मृतकों की गिनती सही नहीं बता रहा।
लॉकडाउन के बाद क्या होगा?
कभी किसी धार्मिक स्थान के लोग इसका कारण बनते हैं, कभी देश में ईधर से उधर हिल-जुलकर रहे प्रवासी मजदूर। अब तो अखबार बांटने वाले हॉकर एवं फूड सप्लाई ब्वॉय भी कोरोना को अंजाने में मदद कर रहे हैं। अत: कोरोना के विरुद्ध रैण्डम जांच व बड़े पैमाने पर जांच बेहद जरूरी हो गई है।
अस्थियों का प्रवाह रूका, परन्तु कल्याण के रास्ते अभी भी खुले
दुनिया भर में अनेकों रीतियां हैं जिनसे लोग अपने मृतक परिवारिक सदस्यों को अंतिम विदायगी देते हैं। जल की तरह भूमि भी पवित्र है। भूमि भी जीवन दायनी है। अगर मृत शरीर पुन: जीवन दायनी की गोद में चला जाता है तब बुरा ही क्या है?
कोरोना के खिलाफ भारत एकजुट
देश में कोरोना के खिलाफ धार्मिक, सामाजिक और राजनैतिक तौर पर जनता की एकजुटता ने मिसाल कायम की है। आम लोगों ने जिम्मेदारी, जागरूकता व देश के प्रति समर्पण की भावना दिखाई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लॉकडाऊन बढ़ाने के बावजूद लोग देश के लिए एकजुट हैं।
महामारी के समय युद्ध अभ्यास क्यों
हैरानी इस बात की है कि पूरी दुनिया इस वक्त कोरोना वायरस से जूझ रही है, फिर भी चीन मिसाइलों का परीक्षण कर रहा है। प्रश्न यह उठ रहा है कि फिर चीन को इस वक्त किस देश से खतरा है? जबकि चीन द्वारा युद्ध की तैयारियां हो रही हैं। ऐसे में चीन की नीयत पर सवाल उठना जायज है।
जीवन पर खतरा, आर्थिक भविष्य की चिंता बेमतलब
आर्थिक तरक्की के चलते पूरी दुनिया ने अपना हवा, पानी, वन, मिट्टी, जीव जन्तु सब तहस-नहस कर लिए हैं। प्रकृति ने आर्थिक पहिये को जरा सा रोककर फिर से मनुष्य की हवा, पानी, मिट्टी, वनों की साफ-सफाई शुरू कर दी है वह भी बड़ी तेजी के साथ, जोकि मनुष्य अरबों रूपये के सफाई एवं पर्यावरण संरक्षण प्रोजेक्ट बनाकर भी नहीं कर पा रहा था।
लॉकडाउन में विस्तार जरूरी
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का यह तर्क भी जायज है कि लॉकडाउन के कारण ही मरीजों की गिनती अभी 7000 से नीचे है, अन्यथा अब तक मरीजों की गिनती 2 लाख को पार कर जानी थी। अब हालातों को देखकर उन लोगों को भी समझ जाना चाहिए जो मास्क नहीं पहनते और सावधानियों को नहीं मान रहे। अब लापरवाही का वक्त नहीं रहा।
वायु, थल, जल, सेना के साथ बनानी होगी आयुष सेना
यह उम्मीद की जानी चाहिए कि भारत व इसकी सुरक्षा एजेसियां इस बात से सक्रिय हो गई होंगी कि दुनिया अगर जैविक युद्ध के दौर में प्रवेश कर चुकी है तो वह पारंपरिक सेना, जल, थल, वायु के साथ ही अब आयूष सेना भी तैयार कर ले।
सहकारी समितियों के माध्यम से गांवों से ही हो फसल खरीद
फसलों की खरीद में सरकार इस बार अपनी रणनीति बदलकर यदि फसलों की खरीद सीधे गांवों व खेतों से कर ले तब बहुत सी मुश्किलें हल हो सकती हैं। इस मुश्किल वक्त में सरकार का साथ कोऑपरेटिव समितियां दे सकती हैं, किसान अपने गांव में ही सहकारी समितियों पर अपनी फसल बेचें।
हौसला व एकजुटता जरूरी
प्रधानमंत्री के संदेश का सवाल है जब करोड़ों लोग संकट में हों तब उन्हें हौसला देने के लिए प्रेरणादायक कार्य करना पड़ता है। जहां तक हो सके नेक कार्यों में सहयोग करना चाहिए। ताकत व एकता के बिना कोई भी लड़ाई नहीं लड़ी जा सकती। दरअसल एकता में ही ताकत होती है।
धर्मान्धता घातक
धर्म किसी के भी सताने या उत्पीड़ित करने की शिक्षा नहीं देता। बेहतर होगा धर्म के साथ-साथ अपने देश व विज्ञान की शिक्षा भी ली जाए जो सिखा सके कि आखिर धर्म कैसे समाज का सृजन चाहते हैं।