Coaching Center: देश की राजधानी दिल्ली में एक नहीं सैकड़ो की संख्या में ऐसे कोचिंग सेंटर चल रहे हैं, जिनमें सुरक्षा के प्रबंध न कही हैं। करोलबाग एरिया के ओल्ड राजेंद्र नगर में स्थित एक कोचिंग सेंटर की बेसमेंट में उन विद्यार्थियों की कोचिंग चल रही थी जो भविष्य में असल मायने में देश के सबसे बड़े अधिकारी बनना चाह रहे थे। लेकिन उन्हें नहीं पता था कोचिंग सेंटर उनका भविष्य नहीं बल्कि उनका मौत का कारण बनेगा। यदि इन कोचिंग सेंटर्स को सुविधाओं के अभाव में मौत के कोचिंग सेंटर कहा जाए तो भी किसी प्रकार की अतिशयोक्ति नहीं होगी।
अब सबसे बड़ी बात यह है की इन कोचिंग सेंटर्स को एमसीडी सहित फायर ब्रिगेड विभाग से एनओसी लेनी अनिवार्य होती है। किसी भी स्कूल,कॉलेज व कोचिंग सेंटर्स को किसी भी प्रकार की एनओसी की जरूरत होती है तो उन्हें एनओसी बड़ी आसानी से मिल जाती है। क्योंकि यह भ्रष्टाचार का जमाना है। भ्रष्टाचार से कुछ भी असंभव नहीं है। यदि फायर ब्रिगेड विभाग के नियमों पर नजर डाली जाए तो किसी भी शिक्षण संस्थान व औद्योगिक संस्थान को विभाग की एनओसी लेने के लिए सबसे पहले एनबीसी एक्ट के तहत सभी प्रकार के उपकरण लगवाने होते हैं, ताकि किसी भी आपात स्थिति में आगजनी व जलभराव की स्थिति में निपटा जा सके। Coaching Center
जब फायर ब्रिगेड के पास एनओसी के लिए ऑनलाइन अप्लाई किया जाता है तो इसी एनबीसी एक्ट के तहत सबसे पहले फायर फाइटिंग स्कीम जारी की जाती है। इसमें साफ तौर पर लिखा होता है कि एनबीसी एक्ट के तहत तमाम उपकरणों का प्रबंध करना होगा। उसके बाद फिर से फायर ब्रिगेड विभाग के पास एनओसी के लिए अप्लाई करना होता है। एनओसी अप्लाई करने के बाद फायर सिक्योरिटी ऑफिसर अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचकर मुआयना करता है कि क्या वास्तव में इस कोचिंग सेंटर या शिक्षण संस्थान में वे सभी उपकरण लगे हुए हैं, जो किसी भी आपात स्थिति में बच्चों को बचा सके। लेकिन ऐसा नहीं होता।
देश की राजधानी दिल्ली में ही नहीं ऐसा कहीं भी नहीं होता। अधिकारियों की जेब भारी करते ही ऐसी हजारों एनओसी हर रोज जारी की जाती है। यदि जिन संस्थाओं को पहले एनओसी जारी की गई है, यदि उनकी भी कड़ाई से दोबारा जांच की जाए तो ऐसे शिक्षण संस्थानों में फायर एक्सटिंग्विशर के अलावा और दूसरे कोई क प्रकार के इक्विपमेंट दिखाई नहीं देंगे। क्योंकि मामला भ्रष्टाचार का है। पर ऐसा नहीं होना चाहिए। यह तो हम एक ही प्रकार की एनओसी की बात कर रहे हैं। लेकिन देश की राजधानी दिल्ली में ऐसी तमाम प्रकार की एनओसी घर बैठे दलालों के माध्यम से आसानी से मिल रही है। भ्रष्टाचार के इन मामलों पर दिल्ली सरकार के साथ-साथ केंद्र सरकार का भी ध्यान होना चाहिए, क्योंकि दिल्ली ऐसा राज्य है, जहां जहां से देश की सरकार भी चलती है। Coaching Center
यानी पूरी केंद्र सरकार दिल्ली में विराजमान है। अब खास बात यह है कि बरसाती पानी निकासी का प्रबंध सिर्फ उन्हीं इलाकों में सही तरीके से किया गया है जहां या तो नेताओं के बंगले हैं या फिर सरकारी अधिकारियों के सरकारी निवास है। जिसे हम दिल्ली का पॉश एरिया का सकते हैं। यदि दिल्ली के इस पॉश एरिया को छोड़ दिया जाए तो बाहरी दिल्ली का हाल बेहाल है। बारिश के दिनों में जलभराव की स्थिति इतनी ज्यादा हो जाती है कि सीवरेज सिस्टम पूरी तरह से ब्लॉक हो जाता है। इतना ही नहीं कहने को तो सड़क के दोनों किनारो पर बरसाती पानी निकासी के लिए बड़े-बड़े अंडरग्राउंड नाले भी बनाए गए हैं। लेकिन इन नालों को वर्षों से खोल करके भी नहीं देखा गया है। यानी यह नाले गंदगी से पूरी तरह से बंद है। दिल्ली में वर्तमान में आम आदमी पार्टी की सरकार है व दिल्ली में ही केंद्र सरकार भी है।
पूरे अधिकार ना दिल्ली सरकार को है और ना ही केंद्र सरकार के पास सुरक्षित हैं। इन्हीं दो चक्की के दो पाटों के बीच दिल्ली की जनता पीस रही है। दिल्ली की जनता आखिर जाए तो जाए कहां? यह स्थिति किसी के भी समझ दूर की बात है। पूंजीपति घराने के लोग तो सेक्टर में निवास करते हैं। लेकिन गरीब और मध्यम स्तर के लोग दिल्ली के गांव में रहते हैं। असल मायने में जमीनी स्तर पर यदि दिल्ली की एक-एक गली का मुआयना किया जाए तो देखा जा सकता है की बारिश के दिनों में यहां से गाड़ियों से तो दूर की बात कोई भी इंसान पैदल भी नहीं गुजर सकता। यही हाल कोचिंग सेंटर्स और विभिन्न प्रकार के शिक्षण संस्थाओं का है। पहली बात तो कोई भी कोचिंग सेंटर या शिक्षण संस्थान बेसमेंट में चलना ही नहीं चाहिए। बेसमेंट की एनओसी आखिर दे ही क्यों जाती है? क्योंकि बेसमेंट किसी भी तरीके से आपातकाल में सुरक्षित नहीं माना जाता। दिल्ली जैसा इलाका जिस देश का दिल कहा जाता है। Coaching Center
बेसमेंट दिल्ली के दिल में सबसे बड़ा छेद है। पर यह छेद एक जगह पर नहीं है, यह हर गली मोहल्ले या पॉश से पॉश इलाके में भी बने हुए हैं। बात करते हैं करोल बाग इलाके में स्थित ओल्ड राजेंद्र नगर के उस कोचिंग सेंटर्स की। जिसकी बेसमेंट में पानी भरने से यूनियन पब्लिक सर्विस कमिशन की परीक्षा की तैयारी करने के लिए आए हुए बच्चों की सुरक्षा के बारे में देश के कोने-कोने से ओल्ड राजेंद्र नगर वी मुखर्जी नगर में लाखों की संख्या में बच्चे अपना भविष्य सुरक्षित करने के लिए आते हैं। लेकिन यहां किसी भी कोचिंग सेंटर्स में सुरक्षा के लिहाज से प्रबंध नहीं है। यदि ऐसे ही प्रबंध होते तो ओल्ड राजेंद्र नगर के कोचिंग सेंटर की बेसमेंट में बारिश के पानी में डूब कर बच्चे दम नहीं तोड़ते। जब भी कोई बेसमेंट बनाई जाती है तो उसे उसमें एक बोर करके पानी निकासी का प्रबंध भी किया जाता है।
एक मेन दरवाजे के साथ-साथ एग्जिट दरवाजे का प्रबंध भी किया जाता है। लेकिन इस कोचिंग सेंटर्स में यह बात सामने आ चुकी है कि ना तो यहां पानी निकासी का प्रबंध था और ना ही यहां एग्जिट डोर, तो आखिर कब तक बच्चों के भविष्य के साथ ऐसा खिलवाड़ चलता रहेगा। जिन विद्यार्थियों व उनके अभिभावकों ने यूनियन पब्लिक सर्विस कमिशन की तैयारी करवाने के लिए आईएएस व आईपीएस के सपने देखे थे,आज उनके बच्चे इन कोचिंग सेंटर्स में दम तोड़ रहे हैं। यह तो बात है बेसमेंट के पानी में डूब कर कर मारने वाले बच्चों की। अब कोचिंग सेंटर ऐसे भी है, जिनमें बच्चे यूपीएससी सहित नीट या दूसरे किसी भी कोशिश की कोचिंग के लिए भी आते हैं। ऐसी कोचिंग दिल्ली के साथ-साथ राजस्थान के कोटा में भी प्रदान की जाती है। कोटा की घटनाएं पहले ही देश भर के सामने आ चुकी है कि कोटा के कोचिंग सेंटर्स में पढ़ने वाले बच्चे पानी भरने से नहीं बल्कि सुविधाओं के होते हुए भी आत्महत्या कर रहे हैं। Coaching Center
जब ऐसी बातें जनसंचार के माध्यम से लोगों या सरकार के सामने आती है तब एक बार जांच बैठा कर इस मामले को शांत कर दिया जाता है। उसके बाद फिर से शुरू हो जाता है बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ का खेल। इस विषय पर सत्ता का सुख भोग रहे नेताओं को व एनओसी देने वाले विभाग के अधिकारियों को अपने जमीर पर हाथ रखकर सोचना चाहिए कि इन कोचिंग सेंटर्स में कोचिंग लेने वाले बच्चे उनके अपने भी हो सकते हैं। कोई भी कोचिंग या शिक्षण संस्थान हो सबसे पहले वहां सुरक्षा के प्रबंध देखे जाने चाहिए। नहीं तो हर बार ऐसी घटनाएं होती रहेंगी। घटना के बाद आंदोलन होगा और फिर मामला शांति की पेटी में बंद हो जाएगा। दिल्ली की घटना के बाद यह राजनीति करने का वक्त नहीं है। यह ऐसा वक्त है कि इन कोचिंग सेंटर्स या दिल्ली की स्थिति को पूरी तरह से देखा जाए कि देश की राजधानी दिल्ली आमजन के जीवन के लिए कितनी सुरक्षित है और सुरक्षित नहीं है तो उसे सुरक्षित कैसे बनाया जा सकता है। इस मुद्दे पर जनता से विचार करने की जरूरत है। Coaching Center डॉ. संदीप सिंहमार, वरिष्ठ लेखक एवं स्वतंत्र टिप्पणीकार।
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