सरसा। पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां फरमाते हैं कि सारी सृष्टि एक ही नूर से बनी है। खंड, ब्रह्मांड आदि सब कुछ उसी नूर का कमाल है। वो नूर, वो सुप्रीम पावर है, जिससे सब देव-फरिश्ते, ब्रह्मा, विष्णु, महेश बने हैं। उस नूर को पाने के लिए एक तरीका है और वो उसका नाम, मूलमंत्र है। उस मूलमंत्र के द्वारा जब हम उसे बुलाते हैं तो वो मालिक चले आते हैं और वो ही एक ऐसा दाता है, जो आवागमन से मुक्ति दिलाता है। पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि वह मालिक का नाम इन्सान को सारी गम, चिंता, परेशानियों से मुक्ति दिलाता है और अगले जहान में आत्मा को आवागमन से आजाद करवा देता है। उस परमपिता परमात्मा से ही सारी सृष्टि बनी है। सभी इन्सान हैं।
अलग जात-मजहब, धर्म सिर्फ भाषा की वजह से बने हैं, लेकिन सभी का रास्ता एक ही है। आप जी फरमाते हैं कि इन्सान को दीन-मजहब, ऊंच-नीच के नाम पर झगड़ा नहीं करना चाहिए। अपने अहंकार को गैरत का रूप नहीं कहना चाहिए। अहंकार को छोड़ देना चाहिए। जरा-जरा सी बात को लेकर तिल का पहाड़ मत बनाओ। आप दीनता-नम्रता से अल्लाह, मालिक के रास्ते पर चलते जाओ। सभी झगड़े छोड़कर मालिक से प्रीत करो। अगर आपने मनुष्य जन्म का लाभ उठाना है, मालिक की कृपा-दृष्टि को पाना है तो आप तमाम बुराइयों को, अपने अंदर के बुरे ख्यालों को छोड़ दो।
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