हिमाचल प्रदेश के सोलन में एक रेस्टारेंट की चार मंजिला इमारत गिरने से 14 लोगों की मृत्यु हो गई। यह दर्दनाक हादसा इसीलिए दु:खद है कि बिल्डरों द्वारा नियमों की उल्लंघना व प्रशासन की लापरवाही का खमियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है लेकिन इस प्रकार की घटनाओं से सरकार कोई सबक नहीं ले रही।देश भर में बहुमंजिला इमारतों के निर्माण के दौरान न तो बिल्डर नियमों को ध्यान में रखते और न ही संबंधित विभाग के अधिकारी किसी कोताही को रोकने का प्रयास करते हैं। भ्रष्टाचार व राजनीतिक प्रश्रय भी इसका मुख्य कारण है।
देश की राजधानी दिल्ली में भी इस प्रकार की दर्जनों घटनाएं घट चुकी हैं, जिनका नियमों के अनुसार निर्माण नहीं हुआ, फिर देश के अन्य हिस्सों से नियमों की पालना की उम्मीद कैसे की जा सकती है? विगत वर्ष पंजाब के एक मंत्री ने बहुमंजिला इमारत गिरने पर खुद पुलिस थाने में जाकर शिकायत दर्ज करवाई। शिकायतकर्ता खुद मंत्री होने के बावजूद दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो सकी। भ्रष्टाचार के साथ-साथ अधिकारियों में कार्रवाई न करने की आदत भी सिस्टम में बाधा खड़ी कर रही है। ऐसा प्रतीत होता है जैसे दुखद घटनाएं एवं हादसे एक वास्तविक्ता व स्वभाविक बन गए हैं।
हादसा होने के बाद एक-दो दिन तक तो खूब आदेश दिए जाते हैं, फिर जांच की जाएगी व मुआवजा देने जैसी घोषणा करने के बाद मामला दबा दिया जाता है। लंबी न्यायिक प्रक्रिया व कमजोर कानूनी कार्रवाई के कारण असल दोषी बच जाते हैं। घनी आबादी देश में बड़े हादसे होने के बाद भी यह घटनाएं सरकारों, प्रशासनिक अधिकारियों व जनता के जेहन में ज्यादा समय तक असर नहीं दिखाती । आम व्यक्ति निरंतर अनदेखी का सामना कर रहा है, फिर भी इस बात के प्रति जागरूक रहने की आवश्यकता है कि भ्रष्ट सिस्टम का नुक्सान किसी को भी भुगतना पड़ सकता है।
नियम लागू नहीं करने वाले सांसदों, अधिकारियों के पारिवारिक सदस्यों व रिश्तेदारों को भी कभी-कभार बहुमंजिला इमारतों में ठहराव करना पड़ता है। सही सिस्टम के साथ ही सभी सुरक्षित हैं। केन्द्र व राज्य सरकारें इमारत गिरने के हादसों को गंभीरता से लें व एक साफ-सुथरा प्रशासन व व्यवस्था सुनिश्चित करें ताकि गैर कानूनी गतिविधियां दुखद हादसों का कारण न बनें।
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