पावन अवतार दिवस पर डेरा सच्चा सौदा सरसा में उमड़ी भारी भीड़

-बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज के पावन अवतार दिवस

-330 जरूरतमंद परिवारों को बांटा 1 माह का राशन

सरसा (सच कहूँ न्यूज)। डेरा सच्चा सौदा के संस्थापक में बेपरवाह साईं शाह मस्ताना जी महाराज का पावन जन्मोत्सव आज हर्षोल्लास से मनाया गया। पावन जन्मोत्सव मानवता भलाई कार्यो के नाम रहा जिसके तहत पूज्य गुरु जी ने अपनी नेक कमाई में से 330 परिवारों को 1 माह का राशन, 140 परिवारों को गर्म कंबल वितरित किए। पावन भंडारे के दौरान ही साध-संगत की ओर से 5 परिवारों को ट्राई साइकिल व 5 परिवारों को आशियाना मुहिम के तहत ब्लॉकों द्वारा निर्मित मकानों की चाबियां सौंपी गई। भंडारे में भाग के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा और आश्रम से लेकर शहर तक संगत ही संगत नजर आई। पवन भंडारे पराई साथ संगत को गुरु का अटूट लंगर वितरित किया गया। इस अवसर पर इकलोती कन्या वाले परिवारों के वंश को चलाने के लिए पूज्य गुरु जी द्वारा चलाई गई मुहिम कुल का क्रॉउन के तहत एक शादी भी की गई। शाह सतनाम जी धाम में आयोजित कार्तिक पूर्णिमा के पावन भंडारे में हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, दिल्ली व अन्य राज्यों के साथ संगत ने भाग लिया। कोरोना काल के बाद डेरा सच्चा सौदा में पहला आयोजन था जिसके चलते चारों ओर श्रद्धालु ही श्रद्धालु नजर आए। पवन भंडारे को सफल बनाने के लिए आश्रम मैनेजमेंट के नेतृत्व में डेरा की विभिन्न कमेटियों के सेवादार पूरी तन देही से सेवा कार्य में जुटे रहे। आश्रम में आने वाली साध संगत के लिए पूरे प्रबंध किए गए। भारी संख्या में आए साधनों को ठहराने का विशेष प्रबंध किया गया।

बड़ी-बड़ी स्क्रीन ऊपर सुनाए गए वचन

शाह मस्ताना जी महाराज के पावन भंडारे पर पहुंची साथ संगत को पूज्य गुरु जी के पावन वचन सुनाने के लिए पंडाल में दर्जनों बड़ी बड़ी स्क्रीन लगाई गई। इन स्क्रीनों के माध्यम से पूज्य गुरु जी के रिकॉर्ड भंडारे का प्रसारण किया गया।

जरूरतमंदों को मिला राशन सर्दी से बचने के लिए मिले कंबल

खुशी को मानवता भलाई कार्यों के समर्पित करने की राह दिखाने वाले पूज्य गुरु संत डॉक्टर गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां स्वयं भी पावन भंडारे पर जरूरतमंद परिवारों की सहायता करने के लिए आगे रहे। पूज्य गुरु जी ने अपनी श्री गुरुसर मोडिया की कमाई में से 330 परिवारों को 1 माह का राशन व 130 परिवारों को गरम कंबल वितरित किए। विदित रहे कि पूज्य गुरु जी संगत को जो भी कार्य करने के लिए बोलते हैं वह कार्य पहले स्वयं करते हैं फिर संगत को राह दिखाते हैं।

 

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