ऊनी वस्त्रों का इस्तेमाल सुबह उठने से लेकर रात को सोते समय तक सर्दियों में प्राय: किया जाता है। फलस्वरूप वे गंदे भी अधिक होते हैं। ऊनी वस्त्रों को घरेलू आम तरीकों से धोया भी नहीं जा सकता, क्योंकि इस तरह से धोने से ऊन के सिकड़ने का डर रहता है और उसके अंदर की ठंडक मिटाने की शक्ति भी समाप्त होने लगती है। इतना ही नहीं, उसकी सफाई अगर नियमानुकूल न की जाये तो उसके रंग बदरंग होकर पूरे परिधान को ही खराब कर देते हैं, जिससे वह पहनने योग्य ही नहीं रह पाता, अत: यह आवश्यक है कि ऊनी वस्त्रों की सफाई और उन पर प्रेस करने के तरीकों को जानकर हम अपने कीमती कपड़ों की सुरक्षा का प्रयत्न करें।
ऊनी कपड़ों को कैसे धोयें?
कभी महंगे स्वेटर सिकुड़ जाते हैं तो कभी लटक जाते हैं। ड्राईक्लीनिंग महंगी होती है। प्रेस करें या नहीं आदि बातों की जानकारी न होने की वजह से प्राय: कीमती स्वेटरों, शालों को भी आम कपड़ों की तरह ही धो दिया जाता है। नतीजा यह होता है कि वे महंगे वस्त्र एक सीजन भर भी ठीक से नहीं चल पाते और वे पहनने के ही लायक नहीं रह पाते हैं।
ऊनी कपड़ों की धुलाई का तरीका
कीमती ऊनी कपड़ों के साथ धुलाई व प्रेस के तरीकों का विवरण दिया होता है। कीमती ऊन के वस्त्रों को जहां तक हो, ड्राईक्लीन में ही दें या निर्देश के अनुसार घर पर भी धुलाई कर सकती हैं। एक्रिलिक के कपड़ों को आप बिना किसी झिझक के घर पर ही धो सकती हैं। इसके लिए किसी भी प्रकार के सॉफ्ट डिटर्जेंट का इस्तेमाल किया जा सकता है। डिटर्जेंट के घोल में स्वेटर को डालकर हाथों से रगड़कर साफ पानी में दो-तीन बार डालकर साफ कर लें। बिना निचोड़े हुए
तौलिया या सूखे कपड़े में डालकर हल्के हाथ से दबाकर पानी निकाल लें।
इन्हें वाशिंग मशीन में डालकर कभी न धोएं। मशीन में धोने से इनकी रोंए निकल आती है। गीले स्वेटर को कभी रस्सी पर मत सुखायें। वे निचुड़ कर विकृत आकार वाले हो जाते हैं। जब पानी लगभग निकल जाये तब छांव में ही किसी चारपाई या चटाई पर डालकर सुखाएं। धूप में डालने से इनका रंग उड़ जाता है। हल्के धूप में स्वेटर को उल्टा करके सुखाया जा सकता है। हल्का गीला रहते हुए ही उस पर गीला सूती कपड़ा ऊपर से बिछा कर हल्का गर्म प्रेस कर लें।
ऊनी कपड़ों पर लगे दाग-धब्बों को छुड़ाना
ऊनी कपड़ों पर चाय आदि गिर जाने से उन पर दाग या धब्बे पड़ जाते हैं। दाग देने वाली किसी वस्तु के गिरते ही फौरन ही उसे किसी स्टेन रिमूवर से साफ कर लें। बाजार में अच्छे स्प्रे स्टेन रिमूवर मिल जाते हैं। ध्यान रखें कि कपड़े की दूसरी ओर निशान न पड़े। तह के बीच में कोई मोटा कपड़ा रखकर ही साफ करें। स्प्रे से अक्सर मैल फैलकर एक बड़ा सा
धब्बा बना देता है। ऐसे में ड्राईक्लीन करवाना जरूरी हो जाता है।
अगर स्टेन रिमूवर न हो तो दाग निकालने के लिए पूरे कपड़े को तुरंत पानी में डालकर निकाल लें और हल्का सा नींबू का रस डालकर दाग वाले जगह पर लगा कर सुखा दें। रगड़ लगने से ऊनी कपड़ों पर रोंएं उठ जाते है। रोंएं अक्सर कुहनियों और बगलों के नीचे ही आते हैं। इसके लिए अभी तक कोई फार्मूला या तकनीक नहीं बनी है। पहनते-पहनते कुछ दिनों में स्वेटरों के बार्डर और कफ ढीले हो जाते हैं। बार्डर और कफ के हिस्से को पानी में धोकर हल्का प्रेस कर लें।
ऊनी कपड़ों से परहेज
सर्दी के मौसम में जहां एक ओर ऊनी कपड़े आराम दायक होते हैं, वहीं दूसरी ओर पहनने में परहेज नहीं करने पर त्वचा के लिए हानिकारक भी होते हैं। ऊनी वस्त्रों को कभी भी अकेले नहीं पहनना चाहिए। कोमल त्वचा पर ऊन की रगड़ के कारण एग्जीमा, खुजली या जख्म भी हो सकते हैं।
इस्तेमाल के बाद की सुरक्षा
ऊनी वस्त्रों के मौसम की समाप्ति के बाद उन्हें सहेज कर रखने में काफी सुरक्षा की जरूरत होती है। एक्रिलिक के कपड़ों को धोकर तथा प्योर वूल के कपड़े को ड्राइक्लीन कराने के बाद ही रखना चाहिए। ड्राइक्लीन के बाद उन्हें अलग-अलग नेप्थलीन की गोलियों के साथ पैकेट में डालकर रखें। नेप्थलीन की गोलियों को कपड़े के बीच डालने से पहले उन्हें किसी
कागज या महीन कपड़े में लपेट कर ही डालें।
कई बार नेप्थलीन की गोलियां पिघलकर कपड़े में दाग लगा देती हैं। जहां भी आप कपड़ों को रखने जा रही हो, रखने से पहले यह जरूर देख लें कि उसमें नमी तो नहीं है क्योंकि नमी वाली जगह पर कपड़ों को रखने से वे जल्द खराब हो जाती हैं। समय-समय पर कपड़ों को निकालकर अवश्य देखते रहना चाहिए।
-(उर्वशी)
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