नानी के घर आई तीन साल की मासूम बच्ची राजस्थान में झुंझुनू शहर के बीडीके अस्पताल के एक बैड पर गुमसुम बैठी थी। उसे तो यह मालूम ही नहीं है कि उसके साथ हुआ क्या है, क्योंकि यह सब समझने की उसकी अभी उम्र कहां है। उसके आगे कई तरह के खिलौने पड़े हैं। कभी वो गुड़िया को हाथ में लेकर मंद-मंद मुस्कुरा रही थी तो कभी दूसरे खिलौने को चलता हुआ देख रही थी। ऊपर से तो अब वो ठीक नजर आ रही थी, लेकिन उसके कोमल दिल पर एक दरिंदे ने जो छाप छोड़ी है, उसे वह बयान नहीं कर पा रही थी। दिनभर वो घटना याद कर खिलौने के पीछे अपना चेहरा छिपा लेती है। यह देख अस्पताल में आने वाले हर शख्स की आंख में आंसू बहने लगते हैं। उसके शरीर का निचला हिस्सा पट्टी से बंधा है। वह मासूम उसे देखने आ रहे हर किसी को कौतूहल से देख रही थी कि ये लोग क्यों आ रहे हैं। इस मासूम को जो अपनी ननिहाल आई थी वहां एक बर्तन बेचने वाले दुष्कर्मी ने अकेली देख उसे दागदार कर दिया था।
बच्चियों के साथ आये दिन हो रही दुष्कर्म की घटनायें रुकने का नाम नहीं ले रही है। मध्यप्रदेश के इंदौर में 8 महीने की बच्ची के साथ एक व्यक्ति ने दुष्कर्म करने की कोशिश की और उसके बाद गला दबाकर हत्या कर दी। आरोपी मासूम बच्ची का ही रिश्तेदार था। दिल्ली के नेताजी सुभाष प्लेस में आठ महीने की बच्ची के साथ उसके रिश्तेदार भाई ने कथित तौर पर बलात्कार किया। आरोपी बच्ची के ताऊ का बेटा था।
हाल ही में बिहार के मुजफ्फरपुर के बालिका गृह दुष्कर्म मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। पीएमसीएच ने मेडिकल रिपोर्ट में 29 लड़कियों के साथ दुष्कर्म की पुष्टि की है। मेडिकल रिपोर्ट से अब ये बात साबित हो गई है कि मुजफ्फरपुर बालिका सुधार गृह में मासूम बच्चियों के साथ हैवानियत हुई थी। उनके साथ ज्यादती हुई थी। उनका लगातार यौन शोषण किया गया था। बेंगलूरू में संजय नामक एक 25 वर्षीय युवक को अपनी मां द्वारा चलाए जा रहे डे-केयर सैंटर में एक तीन वर्षीय बच्ची से बलात्कार करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। नवी मुम्बई में खारघर पुलिस ने 8 वर्षीय पोती से बलात्कार के आरोप में 65 वर्षीय बुजुर्ग को गिरफ्तार किया। उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के रसूलपुर थाना इलाके में एक 14 वर्षीय किशोर अपने पड़ोस में रहने वाली 7 वर्षीय बच्ची को बहला-फुसला कर ले गया और उसके साथ बलात्कार कर डाला। विडम्बना यह है कि अन्य स्थानों के साथ-साथ स्कूलों तक में ऐसे अपराध हो रहे हैं।
भारत में आये दिन मासूम बच्चियों से हो रही बलात्कर की घटनायें कब रुकेगीं? इसका समाज व सरकार के पास कोई जवाब नहीं है। जवाब के नाम पर सरकारें आंकड़ा गिनाने लगती हैं कि पहले की अपेक्षा अब हमारे राज्य में ऐसी घटनायें कम हो रही हैं। हमारे देश की आज हालत यह है कि यहां प्रत्येक 30 मिनट में 2 से 10 वर्ष आयु वर्ग की एक बच्ची यौन शोषण का शिकार हो रही है। आज कल देश में दुष्कर्म की ऐसी ऐसी घटनाए सामने आ रही है की आम आदमी का इंसानियत पर से विश्वास ही खत्म हो रहा है।
भारत में कहा जाता हैं कि यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता: यानि जहां पर स्त्रियों की पूजा होती है, वहां देवता रमते हैं। मगर इसके उलट हमारे समाज में हर रोज, हर घंटे महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़ते जा रहे हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के ताजा आंकड़ों के मुताबिक महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले दोगुने से भी ज्यादा हो गए हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के 2017 के आंकड़े भी साफ दर्शातें हैं कि बच्चों के खिलाफ दुष्कर्म और यौन शोषण के मामलों में बेहद तेजी से बढ़ोतरी हुई है। बल्कि बच्चों के खिलाफ हर तरह के अपराधों में वृद्ध दर्ज की गई है।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक 2016 की तुलना में 2017 में बच्चों के साथ दुष्कर्म की घटनाओं में 82 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की 2016 की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में दुष्कर्म के मामले 2015 की तुलना में 12.4 फीसदी बढ़े हैं। 2016 में बलात्कार के 38947 मामले, 2015 में 34210 मामले, 2014 में 36735 मामले, 2013 में 33707 मामले, 2012 में 24923 मामले, 2011 में 22172 मामले दर्ज हुये थे। वर्ष 2012 के निर्भया काण्ड के बाद सरकार व समाज में आयी जागृति के बाद भी ऐसी घटनाओं में कमी होने के स्थान पर तेजी से बढ़ोतरी हुयी है।
12 साल से कम उम्र की बच्चियों से दुष्कर्म के दोषियों को मौत की सजा का बिल आपराधिक कानून (संशोधन) विधेयक 2018 संसद से पारित हो गया है। इस संबंध में एक अध्यादेश 21 अप्रैल को लागू किया गया था। देश के कई इलाकों में बच्चियों के साथ बलात्कार और फिर उनकी हत्या की घटनाओं के बाद यह अध्यादेश लागू किया गया था। इस विधेयक के तहत 16 साल से कम उम्र की लड़कियों से दुष्कर्म करनेवाले को सख्त सजा का प्रावधान किया गया है। इसमें भारतीय दंड संहिता, भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1972, दंड प्रक्रिया संहिता 1973 और लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 में संशोधन किया गया है।
राजस्थान के अलवर में 7 महीने की बच्ची के साथ दुष्कर्म के मामले में दोषी को फांसी की सजा सुनाई गई है। पॉक्सो एक्ट के तहत राजस्थान में ये पहला मामला है, जिसमें दूधमुंही बच्ची के साथ दुष्कर्म के आरोपी पिंटू ठाकुर (19 वर्ष) को अदालत में फांसी की सजा सुनाई है। महज 73 दिन में फैसला सुनाते हुए जज जगेंद्र अग्रवाल ने कहा कि जो सिर्फ हंसना और रोना ही जानती है, उसके साथ ऐसा घिनौना कृत्य मानवता को शर्मसार करने वाला है। जब वह सोचने समझने में सक्षम होगी तो उसे महसूस होगा कि धरती पर जन्म लेना उसके लिए अभिशाप था। यदि कारावास की सजा भी दी गई तो गलत संदेश जाएगा, इसलिए मात्र मृत्युदंड ही न्यायोचित है। उम्मीद है कि ऐसे फैसलों से देश में छोटी बच्चियों के साथ हो रहे ऐसे मामलों पर लगाम लग सकेगी।
बाड़मेर के जिला न्यायालय मे एक 12 साल की मासूस से सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के दो आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई गई है। यह राज्य में दूसरा मौका है जबकि बदले हुए पॉक्सो कानून के तहत आरोपियों को फांसी की सजा हुई है। फैसला सुनाते हुए जज वमीता सिंह बोलीं यह पाशविक तरीके से की गई हत्या है। मानवीयता के विरुद्ध सबसे निम्न स्तर का कृत्य। नृशंस हत्या की वजह से यह मामला विरल से विरल की श्रेणी में आता है। इसके लिए सिर्फ मृत्यु दंड देना न्याय प्राप्ति के लिए बाध्यकारी होगा।
राजस्थान देश का पहला राज्य बन गया है जहां 35 ज्यूडिशियरी जिलों में एक-एक पॉक्सो कोर्ट के साथ-साथ 21 अतिरिक्त पोक्सो कोर्ट खोले गए हैं। राज्य सरकार के प्रदेश में 55 नई पोक्सो कोर्ट खोलने की अधिसूचना जारी कर दी गयी है। इससे प्रदेश में न केवल बच्चियों बल्कि, महिलाओं से दुष्कर्म के मामलों के निस्तारण में तेजी जाएगी।
भारत में कई कानून बनने के बाद भी दुष्कर्म की घटनाये लगातार जारी हैं। आखिर हमारे समाज में यौन हिंसा जैसे घिनौने अपराध होते ही क्यों है? जैसे-जैसे हमारा समाज अधिक शिक्षित और प्रगतिशील होता जा रहा है। वैसे-वैसे ही समाज में महिलाओं के यौन उत्पीड़न के मामले भी बढ़ते जा रहे हैं। हाल के दिनों में नाबालिग बच्चियों के साथ दुष्कर्म के मामलो में तेजी से बढ़ोतरी हुयी है जो गम्भीर चिन्ता का विषय हैं। रोजाना अलग-अलग राज्यों से बलात्कार की घटना की खबरें आती हैं। यह एक सभ्य समाज के लिए चिंता का विषय होना चाहिए परन्तु क्या हम चिंतित है यह सबसे बड़ा प्रश्न है। समाज में व्याप्त इस सबसे बड़ी समस्या से छुटकारा कैसे मिले इसका जवाब किसी के पास नहीं हैं। हर कोई सरकार व पुलिस के भरोसे बैठा हुआ है। मात्र कड़े कानून बना देने से ही इस प्रकार की घटनाओं पर रोक लग पाना सम्भव नहीं है। इसके लिये समाज को भी सजग होना पड़ेगा।
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