आज पर्यावरण का बिगड़ता स्वास्थ्य काफी गंभीर समस्या बनती जा रही है। लगातार हरियाली में कमी आने के कारण अनुकूल रहने वाला मौसम आज दिन प्रतिदिन बिगड़ रहा है। हवा में घुल चुके प्रदूषण रूपी जहर मानव के सेहत के लिए काफी हानिकारक बनता जा रहा है। इन दिनों प्रदूषण से बचने के लिए सरकार भी गंभीर दिख रही है। लेकिन हालत ज्यादा खराब होने के कारण पर्यावरण में फैल रहे इस जहर को रोकना एक चुनौती बन गई है।शहरों में हालत और ज्यादा नाजुक है। पर्यावरण आज इतना ज्यादा दूषित हो चुका है कि देश के राजधानी दिल्ली में सांस लेना भारी पड़ रहा है। सिर्फ भारत की राजधानी दिल्ली में नही बल्कि देश भर में प्रदूषण की समस्या तेजी से बढ़ रही है। अब तो हालत इतना नाजुक हो चुका है की बढ़ते वायु प्रदूषण हमारे सेहत ही नहीं बल्कि हमारे उम्र को भी घटाने में जिम्मेदार है।वैज्ञानिकों की ओर से कराए गए एक अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है कि हवा में घुल चुके प्रदूषण से औसत भारतीय की उम्र डेढ़ साल तक कम हो रही है। वायु प्रदूषण से हर वर्ग के लोग प्रभावित होते हैं। चाहे बूढ़े हो या युवा हो या बच्चे हो। सब उम्र के वर्ग इनसे गहरा प्राभवित होता है। लेकिन बच्चों की बात करें तो उनमें श्वास संबधी रोग ज्यादा होता है। वायु प्रदूषण के कारण संभावित बच्चों में जन्मदर कम होने के साथ साथ अस्थमा व निमोनिया जैसे अन्य कई श्वास रोग होने की संभावना रहती है। प्रदूषण हमारे सेहत को बिगाड़ने में अहम भूमिका निभाता है। सिर्फ सेहत ही नही लोगों की जान लेने में भी वायु प्रदूषण कम नही है। एक आंकड़े के मुताबिक भारत मे हर वर्ष 7,00,000 लोगों की जान सिर्फ वायु प्रदूषण के कारण जाती है। इस मृत्यु में पीएम 2.5 जिम्मेदार होती है। पीएम 2.5 हवा में किसी भी प्रकार के पदार्थ को जलाने से निकलने वाले धुएं से आता है। सबसे ज्यादा पीएम 2.5 फेक्ट्री से निकलते हैं।
भारत के कई ऐसे शहर हैं जो प्रदूषण से पूरी तरह ग्रसित है। कुछ ही दिन पहले दिल्ली में धूओं की कुहासा देखा गया है। जो दर्शाता है कि हवा कितना ज्यादा प्रदूषित हो चुका है। ये बताने वाली बात नही है कि कानपुर की हालत कितनी नाजुक है। अध्यन के मुताबिक विश्व के 20 सबसे प्रदूषित शहरों में पटना सहित 14 भारत के राज्य आते हैं। ये आंकंड़ा कितना चिंताजनक है ये आप सोच सकते हैं की टॉप 20 में 14 भारत के शहर हैं। एक और जहां प्रदूषण व्यापक रूप से फैल रही है वहीं पेड़ों को काटने में भी भारत पीछे नही है। एक अनुमान के मुताबिक दुनिया में हर साल एक करोड़ हेक्टेयर इलाके में वन काटे जाते हैं। जिनमे अकेले भारत में 10 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में फैले जंगल कट रहे हैं। वनों की अनियंत्रित कटाई के परिणामस्वरूप पृथ्वी का सामान्य रहने वाला वातावरण प्रदूषित हो गया है। ऐसा ही चलता रहा तो वो दिन दूर नही जब ओजोन परत पूरी तरह नष्ट हो जाएगा और पृथ्वी का नामों निसान मिट जाएगा।और हमारी आने वाले पीढ़ी के लिए पृथ्वी नर्क सामान हो जाएगा।
एक और जहाँ गावों में हरियाली भरी बाग बगीचों में लोगों का रहना बैठना होता है। जहाँ के बच्चे खुली और स्वच्छ पर्यावरण में अपना जीवन बिताते हैं।वहीं शहर के लोग प्रदूषण की मार झेल रहे होते हैं।बढ़ती जनसंख्या के कारण उन्हें एक संकीर्ण जगहों में रहना पड़ता है। जहाँ वृक्षों की भारी कमी होती है और उद्योगों की संख्या ज्यादा होती है। ऐसे जगहों में शारीरिक औ? मानसिक बीमारी होने के सारे कारण मौजूद होते हैं। फिर भी सुख सुविधा के लिए लोग शहर की और भागना पसन्द करते हैं। विकसित करने हेतु आजकल शहरीकरण पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है। सारे सुख सुविधाओं को पाने के लिए लोग पृथ्वी को भूल जाते हैं। उन्हें याद ही नही रहता कि हम एक प्रकृति दायरे में रहते हैं। जिनका स्वास्थ्य बिगड़ने पर विज्ञान से उपचार संभव बिल्कुल नही है। उसका स्वास्थ्य बिगड़ने पर प्रकृति पर ही निर्भरता दिखाना पड़ेगा। इन दिनों स्वास्थ्य तो पूरी बिगड़ ही चुकी है। जिसका उपचार लोगों का सोच परिवर्तन और वृक्षारोपण बेहद जरूरी हो गया है।
पर्यावरण आज इतना ज्यादा दूषित हो चुका है कि देश के राजधानी दिल्ली में सांस लेना भारी पड़ रहा है। सिर्फ दिल्ली ही नही भारत के कई राज्यों में वायु प्रदूषण व्यापक रूप से फैली हुई है।बढ़ती विकास की रफ्तार में हम इतने मगन हो गए हैं कि पर्यावरण और अपने सेहत के प्रति उदासीन दिखते हैं। कुछ ही दिन पहले भारत प्रदूषण फैलाने वालों की सूचि में अव्वल आया था।बढ़ते उद्योगों और परिवहन के कारण शहर की हरियाली पूरी तरह तबाह हो चुकी है। लोग खुली और स्वच्छ हवा लेने के लिए तरस गए हैं। हवाओं में फैली इस जहर के कारण कई रोगों का जन्म होता है। जिनसे कई लोग जिंदगी से हाथ धो बैठते हैं। जिनका प्रतिकूल प्रभाव सभी उम्र के लोगों पर पड़ता है। लेकिन बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। आजकल सांसों का बढ़ता रोग प्रदूषण के कारण ही जोर पकड़ा हुआ है।
ऐसा पहला मर्तबा नहीं है कि लोगों को पर्यावरण के प्रति चेताया गया है। हर बार विश्व संगठन लोगों को चेताने का काम करती है। लेकिन लोगों में जरा सी चेतना नही नजर आती है। जिसका अंजाम इतना बुरा होगा कि मानव को संभलने का मौका तक नही मिलेगा। भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के बहुत सारे देश है जो वायु प्रदूषण को झेल रहा है। खास कर ऐसा देश जो विकाशील हो वहां प्रदूषण की मार ज्यादा है। गौरतलब है कि भारत भी विकासशील देश की गिनती में आता है। जहाँ विकास को प्राथमिक मानते हुए प्रदूषण को अनदेखा किया जाता है। हालांकि भारत मे भी जागरूकता फैलाई जा रही है। कई बड़े बड़े आयोजनों के जरिये भी लोगों को संदेश देने का काम करती है। लेकिन विडंबना यह है कि ऐसे संदेश बस मंच तक ही सीमित रह जाते हैं। लोगों की चेतना नही होने के कारण आज प्रकृतिक आपदा अपना उग्र रूप दिखाती है।
अगर हमें इन प्रदूषण से बचना है तो वृक्ष रोपण को बढ़ावा देना बेहद जरूरी है। यही एक मात्र साधन है जिसके जरिये इन्हें रोका जा सकता है।बीते दिन उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस बार के स्वतंत्रता दिवस पर वृक्ष रोपण का कार्यक्रम पर जोर दिया। सरकार के अनुसार इस वर्ष विशेष वृक्षारोपण अभियान के तहत 9.16 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा है। स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर विशेष वृक्षारोपण अभियान के तहत एक दिन में पांच करोड़ के अधिक पौधे रोपे गए।सिर्फ सरकार ही नही बल्कि आम लोगों ने भी इस बार के स्वतंत्रता दिवस और रक्षा बंधन पर वृक्षारोपण पर जोर दिया। इस कार्य में कुछ लोगों का ही नही बल्कि पूर्ण भागीदारी से ही ऐसे जहर से जीता जा सकता है। तभी जाकर इस पृथ्वी को बचाया जा सकेगा।
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