लगता है कि लोकसभा चुनाव के बाद से ही कांग्रेस के बुरे दिन शुरू हो गये हैं। पूरे देश में कांग्रेस को लगातार झटके पर झटके लग रहे हैं। झटको से उबरने की कांग्रेस फिलहाल कोई प्रयास करती भी नजर नहीं आ रही है। ऐसा लगता है जैसे कांग्रेस नेता हाथ पर हाथ धर कर बैठ गये हों। कांग्रेस को पहले लोकसभा चुनाव में बुरी तरह पराजय झेलनी पड़ी। अभी लोकसभा चुनाव की हार से कांग्रेस उबर भी नहीं पायी थी की राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष पद से स्तीफा देकर पार्टी के सामने एक नया संकट खड़ा कर दिया। राहुल गांधी के स्तीफा दिये लम्बा समय गुजर गया मगर कांग्रेस में नये अध्यक्ष का चुनाव अभी तक नहीं हो पाया है। इसी दौरान देश के अलग-अलग राज्यों में कांग्रेस पार्टी के विधायक अपने को कांग्रेस में राजनीतिक रूप से असुरक्षित मान कर पार्टी छोड़ कर दूसरे राजनीतिक दलों में शामिल हो रहे हैं।
कर्नाटक में कांग्रेस जेडीएस गठबंधन में उभरे अंतरविरोध के चलते दोनो दलो की मिलीजुली सरकार का झगड़ा सडको पर आ चुका है। वहां वर्चस्व को लेकर दोनो दलो के नेता एक दूसरे को नीचा दिखाने का कोई मौका नहीं चूकते हैं। कांग्रेस का कर्नाटक का नाटक तो अभी सलटा ही नहीं उससे पहले उसे गोवा में तगड़ा झटका लगा है। गोवा में कांग्रेस पार्टी के 15 में से 10 विधायक (दो तिहाई) भाजपा में शामिल हो गए हैं। इस तरह 40 सदस्यीय राज्य विधानसभा में भाजपा की सदस्य संख्या 27 हो गई है। जबकि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के 17 व भाजपा के 13 विधायक जीते थे। मगर कांग्रेस नेतृत्व द्वारा सही समय पर फैसला नहीं ले पाने के चलते वहां भाजपा की सरकार बन गयी थी। गोवा में कांग्रेस के पास आज 17 में से मात्र 5 विधायक ही बचे हैं।
गोवा विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष चंद्रकांत केवलेकर ने विधानसभा अध्यक्ष राजेश पटनेकर से मुलाकात की और उन्हें पत्र सौंपकर नौ अन्य विधायकों समेत कांग्रेस से अलग होकर भाजपा में विलय करने की सूचना दी थी। विधानसभा परिसर में मौजूद मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने बताया कि इन 10 विधायकों का भाजपा में विलय हो गया है। कर्नाटक में गठबंधन सरकार पर गिरने का खतरा मंडरा रहा है। कर्नाटक में अभी तक कांग्रेस के 13 विधायक इस्तीफा दे चुके हैं। 224 विधानसभा सीटों वाले कर्नाटक में कांग्रेस के 13 विधायकों के इस्तीफा देने के बाद सियासी समीकरण बदल गए हैं। विधानसभा अध्यक्ष ने भले ही अभी विधायकों का इस्तीफा स्वीकार न किया हो। लेकिन सरकार बचाना मुख्यमंत्री एचडी कुमार स्वामी के लिए टेढ़ी खीर साबित होने वाली है। वहीं बीजेपी की ओर से दावा किया जा रहा है कि दो निर्दलिय विधायको के समर्थन देने से उसके पास अब 107 विधायक हैं।
गुजरात में राज्यसभा की दो सीट पर हुये उपचुनाव के दौरान कांग्रेस के दो विधायक अल्पेश ठाकोर व धवन झाला ने भाजपा के पक्ष में क्रास वाटिंग करने के बाद कांग्रेस व विधानसभा की सदस्यता से स्तीफा दे दिया है। इससे पूर्व गुजरात में कांग्रेस के पांच विधायक अपने पदो से स्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो चुके हैं। पंजाब में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्द्र सिंह व मंत्री नवजोत सिंह सिधू का विवाद खुलकर सामने आ गया है। मुख्यमंत्री ने सिधू के विभाग बदल दिये थे मगर सिधू ने अभी तक अपने नये विभागों को कार्यभार नहीं संभाला है। सिघू के ऊर्जा विभाग का चार्ज नहीं संभालने के कारण उनको दिये गये ऊर्जा विभाग की मिटिंग स्वंय मुख्यमंत्री को ही लेनी पड़ी।
राजस्थान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलेट का टकराव जारी है। हाल ही में मुख्यमंत्री गहलोत ने राज्य का बजट प्रस्तुत करने के बाद पत्रकारों से बात करते हुये कहा था कि विधानसभा चुनावो से पूर्व प्रदेश की जनता सिर्फ मुझे मुख्यमंत्री बनाना चाहती थी। प्रदेश की जनता व कांग्रेस आलाकमान मेरे को मुख्यमंत्री पद पर देखना चाहते थे तभी मैं मुख्यमंत्री बना हूं। कुछ लोग अनायास ही चुनावों के दौरान मुख्यमंत्री बनने का सपना देखने लगते हैं। जबकि मुख्यमंत्री के लिये उनका कहीं दूर तक नाम नहीं होता है। गहलोत का ईशारा पायलेट की तरफ ही माना जा रहा है। गहलोत के बयान के बाद बसपा व कुछ निर्दलिय विधायको ने भी गहलोत के मुख्यमंत्री बनने की बात का समर्थन किया है। आंध्र प्रदेश, बिहार, झारखण्ड, ओडीसा, पश्चिम बंगाल असम व पूर्वात्तर के राज्यों में कांग्रेस के पास कुछ बचा नहीं हैं।
उपरोक्त घटनाओं से लगता है कि अंदर ही अंदर कांग्रेस के विधायक व सांसद अपनी ही पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की कार्यप्रणाली को लेकर असंतुष्ट हो रहे हैं। उन्हे जब भी अन्य विकल्प मिलता है वो कांग्रेस को अलविदा कहने में देर नहीं करते हैं। मौजूदा घटनाक्रम को देख कर लगता है कि कांग्रेस जल्दी ही संकट से निकलती नजर नहीं आ रही है। कांग्रेस में नये अध्यक्ष को लेकर कांग्रेसी नेता आपस में लगातार बयानबाजी कर रहे हैं जो कांग्रेस पार्टी के हित में नहीं हैं। यदि समय रहते कांग्रेस में ऐसी घटनाओं पर रोक नहीं लगती है तो आने वाले समय में कांग्रेस के प्रभाव में कमी आना स्वाभाविक है।
-रमेश सर्राफ धमोरा
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