पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने फरमाया कि जब बच्चा 9-10 साल का होता है, उसे इस भयानक कलयुग में दुनियादारी की सब समझ आ जाती है, जो बात पहले 18-20 साल में आती थी, अब 9-10 साल के बच्चे को वो सब समझ होती है। इसलिए माता-पिता को बच्चों का केयर टेकर (सार-संभाल करने वाला) बनना चाहिए। आप जी ने फरमाया कि बच्चे की नींव इतनी मजबूत हो कि उस पर जो महल बने वो मजबूत हो। बच्चे को इतना मजबूत, इतना बुलंद हौंसले वाला बनाओ कि उसके नाम से आपकी पहचान हो। आपके नाम से अगर बच्चे की पहचान होती है तो बच्चा उतना काबिल नहीं। लेकिन अगर बच्चे के नाम से आपकी पहचान होती है तो आपके लिए बहुत गर्व की बात है।
मां-बाप बच्चे के लिए समय जरूर निकालें
बच्चे को राम-नाम का सुमिरन करने का पक्का बनाओ। उसे सुमिरन का महत्व बताएं, उसे सिखाएं कि पढ़ने से पहले 5 मिनट ध्यान में बैठकर, नारा लगाकर पानी पिए, फिर पढेÞ। पूज्य गुरू जी ने फरमाया कि आप अपने काम-धंधे में मशगूल हैं, बहुत व्यस्त हैं लेकिन बच्चे के लिए समय जरूर निकालें। बच्चों से मित्रों की भांति व्यवहार करें। उसके दोस्तों के बारे में, स्कूल-कॉलेज में पता करें। उसकी मित्र मंडली को घर बुलवाएं ताकि उनके बारे में पता चल सके। बच्चा भी खुश और आपको भी पता चल जाएगा कि उन बच्चों में कोई गलत तो नहीं, जो आपके बच्चों को बहका कर समाज के लिए धब्बा बना दे। अगर आपके बच्चे की मित्र मंडली में कोई गलत बच्चा है तो अपने बच्चे को समझाएं, जो कमियां नजर आएं उनके बारे में उसके दिमाग में बैठाएं और उसकी सोहबत न करने दें।
मारपीट मत करो, फै्रंडली बनो
पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि बच्चे से मारपीट कभी मत करें, अगर ऐसा करते हैं तो आप खुद उसे बिगाड़ने के रास्ते पर भेजते हैं, वो अपनी मुश्किल के बारे में आपको नहीं बताएगा। बच्चों के साथ फै्रंडली बनो। बच्चे से इतने घुल मिल जाओ कि वो अपने साथ हुए हर घटनाक्रम आपसे शेयर करे। आप जी ने फरमाया कि ये उम्र है फूल बनने की, कई फूल होते हैं खुश्बू देते हैं और कई बदबू। अपने बच्चों को रात की रानी की भांति खुश्बूदार बनाएं, कटहल या थोहर न बनाओ, जिससे कांटे चुभ जाएं। बच्चे को नेक भला बनाओ।
बच्चों को धर्मों, इंसानियत की शिक्षा दो
पूज्य गुरू जी ने फरमाया कि बच्चों की एजुकेशन पर ध्यान रखो। उन्हें धर्मों, इंसानियत की शिक्षा दो। जैसे सुबह आप पक्षियों को दाने डालते हैं तो बच्चों को साथ ले जाओ, समझाओ की पढ़ाई में नंबर आएंगे। बच्चों को नेक कर्म करने की आदत डालें। उन्हें सिखाएं कि क्लास में अगर किसी के पास बुक नहीं हैं तो उसे बुक दो। बच्चे को ज्ञान देना जरूरी हे। वो पहचानने लग जाएगा कि कौन उसका अपना है और कौन उसे नुकसान पहुंचा सकता है। आपका फर्ज है बच्चे को अलर्ट करना।
बच्चों को नेक कार्यों के लिए उत्साहित करें, निरूत्साहित नहीं
पूज्य गुरु जी फरमाया कि बेटियों को कमजोर नहीं बल्कि मजबूत बनाओ, उन्हें अबला नहीं सबला बनाओ। अपने बेटे-बेटी को इसी उम्र में मजबूत बनना सिखाएं, उनके अंदर हौंसले बुलंद हों, ऐसी बात बताएं। ऐसी शिक्षा देंगे तो यकीनन वो नेक बनेंगे। आप जी ने फरमाया कि इस उम्र में बच्चे पहनाना सिखाते हैं, तरह-तरह के फैशन, डिजाईनों से बच्चे को वंचित न रहने दें। बच्चों को नशे से दूर रहना सिखाएं। बच्चे को अच्छे नेक कार्यों के लिए उत्साहित करें, निरूत्साहित नहीं। बच्चे को नहाना, कपडेÞ पहनना हर चीज आनी चाहिए। बच्चे को मेहमानों से खुलकर बात करने और उनके सामने अछा व्यवहार करना सिखाएं। ‘धन-धन सतगुरु तेरा ही आसरा’ का नारा लगाना सिखाएं।
सोते समय छोटे बच्चों को खुले कपडे पहनाओ
आप जी ने फरमाया कि आप ही बच्चे के ट्रेनर हैं, उसे अच्छी बातें सिखाएं। बच्चे को स्कूल बैग कैसे रखना है? खाने-पीने और सोने के मैनर्स सिखाएं। सोते समय बच्चों को खुले कपडेÞ पहनाओ, क्योंकि इस उम्र में शरीर बढ़ता है। रात को बॉडी अपने आपको रिपेयर करती है। सोते समय सुमिरन करके सोएं। बच्चे को बताओ की सुमिरन करने से बॉडी पॉवरफुल बनेगी, अच्छे नंबर आएंगे तो, ऐसा करने से उसे बहुत लाभ होगा। बच्चे को खुशमिजाज बनाओ। एक्सरसाईज तो जरूर किया करो। अपने लिए नहीं तो बच्चे के लिए ही। रात के भोजन के बाद बच्चों को चहलकदमी करना अवश्य सिखाएं।
(संकलन-विजय शर्मा)
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