अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (सीडीसी) ने एक बयान जारी करते हुए कहा है कि गर्मी के कारण कोरोना वायरस सतह पर ज्यादा देर तक नहीं टिक पाएगा। भारत में तेजी से फैल रहे कोरोना संक्रमण के दृष्टिकोण से सीडीसी के इस बयान को इसलिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि भारत के अनेक इलाके इस समय भीषण गर्मी से बुरी तरह तप रहे हैं और संक्रमण के आंकड़े भी तेजी से सामने आ रहे हैं। सीडीसी का कहना है कि किसी सतह पर वायरस वैसे भी कुछ घंटे ही टिक पाता है लेकिन गर्म मौसम और सूर्य की तेज रोशनी इसके जीवित रहने के समय को और कम कर देगी।
कोरोना का कहर पूरी दुनिया में जारी है, जिससे अब तक विश्वभर में साढ़े तीन लाख से भी ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है और 50 लाख से ज्यादा संक्रमित हो चुके हैं। भारत में भी अब प्रतिदिन कोरोना के छह हजार से ज्यादा नए मरीज सामने आ रहे हैं और मरीजों का आंकड़ा करीब डेढ़ लाख पहुंच चुका है। हालांकि सीडीसी के बयान से पहले भी कुछ शोधकर्ता कह चुके हैं कि गर्मी में कोरोना का जल्द ही खात्मा हो जाएगा लेकिन भारत में भीषण गर्मी में भी जिस प्रकार कोरोना के मामले कम होने के बजाय तेज गति से बढ़ रहे हैं, ऐसे में फिलहाल तो इसकी कोई संभावना नजर नहीं आती। अधिकांश शोधकतार्ओं ने गर्मी बढ़ने पर कोरोना के खत्म होने के प्रामाणिक दावे नहीं किए हैं लेकिन कुछ शोधकर्ता ज्यादा गर्मी बढ़ने पर कोरोना का प्रकोप कम होने की आशंका अवश्य जता चुके हैं।
क्या कह रहे हैं शोधकर्ता?
चीन में किए गए एक अध्ययन के मुताबिक बढ़ते तापमान तथा मौसम में नमी से कोरोना का बढ़ता प्रभाव कम हो सकता है। चीन के करीब सौ गर्म शहरों में बीजिंग और शिन्हुआ यूनिवर्सिटी के शोधकतार्ओं द्वारा किए गए इस अध्ययन के अनुसार ज्यादा गर्मी अथवा नमी से भी कोरोना के प्रकोप को खत्म तो नहीं किया जा सकता लेकिन इसके तेजी से फैलने पर अंकुश अवश्य लगाया जा सकता है। शोधकतार्ओं का दावा है कि सौ चीनी शहरों में जैसे ही तापमान बढ़ा, कोरोना संक्रमित मरीजों की औसत संख्या 2.5 से गिरकर 1.5 रह गई थी। उनका कहना है कि एक समय चरम पर पहुंचे कोरोना के प्रकोप में वहां हुए मौसम में बदलाव के साथ ही गिरावट दर्ज की जाने लगी थी। सार्स वायरस की तलाश करने वाले हांगकांग यूनिवर्सिटी में पैथोलॉजी के प्रोफेसर जॉन निकोल्स भी मानते हैं कि कोरोना पर गर्मी का प्रभाव पड़ सकता है। उनके अनुसार यह वायरस ह्हीट सेंसेटिव है और गर्मी के मौसम में इसके फैलाव में कमी आ सकती है। वह कह रहे हैं कि जिन जगहों पर बहुत ज्यादा गर्मी है, वहां कोरोना का सामुदायिक संक्रमण होने का खतरा कम होता है।
हालांकि आज स्थिति ऐसी है कि चीन के किसी भी प्रकार के दावे पर दुनिया का कोई भी देश सहजता से विश्वास करने की स्थिति में नहीं है लेकिन अमेरिका में मैसाचुसेट्स इंस्टीच्यूट ऑफ़ टैक्नोलॉजी तथा यूनिवर्सिटी ऑफ़ मैरीलैंड के शोधकर्ता भी कुछ ऐसा ही कह रहे हैं। उनके मुताबिक 22 मार्च तक हुए कोविड-19 के प्रसार के 90 फीसदी मामले ऐसे क्षेत्रों में देखे गए थे, जहां तापमान 3-17 डिग्री के बीच था तथा नमी एक खास रेंज में थी। अध्ययन में कहा गया था कि अमेरिका के एरिजोना, टेक्सास तथा फ्लोरिडा जैसे गर्म क्षेत्रों में न्यूयार्क तथा वाशिंगटन की भांति मामले सामने नहीं आए थे। हालांकि शोधकतार्ओं ने इसी के साथ यह चेतावनी भी दी थी कि उनके अध्ययन का अर्थ यह नहीं है कि कोरोना वायरस गर्म तथा नमी वाले क्षेत्रों में नहीं फैल सकता। यूनिवर्सिटी ऑफ़ मेरीलैंड स्कूल ऑफ़ मेडिसिन के शोधकर्ता स्टुअर्ट वेस्टन कहते हैं कि वह आशा करते हैं कि कोविड-19 मौसम के बदलने पर असर दिखाए लेकिन अभी तक इस बारे में कुछ भी बता पाना संभव नहीं है। राष्ट्रीय विज्ञान, अभियांत्रिकी एवं आयुर्विज्ञान अकादमी की एक रिपोर्ट के मुताबिक पर्यावरणीय तापमान, नमी तथा किसी व्यक्ति के शरीर के बाहर वायरस के जिंदा रहने के अलावा कई और कारक हैं, जो वास्तविक दुनिया में मनुष्यों के बीच संक्रमण की दर को प्रभावित और निर्धारित करते हैं।
मौसम में गर्मी बढ़ने का असर
मौसम में गर्मी बढ़ने का कोरोना वायरस पर क्या और कितना प्रभाव होगा, भले ही कुछ शोधकर्ता इसके बारे में कुछ भी कह रहे हों लेकिन इसका कोई पुष्ट प्रमाण नहीं है कि बढ़ते तापमान का कोरोना वायरस पर क्या असर होगा? भारत में तापमान अब लगातार बढ़ रहा है और उत्तर भारत में 45 डिग्री के आसपास पहुंच चुका है लेकिन कोरोना के मामले कम होने के बजाय लगातार बड़ी संख्या में सामने आ रहे हैं। ऐसे में तापमान बढ़ने पर कोरोना का प्रकोप कम होने के दावों पर भरोसा करना कठिन हो गया है। इन दावों पर भरोसा करना इसलिए भी मुश्किल हो गया है क्योंकि इस समय ग्रीनलैंड जैसे ठंडे देश हों या दुबई जैसे गर्म शहर, दुनिया के तमाम देश कोरोना के कहर से त्रस्त हैं। इसीलिए अब बहुत से डॉक्टर कहने लगे हैं कि गर्मी में कोरोना का प्रभाव खत्म होगा या नहीं, इसके कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं हैं, इसलिए केवल तापमान के भरोसे मत बैठिये। वायरोलॉजिस्ट डा. परेश देशपांडे कहते हैं कि यदि कोई गर्मी के मौसम में छींकता है तो ड्रॉपलेट्स किसी भी सतह पर गिरकर जल्दी सूख सकते हैं, जिससे कोरोना का संक्रमण कम हो सकता है लेकिन इससे कोरोना का प्रकोप खत्म हो जाएगा, यह नहीं कहा जा सकता। कई अन्य विशेषज्ञ भी मत प्रकट कर रहे हैं कि तेज धूप और गर्मी कोरोना वायरस के विकास और दीघार्यु को सीमित कर सकते हैं लेकिन यह दावा नहीं किया जा सकता कि प्रचण्ड गर्मी में भी कोरोना वाायरस पूरी तरह नष्ट हो जाएगा।
प्राय: सभी तरह के वायरस गर्मी बढ़ने पर निष्क्रिय अथवा नष्ट हो जाते हैं लेकिन कोरोना वायरस के मामले में देखा गया है कि यह मानव शरीर में 37 डिग्री सेल्सियस पर भी जीवित रहता है। कई वायरोलॉजिस्ट कह चुके हैं कि फ्लू वायरस गर्मियों के दौरान शरीर के बाहर नहीं रह पाते लेकिन कोरोना को लेकर उनका भी यही कहना है कि कोरोना वायरस पर गर्मी का क्या असर पड़ता है, अभी तक कोई नहीं जानता। हालांकि कुछ शोधकतार्ओं का दावा है कि कोरोना वायरस 60 से 70 डिग्री सेल्सियस तापमान तक नष्ट नहीं हो सकता। अब अगर देखा जाए तो इतना ज्यादा तापमान न तो दुनिया के अधिकांश हिस्सों में होता है और न ही मानव शरीर के भीतर। विश्व स्वास्थ्य संगठन भी कह चुुका है कि हमें कोरोना वायरस के प्रकोप को खत्म करने के लिए गर्म तापमान पर भरोसा नहीं करना चाहिए। ह्द एसोसिएशन ऑफ़ सर्जन्स ऑफ़ इंडिया के अध्यक्ष डा. पी. रघुराम तो सीधे शब्दों में कह रहे हैं कि यदि कोरोना वायरस गर्मी से मरता तो ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर जैसे गर्म देशों में कोरोना संक्रमण की घटनाएं बहुत कम होनी चाहिएं थी। यूनिवर्सिटीऑफ़ साउथंप्टन के प्रमुख डा. माइकल के मुताबिक कोविड-19 के फैलने की रफ्तार अन्य वायरसों से तेज है और इस वायरस पर गर्मी का प्रभाव जानने के लिए हमें अभी इंतजार करना होगा।
वैज्ञानिकों के अनुसार कोरोना वायरसों के परिवार के नए सदस्य कोविड-19 पर प्रोटीन की एक परत होती है और इस तरह के प्रोटीन की परत वाले वायरस में मौसम चक्र की मार झेलने की क्षमता अक्सर ज्यादा होती है। स्पेन के शोधकर्ता मिगुएल अराजो के अनुसार कोई वायरस वातावरण में जितने ज्यादा समय तक जिंदा रहने की क्षमता रखता है, उसका खतरा उतना ही ज्यादा बढ़ता जाता है। फिलहाल लगभग सभी शोधकर्ता केवल कम्प्यूटर मॉडलिंग पर ही विश्वास कर उसी के आधार पर बात कर रहे हैं। बहरहाल, गर्मी में कोरोना के प्रसार में कमी आने संबंधी भले ही कितने ही दावे किए जाएं लेकिन वास्तव में दुनिया के किसी भी वैज्ञानिक के पास कोरोना पर गर्मी के प्रचण्ड तापमान के प्रभाव को लेकर कोई निश्चित जवाब नहीं है। कोरोना को लेकर अभी तक की हकीकत यही है कि अगर यह वायरस एक बार इंसान के शरीर में प्रवेश कर गया तो इसे मारने का कोई तरीका अभी तक नहीं खोजा जा सका है। अभी इसकी कोई वैक्सीन भी तैयार नहीं हुई है। इसलिए फिलहाल तो सामाजिक दूरी बनाए रखना ही इससे बचने का एकमात्र उपाय है।
अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter पर फॉलो करें।