सरसा। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां बुधवार को इंस्टाग्राम पर वीडियो के माध्यम से आमजन व युवा पीढ़ी को नशों से दूर रहने का संदेश दिया। पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि आज के नौजवान, बड़े-बूढ़े, छोटे सब एक चीज सोचते हैं कि हमें अगर गम-दु:ख आया है तो नशे से वो गम-दु:ख भाग जाएगा। ये आपकी सोच बिल्कुल गलत है। कई लोग ये भी कहते हैं कि बीयर में क्या है? वो तो जौं से बनती है।
तो बेटा ऐसा करके देखिए कि शाम को जौं भिगो के रख दीजिये, सुबह उसका पानी पी लीजियेगा, कर लीजिये ऐसा। और रही बात, अगर आप सोचते हैं कि नशे से आपके गम, दु:ख, दर्द, चिंताएं दूर हो जाएंगी, ये आपका भ्रम है। बल्कि कई गुणा बढ़के फिर से आएंगी अगले दिन। और अगर आप ये सोचते हैं कि नशा सोल्यूशन है इन चीजों का, गम, दु:ख, दर्द, चिंता, परेशानी, बीमारियों को भगाने का तो फिर डॉक्टर क्यों बैठे हैं? ‘नशे बर्बादी का घर, इनसे रहें दूर’…उनकी जरूरत ही ना पड़ती।
जाओ एक पैग मारा, सारे दु:ख, दर्द, परेशानियां, बीमारियां दूर, तो ये आपका भ्रम है। नशा बर्बादी का घर है, जरा सा लेना शुरू करते हैं आप, उसके गुलाम हो जाते हैं और फिर गुलाम क्या करता है जो नशा करवाता है वही, इसलिए कभी भी नशे के नजदीक ना जाओ। ये बर्बादी का घर ही नहीं है बल्कि बर्बादी की ऐसी दलदल है, आप एक बार इसमें धंस गए तो धंसते चले जाएंगे और फिर आप तक सीमित नहीं रहेगा, आपके बीवी-बच्चे, आपके माँ-बाप, भाई-बहन सब का बुरा हाल होगा, सिर्फ आपकी वजह से। तो क्या आपने इस लिए जन्म लिया है कि आप अपने परिवार को तड़फाएं? क्या आपने इसलिए जन्म लिया है कि राक्षस प्रवृत्ति को बढ़ावा दें? अरे हम जिन धर्मों को मानते हैं उनमें देवी-देव को ऊँचा माना जाता है, राक्षस नीचा है।
‘नशे बर्बादी का घर, इनसे रहें दूर’…उनकी जरूरत ही ना पड़ती। जाओ एक पैग मारा, सारे दु:ख, दर्द, परेशानियां, बीमारियां दूर, तो ये आपका भ्रम है। नशा बर्बादी का घर है, जरा सा लेना शुरू करते हैं आप, उसके गुलाम हो जाते हैं और फिर गुलाम क्या करता है जो नशा करवाता है वही, इसलिए कभी भी नशे के नजदीक ना जाओ। ये बर्बादी का घर ही नहीं है बल्कि बर्बादी की ऐसी दलदल है, आप एक बार इसमें धंस गए तो धंसते चले जाएंगे और फिर आप तक सीमित नहीं रहेगा, आपके बीवी-बच्चे, आपके माँ-बाप, भाई-बहन सब का बुरा हाल होगा, सिर्फ आपकी वजह से। तो क्या आपने इस लिए जन्म लिया है कि आप अपने परिवार को तड़फाएं? क्या आपने इसलिए जन्म लिया है कि राक्षस प्रवृत्ति को बढ़ावा दें? अरे हम जिन धर्मों को मानते हैं उनमें देवी-देव को ऊँचा माना जाता है, राक्षस नीचा है।
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