अस्पताल ने फर्जी रिपोर्ट तैयार कर पुलिस को भेजी
- पीड़ित परिवार ने ग्रामीणों संग मिलकर जताया रोष
फिरोजपुर (सच कहूँ न्यूज)। हमेशा सुर्खियों में रहने वाले सिविल अस्पताल के डॉक्टरों ने नया कारनामा करते हुए अस्पताल में भर्ती एक व्यक्ति की मामूली चोटों को गंभीर दिखा फर्जी रिपोर्ट तैयार कर पुलिस को भेज दी।
डॉक्टरों की रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने दूसरे गुट के तीन लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर गिरफ्तारी की कार्रवाई शुरू कर दी। इस पर पीड़ित पक्ष ने न्याय के लिए जिला प्रशासन का दरवाजा खटखटाया।
अस्पताल के डॉक्टरों द्वारा तैयार की गई फर्जी रिपोर्ट को रद करवाने के लिए पीड़ित परिवार के लोगों ने गांव वालों के साथ मिलकर सोमवार को सिविल अस्पताल में रोष-प्रदर्शन किया। इस दौरान तालमेल कमेटी पैरा मेडिकल स्टाफ ने प्रदर्शनकारियों को समर्थन किया और सिविल अस्पताल में हो रही ज्यादती का विरोध किया।
ये है पूरा मामला
प्रदर्शनकारियों में शामिल हरबंस सिंह ने बताया कि उनका गांव के ही रहने वाले अमरीक सिंह के साथ विवाद चल रहा है। 24 जून को अमरीक सिंह ने खुद को चोटें मारकर सिविल अस्पताल में भर्ती हो गया।
उसने बताया कि सिविल अस्पताल के डॉक्टर रेखा भट्टी, अमृतपाल सिंह और इंद्रपाल द्वारा बिना एसएमओ की स्वीकृति लिए अमरीक सिंह को गंभीर चोट लगने की झूठी एमएलआर काट पुलिस को भेज दी।
पुलिस ने भी बिना पड़ताल किए उस पर, उसके पिता लाल सिंह व भाई राज सिंह के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया। जब उसे इस मामले का पता चला तो उसने इसकी निष्पक्ष जांच के लिए डिप्टी कमिश्नर, एसएसपी और सिविल सर्जन को शिकायत दी, ताकि उन पर दर्ज हुआ झूठा पर्चा रद हो सके।
कल जांच करेगी गठित टीम
सीनियर मेडिकल अधिकारी डॉ. प्रदीप अग्रवाल से बात की तो उन्होंने कहा कि हरबंस सिंह की शिकायत पर सिविल सर्जन की ओर से इस मामले की जांच के लिए तीन डाक्टरों संदीप सिंह कालड़ा, राजन मित्तल और गुरमेज राम गोराया पर आधारित बोर्ड का गठन किया गया, लेकिन डॉ. संदीप कालड़ा का तबादला होने के कारण बोर्ड ने अभी तक इसकी जांच नहीं की।
उनकी बजाय डॉ. प्रितपाल सिंह को बोर्ड में शामिल किया गया है और 19 जुलाई को बोर्ड इस मामले की जांच के लिए बैठेगा। जो भी निर्णय होगा, उस अनुसार कार्यवाही अमल में लाई जाएगी। डॉ. अग्रवाल ने बताया कि 24 जून की इस घटना के बाद डॉ. रेखा भट्टी और डॉ. अमृतपाल सिंह के खिलाफ आ रही शिकायतों का गंभीर नोटिस लेते हुए उन्हें ड्यूटी से रिलीव कर दिया है और उनको जांच में शामिल होने के आदेश दिए गए हैं।
एसएमओ ने बात तक नहीं सुनी
हरबंस सिंह ने बताया कि अगर डॉक्टरों ने किसी की गलत रिपोर्ट तैयार कर भी दी है तो सीनियर मेडिकल अधिकारी को पूरे अधिकार होते हैं कि वह अपने तौर पर जांच कर रिपोर्ट को रद कर सकता है, लेकिन एसएमओ उनकी बात तक नहीं सुनी। एसएमओ के इसी रुख का विरोध करते हुए सोमवार को वह अपने परिजनों एवं गांव वालों को साथ लेकर यहां धरना लगाने पहुंचे हैं।
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