किसान बोले: अकेले भाव क्या करेंगे जब फसल ही नहीं हुई
सच कहूँ/राजू, ओढां। इस बार नरमें के भाव रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गए हैं। बढ़ रहे दामों के उतार-चढ़ाव को देखते हुए अधिकांश किसान अभी फसल बेचने के मूड में नहीं है। उन्हें उम्मीद है कि दाम और बढ़ेंगे। हालांंकि गुलाबी सुंडी के चलते इस बार किसानों की फसल बिल्कुल भी अच्छी नहीं हुई है। किसानों का कहना है कि इस बार जब फसल अच्छी नहीं हुई तो भाव ठीक हैं। काश फसल भी ठीक हो जाती। विगत वर्ष नरमें के भाव करीब साढ़े 5 हजार रूपये के आसपास थे, लेकिन इस बार भावों का आंकड़ा डेढ़ गुणा ज्यादा है।
इस बारे जब कुछ किसानों से बात की गई तो उन्होंंने कहा कि भाव तो ठीक है। अगर फसल अच्छी हो जाती तो वारे न्यारे हो जाते। शुक्रवार को नरमें के भाव में करीब 250 रूपये की वृद्धि हुई जिसके बाद शनिवार को मंडी कालांवाली में नरमा 9 हजार 85 रूपये बिका। आढ़ती मोहन लाल चलाना, विजय कुमार व मक्खन लाल गर्ग के मुताबिक इस बार फसल कम होने की वजह से भावों में वृद्धि हुई है। उन्होंने बताया कि बढ़ रहे भाव के ताव देखते हुए किसानों मंडी में नरमा कम ला रहे हैंं। उन्होंने बताया कि बाहरी क्षेत्रों में नरमें व रेशे की डिमांड अधिक है। जिसके चलते भाव में बढ़ोतरी आना स्वाभाविक है। उन्होंने अनुमान जताया कि नरमें के भाव और बढ़ सकते हैं। जिसके चलते बिनौला खल के दामों में भी तेजी आ सकती है।
‘‘इस बार नरमें के अच्छे उत्पादन की उम्मीद थी, लेकिन गुलाबी सुंडी ने ऐन मौके पर उम्मीदों पर पानी फेर
दिया। 30 से 35 मण प्रति एकड़ नरमें की उम्मीद थी। लेकिन आध भी नहीं बचा। अगर उत्पादन उम्मीदों के अनुकूल होता तो इस बार किसानों के वारे न्यारे हो जाते। क्योंकि इस बार नरमें के भाव काफी अच्छे हैं। अभी नरमा नहीं बेचेंगे। हमें उम्मीद है कि भाव और बढ़ेंगे।
चेतराम दादरवाल, किसान (नुहियांवाली)।
‘‘भाव तो काफी अच्छे हैं पर अगर वजन भी अच्छा हो जाता तो सोने पर सुहागा था। पिछली बार नरमें की फसल ठीक थी। तो भाव नहीं थे। इस बार भी फसल अच्छी होने की उम्मीद थी, लेकिन गुलाबी सुंडी ने उनकी उम्मीदें धुमिल कर दी। अब भाव तो अच्छे हैं पर नरमा लाएं कहां से। दूसरी बार की चुगाई ना ही समझो। इस बार मजदूरी ही नहीं अपितु सभी चीजों के दाम बढ़े हैं। नरमें के भाव में तेजी है तो खल भी तेज हो जाएगी। किसानों पर डीजल-पेट्रोल की मार भी तो रोज ही पड़ रही है।
बंसी सिंह, किसान (रोड़ी)।
‘‘जाहिर सी बात है फसल नहीं तो भाव है और भाव नहीं तो फसल है। इस बार उम्मीदें तो काफी थी, लेकिन किया क्या जा सकता है। हमारे तो फिर भी कुछ नरमें की फसल हुई है, लेकिन अनेक किसानों की फसल तो पूरी तरह से नष्ट हो गई। इस बार उम्मीद थी कि फसल बेचकर कुछ लेनदेन आसान हो जाएगा, लेकिन फसल ही नहीं हुई तो अकेले भाव का क्या करें। भाव बढ़ने की उम्मीद है। कुछ नरमा हुआ है जिसे भाव आते ही बेच देंगे।
जगदीश सहारण, किसान (नुहियांवाली)।
‘‘भाव तो खूब आ गए, लेकिन नरमा कहां से लाएं। कभी प्राकृतिक आपदा तो कभी फसलों पर बीमारियों का प्रकोप। किसान तो हमेशा से ही मार में रहता है। जब फसल अच्छी हुई तो कभी भी ऐसे भाव नहीं आए। इस बार गुलाबी सुंडी की वजह से फसल नामात्र ही हुई है तो भाव ऊंचे हैं। अभी फसल को कुछ दिन और रोकेंगे। उम्मीद है कि भाव बढ़ जाए कुछ रूपये और हाथ आ जाएंगे।
लच्छीराम जलंधरा, किसान (नुहियांवाली)।
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